तुला लगन और शनि दसवे घर मे

तुला लगन मे शनि अगर दसवे घर मे होता है तो वह कर्क राशि का शनि कहलाता है. इस शनि के द्वारा जो भी कार्य किये जाते है वह उनकी सोच के अनुसार ऐसे होने चाहिये जो खूब धन दे सके जिससे वे अपने घर और मकान आदि की साज सज्जा को कर सके। इनके लिये जनता वाले काम खूब फ़लते है,जहां पर जनता इन्हे घेरे रहे यह काम इन्हे अच्छे लगते है,अकेले बैठ कर इनके द्वारा काम नही किये जा सकते है। बच्चो वाले काम लोगो को समझाने वाले काम पानी वाले काम लिक्विड फ़ूड वाले काम घुमाने फ़िराने वाले काम जंगलो आदि मे तथा वीराने मे उत्सुकता वाले काम फ़ोटो ग्राफ़ी वाले काम लोगो को ठहराने वाले काम जल यात्रा से सम्बन्धित काम पबलिक को सम्भालने वाले काम आदि ठीक रहते है। अक्सर ऐतिहासिक स्थानो मे उनके लिये बताने वाले काम भी फ़ायदा देने वाले होते है। इसके अलावा एंटिक सामान को बेचने वाले काम पुरानी बिल्डिंग को सम्भालने वाले काम भोजन से सम्बन्धित काम संस्था को चलाने वाले काम भोजन पकाने वाले काम बहुत कमजोर स्थिति मे होटलो मे साफ़ सफ़ाई वाले काम मछली उद्योग वाले काम फ़र्नीचर को संभालने वाले काम बाग बगीचा को लगाने और ठेके पर संभालने वाले काम इतिहास से सम्बन्धित चीजो को खरीदने बेचने वाले काम घर को बनाने और बनाकर बेचने वाले काम आफ़िसो और घरो को साफ़ करने वाले ठेके वाले काम संगीत वाले काम फ़ोटोग्राफ़र वाले काम रेस्टोरेन्ट वाले काम होटल मैनेजर वाले काम खुद के द्वारा घरो मे नौकर आदि सप्लाई वाले काम सामाजिक कार्यकर्ता के रूप मे किये जाने वाले काम स्टोर आदि के लिये किये जाने वाले काम बडे बच्चो को शिक्षा के लिये आगे बढाने वाले काम वेटर और इसी प्रकार के लेबर सप्लई तथा शिक्षा देने वाले काम बच्चो बुजुर्गो तथा परिवारो को सम्भालने वाले काम जानवरो को पाल कर दूध आदि सप्लाई वाले काम इसके साथ ही खाद नाट्रोजन खेती के लिये उपयोग मे आने वाले जीवाश्मो का काम कबाडी वाले काम तथा पुराने वाहन आदि को खरीद कर उन्हे ठीक करवाने के बाद बेचने वाले काम माने जा सकते है।
रत्न जो सहायता कर सकते है
इस लगन के लिये सफ़ेद नीलम कार्य क्षेत्र को आगे बढाने वाला माना जाता है। सवा पांच रत्ती से सात रत्ती तक का नीलम दाहिने हाथ की बीच वाली उंगली मे पुरुष तथा बायें हाथ की बीच वाली उंगली मे महिलाये पहिन सकती है।
वर्तमान मे इस लगन की स्थिति
वर्तमान मे तुला लगन के सामने राहु विराजमान है,धन और अपने खुद के लोगो से कनफ़्यूजन वाली स्थिति को माना जा सकता है। इस समय मे तुला लगन वाले अपने कार्य क्षेत्र मे केवल प्लान बनाने के अलावा और कोई काम नही कर पा रहे है जहां भी धन कमाने के कारण बनते है सभी किसी न किसी बात से कनफ़्यूजन मे आकर धन के लिये दिक्कत देने के लिये ही माने जा सकते है। शनि के बारहवे भाव मे होने से और गुरु के सप्तम स्थान मे वक्री होने से जो भी पिछला जमा है उसे ही किसी न किसी प्रकार से खर्च करने के लिये माना जा सकता है जैसे कोई पुरानी जायदाद है उसके लिये साधन बनाकर उसे निर्माण करने मे और बिना किसी हील हुज्जत के खर्च करने की बात मानी जा सकती है,इस समय मे अगर इस लगन वाले एन्टिक आइटम तथा पुराने बेकार के पडे सामान आदि से अपने लिये दिमाग को लगाकर कोई धन कमाने का क्षेत्र निकालना चाहते है तो वह ठीक रहेगा,इस समय अक्सर दिमागी परेशानी के कारण इस लगन वाले किसी न किसी प्रकार के तामसिक कारणो मे घुसने के बाद अपने बहुमूल्य समय को बरबाद करने की कोशिश करते है इसके साथ ही उन कामो की तरफ़ अपने मन को ले जाते है जो किसी भी प्रकार से फ़ायदा देने वाले नही होते है,इस समय मे जो भी कार्य कबाड से जुगाड निकालने वाले है वही नकद धन दे सकते है। घर से बाहर रहने का समय अब समाप्त होने जा रहा है जो नवम्बर के महिने मे एक ही स्थान पर टिकने का कार्य माना जा सकता है और दोहरे काम एक साथ करने का कारण भी बनना पाया जाता है।

