नाम राशि और राजनीति

कहाजाता है कि माता पिता जन्म को देते है लेकिन नाम प्रकृति रखती है। जो जिस देश काल परिस्थिति मे होता है नाम राशि उसी के अनुरूप अपना फ़ल प्रदान करती जाती है। नाम का पहला अक्षर मध्य का अक्षर और अन्त का अक्षर अपने अपने अनुसार जीवन मे फ़ल प्रदान करते है इस बात को मै पहले भी बताकर आया हूँ। इसी के अन्दर कुछ अच्छे राजनीतिक लोगों के प्रति जो नाम राशि कहती है,उसे बताने की कोशिश कर रहा हूँ,यह लेख केवल ज्ञान वृद्धि के लिये है इसे अन्यथा नही ले और न ही किसी प्रकार की लाभ हानि की सीमा मे इसे ग्रहण करे। नाम भी दो प्रकार के होते है एक चलता हुआ नाम एक सीमित क्षेत्र मे प्रयोग मे लिया जाने वाला नाम। सीमित क्षेत्र मे जो नाम लिया जाता है वह केवल परिवार या किन्ही मुख्य सदस्यों के द्वारा प्रयोग मे लाया जाता है और चलने वाला नाम जीवन के क्षेत्रों मे अपने प्रभाव को बताने के लिये माना जाता है। सीमित क्षेत्र मे चलने वाले नाम को चौथे भाव की सीमा तक माना जाता है और चलने वाले नाम को पंचम से लेकर बारहवे भाव की सीमा तक लेकर चलने वाला माना जाता है।एक बात को और भी बताया जाना उचित है कि आधा अक्षर आधी ही मान्यता को देता है और सहायक सम्पूर्ण नाम मे रहता है,जैसे अं की बिन्दी अ: का प्रयोग आदि।

एक चर्चित नाम जो श्री अन्ना हजारे के लिये लिया जा रहा है और जिसे देखो वही अन्ना अन्ना के भाव मे है। अक्षर अ मेष राशि का है और न वृश्चिक राशि का है। उनके घरेलू नाम को या तो बहुत कम लोग जानते है। अ से शरीर के विषय मे और न मृत्यु भाव से जोडा जाता है। जो नींद में होता है उसे भी वृश्चिक राशि मे लेकर आते है जो मृत्यु शैया पर होता है उसके लिये भी इसी भाव मे लाया जाता है। लेकिन न अक्षर का आधा भाग ही पूरे न के साथ जुडकर न के अन्दर आ की मात्रा से उसे शक्ति से पूर्ण कर दिया है। भोजन को प्राप्त करने का मुख होता है और भोजन को नही करने का भाव अष्टम को माना जाता है। भूखा व्यक्ति अष्टम से देखा जायेगा और भोजन किया हुआ व्यक्ति दूसरे भाव से देखा जायेगा। उपवास को और अधिक जानने के लिये आप राष्ट्रपिता महात्मा गान्धी को भी देख सकते है। और उनका चलता हुआ नाम गान्धी ही सबसे अधिक प्रचिलित है। इस आधे न ने ही उन्हे हर काम को करने के लिये उपवास का सहारा देकर सफ़ल किया था। लेकिन अक्षर ध के अन्दर जुडा होने से और ध पर बडी ई की मात्रा होने से उसे नवे भाव का आदर भी दिया और अन्तर्षाट्रीय ख्याति भी दी। इसी प्रकार से श्री अन्ना हजारे को भी ख्याति केवल उपवास से ही मिली है लेकिन आधे न के चक्कर में एक बार बीच मे टूटी हुयी मानी जाती है तथा बाद के ना के कारण एक बार और उनका अनशन होगा और वह अनशन जीवन की अन्तिम घडी तक माना जा सकता है।

