करन एक नाम

महाभारत मे एक नाम बहुत ही इज्जत के साथ लिया जाता है। जब भी किसी दानवीर का नाम सामने आता है तो करन का नाम जरूर लिया जाता है करन के बारे मे आप महाभारत मे वृतांत पढ सकते है। इस्नाम का पहला अक्शर क से शुरु होता है यह मिथुन राशि का ठंडा और गर्म दोनो प्रकार का प्रभाव अपने अन्दर रखता है। बोलने चालने की भाषा मे मिथुन राशि का प्रभाव बहुत ही अच्छा माना जाता है प्रदर्शन के मामले मे भी मिथुन राशि का प्रभाव ही जातक की कुंडली मे देखा जाता है लगन से जहां भी मिथुन राशि स्थापित होती है वही भाव बोल चाल की भाषा के लिये समझ लिया जाता है। मिथुन राशि दो प्रकार की प्रकृति हमेशा अपने साथ लेकर चलती है यह हर अच्छे और बुरे प्रभाव को प्रदर्शित करने के लिये अपने जीवन मे योग्यता को हासिल कर लेती है। जैसे करन का जन्म तो कुन्ती से हुआ था,कुन्ती पुत्र अर्जुन आदि भी थे लेकिन करन की पैदाइस कुन्ती के विवाह से पहले हो गयी थी,करन को नदी मे बहा दिये जाने से उसे सूत यानी मल्लाह ने पाला था इसलिये करन की माता जब राजघराने से थी तो पिता को सूत का नाम दिया जाता है। एक तरफ़ तो राजघराना और दूसरी तरफ़ एक मलिच्छ और नीची जाति का प्रभाव सामने आया। उसके अन्दर दो प्रकार की बाते हमेशा पायी जाती थी जो धर्म युद्ध लडा जा रहा था उसके अन्दर अधर्म का कारक दुर्योधन था और धर्म के लिये यधुष्ठर आदि को बताया जाता था लेकिन करण अधर्म के साथ रहकर धर्म के विरुद्ध युद्ध मे शामिल भी था और बिना दान किये उसे अपनी दिनचर्या भी अधूरी लगती थी,एक तरफ़ तो धर्म के विरुद्ध जाना और दूसरी तरफ़ दान आदि के द्वारा धर्म पर चलना,यह दो बाते भी देखी जाती थी। इस नाम के जातक हमेशा ही दो प्रभाव एक साथ लेकर चलते है। भौतिकता मे जाकर अगर कोई अपने नाम को चलाना चाहता है तो उसे आध्यात्मिकता मे किसी न किसी कारण से जाना पडता है वह राजसी सुख को भोगता है तो उसे जेल जैसे कष्ट भी झेलने पडते है,अगर व्यक्ति की शादी कुलीन खानदान से हुयी है तो उसके अन्दर एक अजीब सी आत्मीय शक्ति अलावा सम्बन्धो के लिये भी सोचने वाले होते है,उसे एक सज्जन के रूप मे जाना जाता है तो उसे एक चुगलखोर और दूसरो की बातो को इधर से उधर करने के मामले मे भी जाना जाता है। इसी प्रकार से हमेशा दो बाते इस प्रकार के जातक के साथ चलती है,बाप अगर धार्मिक होगा तो माता भौतिक होती है,माता अगर स्वस्थ रहती है तो बाप बीमार रहता है। एक पत्नी के या एक पति के बाद भी दूसरा रिस्ता या तो पहले जीवन साथी की मौत के बाद होता है या किसी प्रकार से अविवाहित व्यक्ति के साथ आजीवन रहता है। इस प्रकार का जातक अगर प्रेम से हास परिहास को करने वाला होता है तो वह गाली देने वाला भी होता है। इस राशि के जातक अक्सर दो स्वभाव के होने के साथ दोहरे काम एक साथ करने वाले भी होते है,जब भी उन्हें एक काम से फ़ायदा नहीं होता है तो वह दूसरे काम को भी करने वाले होते है,अक्सर इन्हें एक ही काम में फायदा और नुकसान दोनोही सामान रूप से होते देखे गए है.
करन नाम के अन्दर तीन भाव प्रदर्शित है,पहला मिथुन राशि का दूसरा तुला राशि का और तीसरा वृश्चिक राशि का,इस स्वाभाव के कारण ही इस नाम के जातक अक्सर बात चीत को बैलेंस करके बोलने वाले होते है अपनी ड्रेस और फैसन अदि के मामले में भी बेलेंस रखते है अपने हाव  भाव प्रदर्शन को भी दोहरे प्रभाव से बेलेंस करने के बाद दिखाने वाले होते है.इनकी चाल अक्सर दो प्रकार की देखी जाती है कभी तो यह बहुत ही शर्मा कर चलने वाले होते और कभी उत्तेजना से भाग कर या गुस्से भी जाते हुए देखे जाते है.इनके शरीर में अंगो के भी दो तरह के प्रभाव होते है यह अपने अंगो के संचालन में कभी दाहिने हाथ का अधिक प्रयोग करने लगते है और कभी बाएं का भी प्रयोग करने लगते है,गाने बजाने की ताल स्वर और लय अच्छे और खराब दोनों प्रकार के होते है.यह अपने सम्मुख हमेशा भावुकता से पूर्ण लोगो को ही पाते है और भावना में इनके चहरे का हाव भाव भी बदलता हुआ देखा जा सकता है.अक्सर यह अपने इस प्रभाव के कारण कितने ही बुजदिल व्यक्ति से अपने काम को निकालने में सफल हो जाते है.इनकी भावना में बहकर कई बार लोग इनकी आतंरिक जिज्ञासा को नहीं समझ पाते है और जब यह अपने मतलब में सफल हो जाते है तब जाकर सामने वाले को पता लगता है की इस राशि वाले की मंशा कुछ और ही थी.
नाम के तीसरे अक्षर को सामान्य रूप से शमशानी असर वाला देखा जाता है इनके साथ मित्रता करने के बाद यह किसी जोर जबरदस्ती से अपनी मित्रता को नहीं तोड़ते है बल्कि या तो यह चुप हो जाते है या किसी और रास्ते से किसी अन्य के द्वारा अपने लिए बोलचाल का रास्ता बंद करवा देते है.इस प्रकार से इनके ऊपर चलाकर कोइ बुराई भी नहीं आती है और न ही इन्हें कोइ दोषी मानता है.अक्सर यह गलती करने के बाद जिसके साथ गलती की गयी होती है उसे ही दोषी ठहराते और उस गलती के अन्दर अपनी तरफ इतनी साबूती बाते इकट्ठी कर देते है की सामने वाला इन्ही को सच्चा समझाने लगता है और जिसके साथ गलती हुयी होती है वही दोषी बना दिया जाता है,यह बात अक्सर कोर्ट केश और इसी प्रकार की बातो में देखा जाता है जहां कोइ गलती को सहता भी है और सजा भी प्राप्त करता है इस प्रकार से अक्सर इसी प्रकार के लोगो की गिरफ्त में वह आया हुआ होता है.

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