प्रस्तुत चित्र मे वृष लगन की कुंडली है और शुक्र जो इस लगन का मालिक है तीसरे स्थान मे सुखेश सूर्य और पंचमेश तथा धनेश बुध के साथ विराजमान है.इस कुंडली मे भाग्येश और कार्येश शनि है जो सप्तम स्थान मे वक्री होकर विराजमान है। इस कुंडली को देखने से ही पता चलता है कि यह एक ऐसे जातक की कुंडली है जिसके दाहिने हाथ मे सरकार व्यापार और सजावट है जो सभी तरह से पबलिक के अन्दर है,तथा बाये हाथ मे आसमानी गणना है जो किसी भी प्रकार की समस्या को सुलझाने मे और किसी भी कार्य मे अपने को छा जाने वाली आदत से समझा जा सकता है। इस जातक के मन मे हिम्मत है और बुद्धि मे किसी की भी सहायता करने के कारक है,साथ ही यह जातक अपने को गूढ विद्या के पैरो पर खडा करने के बाद अपनी शक्ति को जो दिमागी शक्ति के नाम से जानी जाती है से उन लोगों को सहायता देने की कोशिश मे है जो या तो बाहर रहते है या फ़िर किसी प्रकार से अपने पारिवारिक सम्बन्धो से या मानसिक कारणो से ग्रस्त है। जातक के अन्दर दिमागी रूप से बडे काम करने की कला को भी माना जा सकता है,असंख्य मित्रों की श्रेणी मे जातक को वह सभी बाते समझाने की कला है कि वह किसी भी प्रकार की सरकारी कार्य व्यवस्था के बारे मे लिख सकता है प्रसारित कर सकता है,सजा संवार सकता है,तकनीकी रूप से राजकीय या राज्य के स्थान के बारे ऊंचे स्थान पर बैठ कर अपनी राय प्रकट कर सकता है।
वृष लगन के जातक के जब तीसरे भाव मे शुक्र स्थापित हो जाता है तो वह अधिकतर मामले मे अशुभ ही कहा जाता है। इसका कारण है कि तीसरा घर चन्द्रमा की कर्क राशि है और चन्द्रमा तथा शुक्र मे मानसिक रूप से नही बनती है। लेकिन किसी कारण से इस शुक्र पर अगर किसी प्रकार से राहु का असर और भी शामिल हो जाये तो व्यक्ति के दिमाग का पता सही रूप से नही चल पाता है वह हमेशा अपने को हवाई किले बनाने और छोटी हवाई यात्राओं मे मशूगल रहने के लिये भी माना जा सकता है। इस स्थान पर शुक्र के लिये एक बात और भी मानी जाती है कि जातक दिमागी रूप से कलाकार भी होता है इसके लिये हकीकत मे देखा जाये तो इस घर का मालिक मंगल भी है,यह मंगल का पक्का घर भी माना जाता है। मंगल का पराक्रम जब शुक्र मे शामिल हो जाता है तो वह तकनीकी रूप से अपने को सजावटी कामो की तरफ़ भी ले जा सकता है और सरकारी सन्स्थानो मे अपने को तकनीकी रूप से प्रस्तुत भी कर सकता है। शुक्र के साथ सूर्य होने से जातक के लिये एक बात और भी मानी जा सकती है कि वह छोटी यात्राये करने के बाद अपने को टूर आपरेटर या हवाई यात्रा के लिये दूरस्थ लोगों के लिये अपने कार्यों की सेवाओं को भी दे सकता है।
वृष लगन के जातक के जब तीसरे भाव मे शुक्र स्थापित हो जाता है तो वह अधिकतर मामले मे अशुभ ही कहा जाता है। इसका कारण है कि तीसरा घर चन्द्रमा की कर्क राशि है और चन्द्रमा तथा शुक्र मे मानसिक रूप से नही बनती है। लेकिन किसी कारण से इस शुक्र पर अगर किसी प्रकार से राहु का असर और भी शामिल हो जाये तो व्यक्ति के दिमाग का पता सही रूप से नही चल पाता है वह हमेशा अपने को हवाई किले बनाने और छोटी हवाई यात्राओं मे मशूगल रहने के लिये भी माना जा सकता है। इस स्थान पर शुक्र के लिये एक बात और भी मानी जाती है कि जातक दिमागी रूप से कलाकार भी होता है इसके लिये हकीकत मे देखा जाये तो इस घर का मालिक मंगल भी है,यह मंगल का पक्का घर भी माना जाता है। मंगल का पराक्रम जब शुक्र मे शामिल हो जाता है तो वह तकनीकी रूप से अपने को सजावटी कामो की तरफ़ भी ले जा सकता है और सरकारी सन्स्थानो मे अपने को तकनीकी रूप से प्रस्तुत भी कर सकता है। शुक्र के साथ सूर्य होने से जातक के लिये एक बात और भी मानी जा सकती है कि वह छोटी यात्राये करने के बाद अपने को टूर आपरेटर या हवाई यात्रा के लिये दूरस्थ लोगों के लिये अपने कार्यों की सेवाओं को भी दे सकता है।
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