प्रस्तुत कुंडली मकर लगन की है,इस कुंडली मे लगनेश शनि का स्थान पंचम भाव मे है.मुख्य त्रिकोण मे स्थान होने के कारण शनि की गरिमा तो बढी है लेकिन लगन मे स्थापित राहु ने चन्द्रमा की शक्ति को अपने मे ग्रहण कर लिया है,लगन को बल देने वाले ग्रहों मे सूर्य शुक्र और केतु भी है इन ग्रहों के बलो को भी राहु ने ग्रहण कर लिया है,शनि का बल पंचम से शुक्र सूर्य केतु के साथ गुरु को भी जा रहा था वह बल भी पहले तो सूर्य शुक्र केतु के द्वारा राहु को चला गया और बाद मे जो भी बचा वह ग्यारहवे भाव मे विराजमान गुरु के द्वारा राहु को दे दिया गया। इस कुंडली मे सबसे अधिक बलकारक ग्रह राहु है और भाग्य की जो भी शक्ति थी वह बुध के रूप मे अष्टम यानी खड्डे मे चली गयी। जातक के जीवन मे सबसे पहले बुद्धि से फ़िर सहायक कारको से जैसे जीवन साथी साझेदार काम के अन्दर मिलने वाले सहायक बल फ़िर लाभ के स्थान मे जहां पर वृश्चिक राशि का गुरु बैठा है,के साथ धन भाव तथा कुटुम्ब भाव पर लगनेश की ही शक्ति से यह सभी कारण फ़्रीज होना माना जाता है। भाग्येश के अष्टम मे होने के कारण जातक को जो भी नगद सहायता मिल रही है वह गुप्त रूप से अष्टम बुध के द्वारा मिल रही है,यह बुध धर्म और भाग्य का भी कारक है तथा नौकरी कर्जा बीमारी बैंकिंग फ़ायनेंश बीमा ब्याज आदि के कामो का भी मालिक है। इस कुंडली मे मंगल उच्च का लाभ देने का मालिक भी और सुख का कारक भी है लेकिन मंगल के वक्री होने से वह अपना नीच का फ़ल देने लगा है। राहु कभी भी वक्री ग्रह को अपने घेरे मे नही लेता है इसलिये केवल वक्री मंगल और भाग्येश का बल ही जातक को जीवन यापन के लिये अपनी युति को दे रहा है। भाग्येश के अष्टम स्थान मे जाने से अक्सर जो कारण जीवन के लिये मिलते है वे केवल अस्पताली कारण धन के बारे मे मृत्यु के बाद की सम्पत्तियां गूढ कार्य जैसे ज्योतिष और तंत्र आदि,जमीन के नीचे से निकलने वाले रत्न और पत्थर आदि के बारे मे भी जाना जाता है। वैसे शनि जब सप्तम मे शुक्र से अपनी युति लेता है तो जातक को धन वाले कार्य ही करने पडते है लेकिन सभी धन वाले कार्य अचल सम्पत्ति के लिये किये जाने माने जाते है,कर्क का शुक्र गाडी भी है सजा हुआ मकान भी है,कर्क का सूर्य शाही निवास भी है,कर्क का केतु गाडी और शाही मकान को संचालित करने की कला भी देता है,राहु चन्द्र से कार्य भी है और कार्य के लिये हमेशा चिन्ता भी है,लाभ भाव मे तीसरे और बारहवे भाव के मालिक गुरु का होना धन को जो पहले से जमा किया जाता रहा हो या कोई मृत्यु के बाद की सम्पत्ति को प्राप्त करना भी माना जा सकता के लिये भी माना जा सकता है। भाग्येश के साथ वर्तमान मे गोचर से गुरु का व्यापार आदि करने तथा ज्योतिष रत्न व्यवसाय विदेश व्यापार तथा इसी प्रकार के कानूनी कामो से परे कार्य करने का अवसर भी मिल रहा है लेकिन गुरु के साथ राहु का गोचर आने वाले धन के प्रति कनफ़्यूजन या किसी भी व्यापारिक कार्य को किये जाने के बाद उसे कचरा बना देने के लिये भी माना जा सकता है।
शनि जब शुक्र से युति लेता है तो धन और भौतिक कारण तो प्रदान करता है लेकिन खुद की सुरक्षा के प्रति मिलने वाले धन या सम्पत्ति के मामले मे बैचेनी देता है,यह सब उम्र की बयालीस साल तक चलता है,सब कुछ होता है लेकिन मानसिक शांति नही होती है।
शनि जब सूर्य से युति लेता है तो वास्तु अनुसार घर को बनाया जाता है सरकार से सम्बन्धित कामो के लिये प्रयास भी किये जाते है लेकिन अपनी युति से जातक को भटकाव अधिक देता है,जब जातक अपने मन मे शांति स्थापित कर लेता है तो वह सरकार या पिता या पति के पिता के घर से सम्पत्ति को प्राप्त करने मे सफ़ल हो जाता है।
शनि जब केतु से युति लेता है तो जातक के पास कार्य संचालन के तरीके तो सभी होते है लेकिन अक्सर किसी न किसी कारण से जातक के दिमाग मे नकारात्मक भाव अधिक होते है जातक को संचालित करने के लिये सभी साधन मिल जाते है और वह अपने दिमाग से सम्पत्ति की सुरक्षा कर सकता है सार संभाल कर सकता है वाहन को चला सकता है घरेलू साज सज्जा को बना सकता है जंगलात से मिले सामान से घर क सजाने की कला भी रखता है,लेकिन उस का फ़ायदा दूसरे लोग उठा ले जाते है उसे कुछ नही मिल पाता है।