दो नाम और भी आपके सामने एक जैसे है एक तो श्रीमती मायावती का है और दूसरा श्री मुलायम सिंह यादव का है। श्रीमती मायावती के नाम में पहले म फ़िर आ की मात्रा से शक्ति फ़िर य और उसपर भी आ की शक्ति बाद मे व जो साधारण रूप मे है अन्त का अक्षर त जो बडी ही की मात्रा से पूर्ण है। इस नाम में पहले सिंह राशि है जो राज्य की कारक है,बडी शक्ति के रूप में आ की मात्रा उन्हे आगे बढाने के लिये मानी जाती है अक्षर न वृश्चिक राशि का है जो शमशानी जिन्दगी जीने वाली और समाज मे तिरस्कृत जातियों के लिये मानी जा सकती है। अक्षर य पर भी बडे आ की मात्रा आने से इस राशि से सम्बन्धित लोगों का सहायक होना भी माना जा सकता है। इसके बाद अक्षर व के आने से वृष राशि का प्रवेश हो गया है वृष और वृश्चिक आमने सामने की राशिया है और यही राशि जिन तिरस्कृत लोगों के कारण आपका उठाव राजनीति मे हुआ बदनाम करने और दूर जाने के कारण राजनीति छवि से दूरी मानी जा सकती है,आखिरी अक्षर त के द्वारा बडी ई की मात्रा से दुबारा से बेलेन्स करने के कारण फ़िर से लाभ और मित्र बनाने की क्रिया शुरु करना माना जा सकता है। लेकिन अक्षर म के चौथे मे राहु के चलने के कारण खुद के मन मे ही आशंका होना जरूरी है और घर के लोग ही बदनाम करने के लिये भी अपनी चाल को चल सकते है,राहु का वृश्चिक राशि मे होने से खुद के लोग जिन्होने आगे बढाने की क्रिया को सम्पादित किया था वे ही कनफ़्यूजन मे है इस कनफ़्यूजन का लाभ लेने के लिये वही लोग जो पहले राज्य भाव में रहकर फ़ायदा देने के लिये माने जाते थे उन्ही के द्वारा खुद के कार्यों को दो फ़ाडो में बांटने की क्रिया जो केतु के द्वारा सम्पादित की गयी है से दिक्कत मे आना माना जा सकता है। उसी प्रकार से श्रीमुलायम सिंह के नाम में पहला अक्षर म  है जो राज्य से सम्बन्धित है इस अक्षर मे अक्षर उ के प्रवेश करने के कारण जो भी शक्ति राज्य को मिलती है वह सामान्यता और झुक कर प्राप्त की गयी इज्जत से मानी जाती है,दूसरा अक्षर ल जो मेष राशि से सम्बन्धित है के आने से और इस राशि का नवे भाव मे होने से खुद के समाज परिवार जाति पूर्वजो से जुडे हुये लोग विदेश कानून आदि से मिलने वाले लोग और सहायताये आगे बढाने के लिये मानी जाती है,अक्षर य वृश्चिक राशि से जुडा है और अक्षर म और ल से चौथा और आठवां है तथा अन्दरूनी जानकारी सामाजिक संस्थाओं से जो शमशानी कारणो को सामने रखने वाली है के द्वारा खुद के ही लोग दूसरे प्रकार के संगठनो से जुडने के कारण घर से ही कनफ़्यूजन का होना देते है,साथ ही आखिरी अक्षर केवल म के होने से राज्य के द्वारा ही नाम का चलना माना जाता है। दोनो नामो के पहले अक्षर म होने से और म अक्षर के चौथे भाव मे राहु होने से दोनो केलिये ही राजनीति की अगली सीढी बहुत कठिन मानी जाती है,राहु जो खुद के घर मे विराजमान है,वह राहु चाहे हाथी के रूप में (लालकिताब के अनुसार राहु को हाथी बताया गया है) अपमान जोखिम और पाताली कारण पैदा करने के साथ जिस जनता के द्वारा राज्य को प्रदान किया जाता है वही जनता आशंकित है और पहले जैसी श्रद्धा और भावना से दूर मानी जा सकती है,यह भावना भी वृश्चिक के राहु के द्वारा भय से युक्त है,कनफ़्यूजन मे है,एक अनौखी सी छवि जनता के अन्दर है,वह छवि भी राहु की गति को उल्टा देखने के कारण जनता तुला राशि को अपने लिये फ़ायदा देने वाली मान रही है।