दसवां शनि और वैवाहिक जीवन

उदाहरण के रूप मे एक कुम्भ लगन की कुंडली को सामने लेते है जिसके अनुसार लगन कुम्भ है,तीसरे भाव मे राहु है,अष्टम भाव मे मंगल चन्द्र है यानी कन्या राशि है,शुक्र केतु सूर्य नवे भाव मे है,शनि बुध दसवे भाव मे है,गुरु बारहवे भाव मे है। लगनेश और सप्तमेश का मिलान ही शादी का रूप कहा जाता है। लगनेश शनि और सप्तमेश सूर्य इनके मिलने का रूप सभी को समझ मे आता है कि सुबह शाम के अलावा इनका मिलन होता ही नही है.कारण भी है कि जहां शनि की सीमा समाप्त होती है वही से सूर्य की सीमा चालू हो जाती है। दसवे भाव मे बैठा लगनेश शनि मंगल की वृश्चिक राशि मे है,शनि की तिर्यक नजर जिस भाव मे पडती है उसी भाव को काटने का काम करती है साथ ही जिस ग्रह के साथ पडती है उसे भी काटने का काम करती है। शनि कार्य को मेहनत वाला बना रहा है,शनि के द्वारा बाहरी सम्बन्धो को केवल चालाकी और अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये अपनाया जा रहा है,शनि के द्वारा अपने ही लोगो से झूठ बोलकर अनैतिक काम करने के लिये अपनी योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है,माता मन मकान वाहन मानसिक सोच मे केवल धन ही समझ मे आ रहा है इसके अलावा अपने को दिखावा करने की बात भी सामने आ रही है,शिक्षा मे भी केवल वही कार्य समझ मे आ रहे है जो अपने द्वारा खुद काम करने सीखे जाये। धन के लिये तीन कारक ही जिम्मेदार है सरकार धन से सम्बन्धित कम्पनिया जैसे बैंक आदि और धन को उगाहने वाले काम या धन की समीक्षा वाले काम। पिता का भी यही कार्य माना जा सकता है,या तो खाने पीने के सामान का या खुद के द्वारा लोन आदि के द्वारा चलाये जाने वाले काम या धन को धन कमाने वाले कार्य दूसरो को धन दिलवाकर कमीशन आदि के काम।सबसे अधिक फ़ायदा देने वाले कारको मे विदेश से सम्बन्धित लोग या विदेशी काम चाहे वह यात्रा से सम्बन्धित हो या किसी प्रकार के परिधान से सम्बन्धित काम हो। शादी विवाह के लिये खुद की बुआ या खुद की रिस्तेदार ही अपनी बात को आगे बढाने वाली मिलती है,शादी का समय उम्र का पच्चीसवा साल और इकत्तीसवा साल मिलता है,एक मानसिक रिस्ता उन्नीसवी साल से भी चलता हुआ माना जा सकता है। दो शादी होने का योग है।

