प्रेतात्मा मिलन का योग

जातक का नाम नरेन्द्र है और उसका जन्म बारह नवम्बर सन उन्नीस सौ छियासी मे दिन के आठ बजकर दस मिनट पर जयपुर राजस्थान में हुआ है.लगन वृश्चिक की है स्वामी मंगल तीसरे भाव मे उच्च का होकर विराजमान है,मंगल को अपनी तीसरी द्रिष्टि से वृश्चिक का शनि देख रहा है ग्यारहवे भाव से केतु की भी द्रिष्टि मंगल पर है.कुंडली मे शनि चन्द्र राहु की आपसी युति होने से प्रेतात्मा योग विद्यमान है.गुरु और चन्द्र राहु मंगल के बीच मे होने से पापकर्तरी योग भी है,राहु केतु के अन्दर सभी ग्रह होने से कालसर्प योग भी है.शुक्र के वक्री होने से उच्च का शुक्र नीचता को देने लगा है,सूर्य के साथ बुध के वक्री होने से बुधादित्य योग मे भी ग्रहण लगा हुआ है। कुंडली मे भाग्य के मालिक चन्द्रमा राहु के साथ है और चन्द्रमा की राशि मीन से भी भाग्य के स्थान मे शनि वृश्चिक राशि का बैठा है.गुरु से भी भाग्य स्थान में सूर्य वक्री शुक्र और वक्री बुध विराजमान है.नवांश की कुंडली से भी वृश्चिक लगन है और केतु मंगल ग्यारहवे भाव मे कन्या राशि के है.सूर्य नीच का होकर सप्तम मे विराजमान है,बुध वक्री होकर मृत्यु स्थान मे विराजमान हो गया है।
जातक की फ़ोटो शनि के वृश्चिक राशि मे होने से और राहु चन्द्र की युति से ग्रस्त तथा केतु की छाया से पूर्ण होने पर इस प्रकार की है,इस फ़ोटो मे जातक का रंग सांवला हो गया है जातक के अन्दर कोई डर केवल इसलिये नही है क्योंकि मंगल उच्च का होकर तीसरे भाव मे है और चन्द्रमा राहु से ग्यारहवा होकर दूसरे भाव को देख रहा है। जातक के चेहरे की लम्बाई को देखने के बाद यही पता लगता है कि केतु की छाया इस जातक पर है और इस छाया से जातक के अन्दर असमान्य रूप से विद्या को प्राप्त करने के लिये निडर होने के लिये और किसी भी विशेष परिस्थिति मे हिम्मत का होना माना जा सकता है। जातक का जन्म भी ब्राह्मण परिवार मे होने के कारण और मर्यादा से पूर्ण जीवन को जीने के कारण किसी भी प्रकार की तामसी वस्तु का सेवन करना या किसी प्रकार की गलत संगत करने का कारण भी नही है। कलयुग मे एक बात को बहुत ही गौढ रूप से माना जाता है कि जब व्यक्ति भलाई के रास्ते पर अपने परिवार की मर्यादा को निभाने की कोशिश मे चलता है तो बुराइयों की छाया भले व्यक्ति को केवल इसलिये ग्रहण देती है क्योंकि बुराइयां यह नही चाहती है कि उनके सामने किसी प्रकार की भलाई का बखान किया जाये। इतनी उम्र मे भी जातक का कोई लगाव किसी प्रकार से गलत रूप से किसी भी लडकी की तरफ़ नही है अपने काम से काम रखता है और अपने परिवार की भलाई के लिये ही हमेशा प्रयास रत रहता है। जब भी किसी कठिनाई का सामना होता है तो अपने परिवार मे अपने ताऊ के लडके के साथ कठिनाई का शेयर करता है उसका भी कारण है कि माता पिता को कोई कष्ट नही हो और माता पिता को उसके प्रति कोई तकलीफ़ भी नही हो।
अपने ताऊ के लडके श्री रमाकान्त से भी खूब पटती हैउसका भी एक कारण यह है कि दोनो ही एक प्रकार के शिक्षा के क्षेत्र मे भी है रुचिया भी एक सी है,दोनो ने ही फ़ार्मा लाइन मे अपने अपने दिमाग का सही प्रयोग किया है। शिक्षा के अन्दर राहु चन्द्र के होने से तथा शनि का अस्पताली राशि मे होने के कारण जातक को कैमिकल लाइन मे जमीनी खनिजो के साथ मिलने वाले अस्पताली उपायो के प्रति अच्छी जानकारी होने से भी इस राहु चन्द्र शनि की युति को सही माना जाता है।पंचम भाव को प्यार प्रेम या रोमांस का भाव भी कहा जाता है.चन्द्रमा के साथ राहु के होने से तथा राशि मीन होने से यह प्रभाव आसमानी शक्तियों की तरफ़ अग्रेसित हो जाता है। जातक से आसमानी शक्तियां प्रेम करने लगती है। लेकिन प्रेम को प्रकट करने का समय भी होता है,लोग स्वप्नो में भी इसी प्रकार के कारण देखते है और जब उन्हे हकीकत का पता होता है तो कई प्रकार के विचार दिमाग मे लाकर अपने को यह सोचकर समझाने की कोशिश करते है कि वह केवल सपना ही था,कोई हकीकत नही थी।
