वृष लगन और धन का संकट

कालचक्र के अनुसार वृष लगन धन की राशि है,इस राशि का स्वामी शुक्र है और सकारात्मक राशि का रूप भी इसे मिला है। नाडी ज्योतिष के अनुसार इस राशि के जातकों का झुकाव कन्या और मकर राशि वालों की तरफ़ अधिक होता है। इस राशि वाले जातकों को आजीवन कर्क वृश्चिक और मीन राशि वाले जातकों,स्थानों,कारकों से जूझना पडता है। इस राशि का भौतिक प्रदर्शन कमन्यूकेशन से मुख्य माना जाता है,यह अपने अपने समय में दो तरह की बातें कर सकते है,जब दिक्कत में होंगे तो झुककर बोलेंगे और जब दिक्कतों से दूर होंगे तो अकड कर बोलेंगे। इस राशि वाले जातकों का मुख्य स्वभाव साथ में चलने का होता है,अकेले में चलना इनका मजबूरी में जीवन को खींचना होता है। अक्सर इस राशि वाले वेजेटेरियन भोजन को ही अपना मुख्य भोजन मानते है,इन्हे नानवेजेटेरियन से नफ़रत अधिक होती है,लेकिन किसी जातक के अष्टम में या दूसरे भाव में अगर शनि मंगल की युति मिल जाती है तो यह नानवेजेटेरियन को भी अपनाने लगते है लेकिन नानवेज भोजन या तामसी कारणों के कारण इन्हे मुंह की बीमारी भी होती है।
इस लगन के जातकों के लिये धन के लिये मिथुन राशि वाले काम फ़लदायी होते है,मिथुन राशि वाले कामों के करने से इनके पास नगद धन की आवक होती रहती है,लेकिन यह मिथुन राशि वाले कामों को करने के बाद नगद धन को बचा नही पाते है,वह जैसे आता है वैसे ही खर्च भी हो जाता है। सबसे बडी पहिचान इस लगन वालों की यह होती है कि यह जब भी किसी प्रकार की खरीददारी करते है तो इनके धन को कोई अधिक ले नही सकता है,अगर किसी तरह से कोई इनसे धन को अधिक ले लेता है तो वह किसी न किसी कारण से इनके लिये गये धन से अधिक वापस भी दे देता है। मिथुन राशि के कामो में कमन्यूकेशन के काम मीडिया और पब्लिकेशन वाले काम जासूसी वाले काम और कहने सुनने वाले काम माने जाते है,प्रदर्शन के मामले में भी इस राशि के कामों को जाना जाता है,जैसे कपडे पहिनना फ़ेसन के मामले में जानकारी रखना,शरीर के चलाने के लिये योग और ऐसे ही कामो को जानना भी माना जाता है।

"घर चौथे जब केतु आता,परिवार दूर हो जाता है,भटके अपने लें मौज दूसरे क्या से क्या कर जाता है"

जब भी इस राशि के चौथे भाव मे केतु का आगमन होता है तो अपने लोग तो दूर चले जाते है दूसरे लोग आकर अपनी पैठ इनके साथ या घर मे बना लेते है,वे लोग इनके द्वारा की जाने वाली मेहनत से प्राप्त धन पर मौज करने लगते है और अपना परिवार इधर उधर भटकने लगता है। अक्सर इस युति मे धन की अधिक बरबादी धार्मिक यात्राओं मे और दूर के रिस्तेदारो की सहायता मे ही खर्च होने लगता है।

"केतु लगन चन्द्र से मिलता समय कटे तीमारी में,बचा रहे वह जाता जाये अजब गजब बीमारी में"

वही केतु जब राशि से या लगन से अपना गोचर करने लगता है तो अधिक से अधिक समय आने जाने वाले लोगों के या दूसरे के परिवारो के प्रति की जाने वाली सेवा में कटने लगता है और जो धन बचा हुआ होता है वह घर की अजब गजब यानी जो समझ मे नही आये उन बीमारियों मे लग कर खत्म होता जाता है।

"सप्तम राहु शमशान सिद्धि का राज खुलासा करता है,दक्षिण दिशा की यात्रा मे वह भूखा प्यासा मरता है"

जब केतु का स्थान गोचर से लगन मे होता है तो राहु अपने आप ही सप्तम मे जाकर बैठ जाता है,इस समय मे जातक को अपने अनुसार किसी न किसी प्रकार की भूत प्रेत सिद्ध आदि के लिये अपनी जिज्ञासा प्रकट करने का समय होता है वह अपने अनुसार किसी साधन से भूत प्रेत और इसी प्रकार के तांत्रिक आदि मामले मे अपनी बुद्धि को लगाता रहता है,वह किसी प्रकार से इन्ही कारणो की बजह से जब दक्षिण की लम्बी यात्रा करता है तो वहां उसे धन की कमी या किसी प्रकार की छल या फ़रेब वाली स्थिति के कारण भटकना भी पडता है और भूखा प्यासा मरने की नौबत भी आजाती है।

"बुध बुद्धि और बुध जुबान से क्या से क्या कह जाता है,धन की कमी जब आजाती है तो वाणी को थुथलाता है"

बुध इस राशि के लिये धन देने का कारक है और बुध इस राशि वाले के लिये परिवार का भाव भरता है इस राशि वालो को अक्सर अपने पुरुष जातको से कोई सम्बन्ध नही रह पाता है यहां तक कि वह अपने जीवन साथी से अगर वह पुरुष है तो सम्बन्ध केवल जुबानी रूप से रखता है उसे केवल बहिन बुआ बेटी से ही सम्बन्ध  बनाकर चलने मे सुख प्राप्त होता है,जब धन की कमी आने का समय होता है तो वह इस राशि वाला जातक अपनी जुबान से कुछ कहता है और कुछ बात निकलती है जो भी शब्द बोला जाता है वह स्पष्ट नही होकर जीभ की बजह से थुथलाहट से पूर्ण होता है।


1 comment:

Rajnish Chaursia said...

aapne bilkul shahi lekha hai par esse kase nipta ja sakta hai.