वृष लगन का तीसरा शुक्र

प्रस्तुत चित्र मे वृष लगन की कुंडली है और शुक्र जो इस लगन का मालिक है तीसरे स्थान मे सुखेश सूर्य और पंचमेश तथा धनेश बुध के साथ विराजमान है.इस कुंडली मे भाग्येश और कार्येश शनि है जो सप्तम स्थान मे वक्री होकर विराजमान है। इस कुंडली को देखने से ही पता चलता है कि यह एक ऐसे जातक की कुंडली है जिसके दाहिने हाथ मे सरकार व्यापार और सजावट है जो सभी तरह से पबलिक के अन्दर है,तथा बाये हाथ मे आसमानी गणना है जो किसी भी प्रकार की समस्या को सुलझाने मे और किसी भी कार्य मे अपने को छा जाने वाली आदत से समझा जा सकता है। इस जातक के मन मे हिम्मत है और बुद्धि मे किसी की भी सहायता करने के कारक है,साथ ही यह जातक अपने को गूढ विद्या के पैरो पर खडा करने के बाद अपनी शक्ति को जो दिमागी शक्ति के नाम से जानी जाती है से उन लोगों को सहायता देने की कोशिश मे है जो या तो बाहर रहते है या फ़िर किसी प्रकार से अपने पारिवारिक सम्बन्धो से या मानसिक कारणो से ग्रस्त है। जातक के अन्दर दिमागी रूप से बडे काम करने की कला को भी माना जा सकता है,असंख्य मित्रों की श्रेणी मे जातक को वह सभी बाते समझाने की कला है कि वह किसी भी प्रकार की सरकारी कार्य व्यवस्था के बारे मे लिख सकता है प्रसारित कर सकता है,सजा संवार सकता है,तकनीकी रूप से राजकीय या राज्य के स्थान के बारे ऊंचे स्थान पर बैठ कर अपनी राय प्रकट कर सकता है।

वृष लगन के जातक के जब तीसरे भाव मे शुक्र स्थापित हो जाता है तो वह अधिकतर मामले मे अशुभ ही कहा जाता है। इसका कारण है कि तीसरा घर चन्द्रमा की कर्क राशि है और चन्द्रमा तथा शुक्र मे मानसिक रूप से नही बनती है। लेकिन किसी कारण से इस शुक्र पर अगर किसी प्रकार से राहु का असर और भी शामिल हो जाये तो व्यक्ति के दिमाग का पता सही रूप से नही चल पाता है वह हमेशा अपने को हवाई किले बनाने और छोटी हवाई यात्राओं मे मशूगल रहने के लिये भी माना जा सकता है। इस स्थान पर शुक्र के लिये एक बात और भी मानी जाती है कि जातक दिमागी रूप से कलाकार भी होता है इसके लिये हकीकत मे देखा जाये तो इस घर का मालिक मंगल भी है,यह मंगल का पक्का घर भी माना जाता है। मंगल का पराक्रम जब शुक्र मे शामिल हो जाता है तो वह तकनीकी रूप से अपने को सजावटी कामो की तरफ़ भी ले जा सकता है और सरकारी सन्स्थानो मे अपने को तकनीकी रूप से प्रस्तुत भी कर सकता है। शुक्र के साथ सूर्य होने से जातक के लिये एक बात और भी मानी जा सकती है कि वह छोटी यात्राये करने के बाद अपने को टूर आपरेटर या हवाई यात्रा के लिये दूरस्थ लोगों के लिये अपने कार्यों की सेवाओं को भी दे सकता है।

धन आने के योग.