लेकिन जब शनि के साथ राहु का साथ हो जाता है और और चन्द्रमा उसके अन्दर अपनी गति को प्रदान करता है तो वही आसमानी शक्ति साक्षात रूप मे सामने आजाती है,इस बात को यह मानकर भी समझा जा सकता है कि शनि केवल भौतिक कारणो को ही द्रश्य मे देता है। राहु अक्समात कारण पैदा करने के लिये भी माना जाता है और चन्द्रमा अपनी उपस्थिति को पहिनावे या मानसिक रूप से गहरे कारणो को सोचने के लिये भी मजबूर करता है। कल शाम को जब इस लडके से मुलाकत इसके ताऊ के लडके रमाकान्त के साथ की तो इसकी कुंडली को देखते ही मैने इससे पूंछा कोई आत्मा पीछे पडी है कभी दिखी तो नही। रमाकान्त ने फ़ौरन जबाब दिया अंकल जी पिछली ग्यारह तारीख को मेरे इस भाई के साथ अचानक एक हादसा हुआ,यह अपने काम से वापस घर जा रहा था घर के पहले ही एक इमली का पेड पडता है और एक चौराहा भी है,इमली के पेड से चौराहा लगभग सौ मीटर की दूरी पर है,सडक अक्सर शाम के समय ठंड के दिनो मे सुनसान ही रहती है,इसे अचानक उस इमली के पेड से एक औरत उतरकर इसकी तरफ़ भागती हुयी आयी और उसे देखकर मेरे भाई ने अपनी मोटर साइकिल को तेज कर लिया लेकिन चौराहे के पहले ही उस औरत ने आकर मेरे भाई को दोनो हाथ फ़ैलाकर रोक लिया। बाकी का वृतांत आप इस वीडियों मे सुन सकते है।
मैने कई बार इसी प्रकार के वृतांत देखे भी है और इस ज्योतिषीय जिन्दगी मे सुने भी है लोग अपनी अपनी व्यथा को जब बताते है तो सत्यता को मानना भी पडता है। हमारे जानकार एक सज्जन है जो इसी जयपुर में रहते है,एक बार वे अपने पुत्र के बारे मे पूंछने के लिये आये थे कुंडली को देखकर मैने उनसे भी कहा था कि तुम्हे अमुक तारीख को यात्रा मे भूत दर्शन होंगे। वे इस बात को लगभग भूल गये थे,पंजाब से दिल्ली के लिये किसी ट्रेन मे वे अपने छोटे पुत्र के साथ आ रहे थे,भोजन को करने के बाद बाप बेटे ने उसी ट्रेन के कम्पार्टमेंट मे घूम कर भोजन को पचाने के लिये सोची और दोनो एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ घूमने लगे,रात के करीब बारह बजे होंगे,उनका कम्पार्टमेन्ट पीछे से बिलकुल पैक था,सभी खिडकियों के सीसे बन्द थे और खिडकियां लाक थीं,अचानक उनके सामने एक व्यक्ति उपस्थित हुआ और भागता हुआ बोला कि जल्दी से खिडकी को खोलो,दोनो बाप बेटे हडबडा गये और उसकी सूरत क देखकर डर भी गये.उसकी सूरत ऐसी लग रही थी जैसे वह किसी खड्डे से निकल कर आया हो और उसके माथे के बीचो बीच से खून भी टपक रहा था,अचानक वह बिना खिडकी को खोले जाने कहां गायब हो गया,दोनो बाप बेटे उस घटना को देखकर और मेरी बात को याद करने के बाद सोचने लगे। इसी प्रकार की कई घटनाये मेरे भी जीवन मे आयीं है और उन्हे काल का रूप समझ कर और घटना का रूप राहु की गति से समझ कर केवल संतोष करने के अलावा और कुछ नही समझा। लेकिन इस जातक की कुंडली को समझ कर दिमाग मे प्रकार की उथल पुथल इसलिये भी होनी जरूरी है कि वह आत्मा इस जातक से बोल कर गयी है कि वह जून के महिने मे उसके शरीर का खून समाप्त कर देगी और उसे अपने साथ ले जायेगी।
हमारे भारत मे प्रेतात्मा के दोष को हटाने के लिये कई प्रकार के जाप यज्ञ आदि किये जाते है,इन्हे दूर करने के लिये राजस्थान मे ही मेहंदीपुर के बालाजी का नाम भी खूब लोगों को पता है। यहाँ पर प्रेतराज के सामने कितनी बडी से बडी बाधा होती है उसे दूर करने के लिये जातको को लाया जाता है और जब वे अपनी जुबान से बोलती है तो आज का विज्ञान चुप जाता है। लोगों की श्रद्धा और विश्वास को देखने के लिये कोई भी मंगलवार और शनिवार को वहां जाकर देख सकता है।

1 comment:

Asinaz said...

मै भी पराविग्यान मेँ रुचि रखता हूँ,