इसी श्रेणी में श्रीराजनाथ सिंह का नाम भी लिखना जरूरी है कारण भाजपा के लिये वे उत्तर प्रदेश से एक जिम्मेदार व्यक्ति है। पहला अक्षर र तुला राशि का है और उस पर आ की शक्ति भी अपना प्रभाव दे रही है। अक्षर ज सरकारी काम काज और राज्य के लिये मकर राशि का प्रभाव भी दे रही है। अक्षर न पर भी आ की मात्रा का प्रभाव है,जो वृश्चिक राशि के अन्दर अपनी शक्ति को बहुत ही अधिक प्रभावित कर रही है,अक्षर थ मीन राशि का प्रभाव देने वाला है।वर्तमान मे राहु का प्रभाव अक्षर र के सामने है,केतु असमान्य स्थिति में है,यानी अष्टम में है और खुद के ही साधन खुद को ही काटने वाले माने जा सकते है। कल तक जो न्याय और विदेश आदि के लिये अपना साधन और कानूनी मदद करने वाले थे वही दो लोग केतु की शक्ल मे अपनी योजना से गुप्त रूप से अपनी रिपोर्ट अन्य को प्रदान कर रहे है,सम्मुख खडे लोग जो धन आदि के लिये अपनी हां मिलाने के लिये कल तक तैयार थे वे भी अपनी नीति को असमंजस में डाल रहे है।

अब उत्तर प्रदेश के लिये अक्षरों का विनिमय समझने की कोशिश करे। पहला अक्षर उ जो वृष राशि का है,धन कुटुम्ब और भौतिकता को दिखाने वाला है,जो इन मामलो मे बढ गया है उसी की पैठ इस प्रान्त मे अधिक मानी जाती है,बात मे अक्षर त का आधा होना,और फ़िर त का पूरा होना राज्य से सम्बन्धित मामले मे हमेशा दोहरी गति इस प्रदेश को बेलेन्स करने मे मिली है। अक्षर र भी बेलेन्स करने के लिये अपनी गति को देता है,इसके बाद अक्षर प और र का मिक्स प्रभाव पहले प पुकारा जाना और बाद मे र का पुकारा जाना प्र अक्षर को पैदा करता है,यह प्रभाव कर्जा दुश्मनी बीमारी और इन्हे बेलेन्स करने के कारकों मे अपनी सीमा को प्रदर्शित करता है। इस कारण से पाराशर नियम में भी बताया गया है कि हर भाव का बारहवा भाव उसका विनाशक होता है,कन्या राशि तुला की बारहवी राशि है,इस राशि के कारण ही जब भी राज्य की कोई सीमा निर्धारित की जाती है तभी राज्य का रुख हमेशा बडी आपत्ति को देने के लिये देखी जाती है। शनि जो इस राज्य के लिये भाग्य और राज को प्रदान करने वाले है आज इसी राज्य के अक्षर प्र पर अपना गोचर कर रहे है,यानी कन्या से तुला और वापस फ़रवरी के प्रथम सप्ताह से तुला से कन्या पर,इस प्रकार से वर्तमान के चलने वाले राज्य के राज पर चुनावी कारण भी तैयार है,चुनाव की पहले तारीख तय की गयी थी लेकिन गुरु के मार्गी होते ही तारीखो मे भी बदलाव कर दिया गया है,शनि आठ फ़रवरी से वक्री हो रहे है और इस वक्री गति मे की गयी घोषणा चुनावी तारीखो मे हेर फ़ेर भी दे सकती है और वर्तमान के शासक को साम दाम दण्ड भेद की नीति से राज्य के राज मे जाने का अवसर भी आ सकता है,परन्तु चौबीस जून के बाद अचानक स्थिति का पलटना भी जरूरी है,इस बात से यही समझा जा सकता है,कि राज दो पार्टियों के बीच मे जायेगा और जनवरी दो हजार तेरह के आसपास से ही एक पार्टी अचानक अपनी गति को प्रदान करने के लिये तैयार भी हो जायेगी तब जाकर इस राज्य का राज संभल सकता है। उस समय से मुस्लिम सम्प्रदाय भी अपनी बेलेन्स करने की नीति को तैयार कर सकता है। उससे पहले मुस्लिम सम्प्रदाय भी अपनी मानसिक कनफ़्यूजन वाली गति को नही बना पायेगा।
(आपको यह लेख कैसा लगा अपने विचार जरूर लिखने की कोशिश करे,धन्यवाद)

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