प्रस्तुत कुंडली मकर लगन की है,इस कुंडली मे लगनेश शनि का स्थान पंचम भाव मे है.मुख्य त्रिकोण मे स्थान होने के कारण शनि की गरिमा तो बढी है लेकिन लगन मे स्थापित राहु ने चन्द्रमा की शक्ति को अपने मे ग्रहण कर लिया है,लगन को बल देने वाले ग्रहों मे सूर्य शुक्र और केतु भी है इन ग्रहों के बलो को भी राहु ने ग्रहण कर लिया है,शनि का बल पंचम से शुक्र सूर्य केतु के साथ गुरु को भी जा रहा था वह बल भी पहले तो सूर्य शुक्र केतु के द्वारा राहु को चला गया और बाद मे जो भी बचा वह ग्यारहवे भाव मे विराजमान गुरु के द्वारा राहु को दे दिया गया। इस कुंडली मे सबसे अधिक बलकारक ग्रह राहु है और भाग्य की जो भी शक्ति थी वह बुध के रूप मे अष्टम यानी खड्डे मे चली गयी। जातक के जीवन मे सबसे पहले बुद्धि से फ़िर सहायक कारको से जैसे जीवन साथी साझेदार काम के अन्दर मिलने वाले सहायक बल फ़िर लाभ के स्थान मे जहां पर वृश्चिक राशि का गुरु बैठा है,के साथ धन भाव तथा कुटुम्ब भाव पर लगनेश की ही शक्ति से यह सभी कारण फ़्रीज होना माना जाता है। भाग्येश के अष्टम मे होने के कारण जातक को जो भी नगद सहायता मिल रही है वह गुप्त रूप से अष्टम बुध के द्वारा मिल रही है,यह बुध धर्म और भाग्य का भी कारक है तथा नौकरी कर्जा बीमारी बैंकिंग फ़ायनेंश बीमा ब्याज आदि के कामो का भी मालिक है। इस कुंडली मे मंगल उच्च का   लाभ देने का मालिक भी और सुख का कारक भी है लेकिन मंगल के वक्री होने से वह अपना नीच का फ़ल देने लगा है। राहु कभी भी वक्री ग्रह को अपने घेरे मे नही लेता है इसलिये केवल वक्री मंगल और भाग्येश का बल ही जातक को जीवन यापन के लिये अपनी युति को दे रहा है। भाग्येश के अष्टम स्थान मे जाने से अक्सर जो कारण जीवन के लिये मिलते है वे केवल अस्पताली कारण धन के बारे मे मृत्यु के बाद की सम्पत्तियां गूढ कार्य जैसे ज्योतिष और तंत्र आदि,जमीन के नीचे से निकलने वाले रत्न और पत्थर आदि के बारे मे भी जाना जाता है। वैसे शनि जब सप्तम मे शुक्र से अपनी युति लेता है तो जातक को धन वाले कार्य ही करने पडते है लेकिन सभी धन वाले कार्य अचल सम्पत्ति के लिये किये जाने माने जाते है,कर्क का शुक्र गाडी भी है सजा हुआ मकान भी है,कर्क का सूर्य शाही निवास भी है,कर्क का केतु गाडी और शाही मकान को संचालित करने की कला भी देता है,राहु चन्द्र से कार्य भी है और कार्य के लिये हमेशा चिन्ता भी है,लाभ भाव मे तीसरे और बारहवे भाव के मालिक गुरु का होना धन को जो पहले से जमा किया जाता रहा हो या कोई मृत्यु के बाद की सम्पत्ति को प्राप्त करना भी माना जा सकता के लिये भी माना जा सकता है। भाग्येश के साथ वर्तमान मे गोचर से गुरु का व्यापार आदि करने तथा ज्योतिष रत्न व्यवसाय विदेश व्यापार तथा इसी प्रकार के कानूनी कामो से परे कार्य करने का अवसर भी मिल रहा है लेकिन गुरु के साथ राहु का गोचर आने वाले धन के प्रति कनफ़्यूजन या किसी भी व्यापारिक कार्य को किये जाने के बाद उसे कचरा बना देने के लिये भी माना जा सकता है।

शनि जब शुक्र से युति लेता है तो धन और भौतिक कारण तो प्रदान करता है लेकिन खुद की सुरक्षा के प्रति मिलने वाले धन या सम्पत्ति के मामले मे बैचेनी देता है,यह सब उम्र की बयालीस साल तक चलता है,सब कुछ होता है लेकिन मानसिक शांति नही होती है।

शनि जब सूर्य से युति लेता है तो वास्तु अनुसार घर को बनाया जाता है सरकार से सम्बन्धित कामो के लिये प्रयास भी किये जाते है लेकिन अपनी युति से जातक को भटकाव अधिक देता है,जब जातक अपने मन मे शांति स्थापित कर लेता है तो वह सरकार या पिता या पति के पिता के घर से सम्पत्ति को प्राप्त करने मे सफ़ल हो जाता है।

शनि जब केतु से युति लेता है तो जातक के पास कार्य संचालन के तरीके तो सभी होते है लेकिन अक्सर किसी न किसी कारण से जातक के दिमाग मे नकारात्मक भाव अधिक होते है जातक को संचालित करने के लिये सभी साधन मिल जाते है और वह अपने दिमाग से सम्पत्ति की सुरक्षा कर सकता है सार संभाल कर सकता है वाहन को चला सकता है घरेलू साज सज्जा को बना सकता है जंगलात से मिले सामान से घर क सजाने की कला भी रखता है,लेकिन उस का फ़ायदा दूसरे लोग उठा ले जाते है उसे कुछ नही मिल पाता है।

शनि का योगात्मक रूप जब गुरु से मिलता है तो जातक के दोस्तो मे जातक के सम्बन्धो मे या जातक के किये जाने वाले जीवन साथी वाले रिस्ते मे अथवा पिता की मृत्यु के बाद की सम्पत्ति का मिलना भी पाया जाता है,जातक को विदेश आदि जाने के कारण भी बनते है और जातक अक्सर धन को विदेश से प्राप्त भी करता है लेकिन दिमागी चिन्ता को करने के बाद वह अपने द्वारा किये जाने वाले प्रयासो को अपने आप सी समाप्त भी कर लेता है। अक्सर इस युति मे जातक को गलत ढंग से धन इकट्ठा करने की बात भी देखी जाती है और वह अक्सर राख से साख बनाने की हिम्मत भी रखता है।

शनि का त्रिकोणात्मक साथ जब चन्द्रमा के साथ हो जाता है तो जातक को धार्मिक रूप से जानने वाले लोग ही उसके लिये साधन जुटाने का काम करते है और जातक के बदलने वाले दिमाग से कभी कभी जानने वाले लोगों के अन्दर कनफ़्यूजन भी पैदा हो जाता है कि कल इसने कुछ कहा था आज यह कुछ कह रहा है इस प्रकार से जातक को अपनी साख मे भी बट्टा लगने वाली बात मिलती है यह प्रभाव अक्सर शनि का योगात्मक प्रभाव चन्द्रमा से मिलने के कारण भी होता है।

शनि का त्रिकोणात्मक साथ जब राहु से हो जाता है तो जातक के दिमाग मे ज्योतिष सम्बन्धी काम करने की कला का भी विकास होता है लेकिन बदलने वाले दिमाग के कारण अगर जातक ज्योतिष या इसी प्रकार के कारणो को ग्रहण भी करना चाहे तो उसका दिमाग बदलने के कारण अक्सर वह एक के बाद दूसरे लोगों से अपनी बात की सच्चाई को जानने का प्रयास करता है इस प्रकार से जातक का दिमाग एक स्थान पर नही टिकने के कारण वह किसी से भी फ़ायदा नही ले पाता है।

शनि का त्रिकोणात्मक प्रभाव वक्री मंगल से होने के कारण अक्सर जातक के द्वारा जो भी कार्य किये जाते है वह आक्षेप देने के कारण बेकार हो जाते है उसके द्वारा जो भी कार्य किया जाता है या कार्य के लिये शक्ति का प्रयोग किया जाता है वहां पर तकनीकी दिमाग का प्रयोग करने के बाद जो कार्य हो रहा होता है वह अक्सर बेकार हो जाता है अथवा जातक के द्वारा जब कोई काम खराब कर दिया जाता है तो जातक उस काम के लिये अन्य लोगों को दोषी भी ठहराने लगता है। यही कारण अक्सर जीवन के प्रति साथ चलने वाले लोगों के लिये भी माना जाता है जैसे कि जातक ने शादी की और पारिवारिक कारणो से या माता की हठधर्मी या अपने दिमागी कनफ़्यूजन के कारण कोई दोष जीवन साथी मे निकाल कर उससे दूरिया बना लेना या तलाक आदि लेना भी माना जा सकता है,इसके अलावा भी अगर कोई कारण बना तो यह वक्री मंगल जीवन साथी के अन्दर कोई शारीरिक कमी को भी देता है जिससे जीवन के प्रति उदाशीनता को ही अधिक माना जा सकता है।
जातक को धन मिलने वाले समय की गणना
जातक को धन इन युतियों मे मिलने का कारण बनता है:-
  • भाग्येश बुध से लाभेश मंगल कार्येश शुक्र सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र लगनेश शनि धनेश शनि का गोचर से जन्म के बुध के साथ गोचर हो.
  • कार्येश शुक्र का लाभेश मंगल सुखेश मंगल लगनेश शनि पंचमेश शुक्र धनेश शनि से गोचर से जन्म के कार्येश शुक्र के साथ गोचर हो.
  • लाभेश मंगल का धनेश शनि लगनेश शनि से गोचर से जन्म के मंगल के साथ युति बने.
  • लगनेश शनि का सुखेश मंगल धनेश शनि पंचमेश शुक्र से गोचर से जन्म के शनि के साथ योग बने.
  • धनेश शनि का सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र से योगात्मक रूप जन्म के शनि के साथ बने.
  • सुखेश मंगल के साथ पंचमेश शुक्र से गोचर से जन्म के मंगल के साथ योगात्मक रूप बने.
अगर भाग्येश और षष्ठेस एक ही ग्रह हो
मकर लगन की कुंडली मे भाग्येश और षष्ठेश बुध एक ही ग्रह है,यह धन आने का कारण तो बनायेंगे लेकिन अधिकतर मामले मे धनेश,लगनेश,सुखेश,कार्येश के प्रति धन को या तो नौकरी से प्राप्त करवायेंगे या कर्जा से धन देने के लिये अपनी युति को देंगे.
ज्योतिषीय धन आने के उपाय
  • वक्री मंगल के लिये यह जरूरी है कि किसी से भी कोई वस्तु बिना मूल्य चुकाये नही ले,हो सके तो दान मे दी जाने वाली वस्तुओं का परित्याग करे.
  • वक्री मंगल से अधिकतर मामले मे बात झूठ के सहारे से पूरी की जाती है इसलिये झूठ का सहारा नही ले और जो भी है उसे हकीकत मे बयान करने से मंगल सहायक हो जायेगा.
  • कभी भी नाखून दांत हड्डी सींग बाल आदि से बने सामान का प्रयोग नही करे,और ना ही घर मे रखें.
  • मूंगा सवा सात रत्ती का गोल्ड मे या तांबे मे पेंडेंट की शक्ल मे बनवा कर गले मे धारण करे.
  • भाग्येश को बल देने के लिये चौडे पत्ते वाले पेड घर मे लगायें,दांत साफ़ रखे,किसी प्रकार की झूठी गवाही या इसी प्रकार के दस्तावेज को प्रस्तुत करने के बाद अपने काम को निकालने की कोशिश नही करे,अन्यथा झूठे मुकद्दमे या इसी प्रकार के आक्षेप बजाय धन देने के पास से भी खर्च करवा सकते है.
  • बायें हाथ की कनिष्ठा उंगली मे सवा पांच रत्ती का पन्ना पहिने.
  • किसी भी पीर फ़कीर का दिया ताबीज या यंत्र घर या पूजा मे नही रखें.