शनि का योगात्मक रूप जब गुरु से मिलता है तो जातक के दोस्तो मे जातक के सम्बन्धो मे या जातक के किये जाने वाले जीवन साथी वाले रिस्ते मे अथवा पिता की मृत्यु के बाद की सम्पत्ति का मिलना भी पाया जाता है,जातक को विदेश आदि जाने के कारण भी बनते है और जातक अक्सर धन को विदेश से प्राप्त भी करता है लेकिन दिमागी चिन्ता को करने के बाद वह अपने द्वारा किये जाने वाले प्रयासो को अपने आप सी समाप्त भी कर लेता है। अक्सर इस युति मे जातक को गलत ढंग से धन इकट्ठा करने की बात भी देखी जाती है और वह अक्सर राख से साख बनाने की हिम्मत भी रखता है।
शनि का त्रिकोणात्मक साथ जब चन्द्रमा के साथ हो जाता है तो जातक को धार्मिक रूप से जानने वाले लोग ही उसके लिये साधन जुटाने का काम करते है और जातक के बदलने वाले दिमाग से कभी कभी जानने वाले लोगों के अन्दर कनफ़्यूजन भी पैदा हो जाता है कि कल इसने कुछ कहा था आज यह कुछ कह रहा है इस प्रकार से जातक को अपनी साख मे भी बट्टा लगने वाली बात मिलती है यह प्रभाव अक्सर शनि का योगात्मक प्रभाव चन्द्रमा से मिलने के कारण भी होता है।
शनि का त्रिकोणात्मक साथ जब राहु से हो जाता है तो जातक के दिमाग मे ज्योतिष सम्बन्धी काम करने की कला का भी विकास होता है लेकिन बदलने वाले दिमाग के कारण अगर जातक ज्योतिष या इसी प्रकार के कारणो को ग्रहण भी करना चाहे तो उसका दिमाग बदलने के कारण अक्सर वह एक के बाद दूसरे लोगों से अपनी बात की सच्चाई को जानने का प्रयास करता है इस प्रकार से जातक का दिमाग एक स्थान पर नही टिकने के कारण वह किसी से भी फ़ायदा नही ले पाता है।
शनि का त्रिकोणात्मक प्रभाव वक्री मंगल से होने के कारण अक्सर जातक के द्वारा जो भी कार्य किये जाते है वह आक्षेप देने के कारण बेकार हो जाते है उसके द्वारा जो भी कार्य किया जाता है या कार्य के लिये शक्ति का प्रयोग किया जाता है वहां पर तकनीकी दिमाग का प्रयोग करने के बाद जो कार्य हो रहा होता है वह अक्सर बेकार हो जाता है अथवा जातक के द्वारा जब कोई काम खराब कर दिया जाता है तो जातक उस काम के लिये अन्य लोगों को दोषी भी ठहराने लगता है। यही कारण अक्सर जीवन के प्रति साथ चलने वाले लोगों के लिये भी माना जाता है जैसे कि जातक ने शादी की और पारिवारिक कारणो से या माता की हठधर्मी या अपने दिमागी कनफ़्यूजन के कारण कोई दोष जीवन साथी मे निकाल कर उससे दूरिया बना लेना या तलाक आदि लेना भी माना जा सकता है,इसके अलावा भी अगर कोई कारण बना तो यह वक्री मंगल जीवन साथी के अन्दर कोई शारीरिक कमी को भी देता है जिससे जीवन के प्रति उदाशीनता को ही अधिक माना जा सकता है।
जातक को धन मिलने वाले समय की गणना
जातक को धन इन युतियों मे मिलने का कारण बनता है:-
शनि जब शुक्र से युति लेता है तो धन और भौतिक कारण तो प्रदान करता है लेकिन खुद की सुरक्षा के प्रति मिलने वाले धन या सम्पत्ति के मामले मे बैचेनी देता है,यह सब उम्र की बयालीस साल तक चलता है,सब कुछ होता है लेकिन मानसिक शांति नही होती है।
शनि जब सूर्य से युति लेता है तो वास्तु अनुसार घर को बनाया जाता है सरकार से सम्बन्धित कामो के लिये प्रयास भी किये जाते है लेकिन अपनी युति से जातक को भटकाव अधिक देता है,जब जातक अपने मन मे शांति स्थापित कर लेता है तो वह सरकार या पिता या पति के पिता के घर से सम्पत्ति को प्राप्त करने मे सफ़ल हो जाता है।
शनि जब केतु से युति लेता है तो जातक के पास कार्य संचालन के तरीके तो सभी होते है लेकिन अक्सर किसी न किसी कारण से जातक के दिमाग मे नकारात्मक भाव अधिक होते है जातक को संचालित करने के लिये सभी साधन मिल जाते है और वह अपने दिमाग से सम्पत्ति की सुरक्षा कर सकता है सार संभाल कर सकता है वाहन को चला सकता है घरेलू साज सज्जा को बना सकता है जंगलात से मिले सामान से घर क सजाने की कला भी रखता है,लेकिन उस का फ़ायदा दूसरे लोग उठा ले जाते है उसे कुछ नही मिल पाता है।
शनि का योगात्मक रूप जब गुरु से मिलता है तो जातक के दोस्तो मे जातक के सम्बन्धो मे या जातक के किये जाने वाले जीवन साथी वाले रिस्ते मे अथवा पिता की मृत्यु के बाद की सम्पत्ति का मिलना भी पाया जाता है,जातक को विदेश आदि जाने के कारण भी बनते है और जातक अक्सर धन को विदेश से प्राप्त भी करता है लेकिन दिमागी चिन्ता को करने के बाद वह अपने द्वारा किये जाने वाले प्रयासो को अपने आप सी समाप्त भी कर लेता है। अक्सर इस युति मे जातक को गलत ढंग से धन इकट्ठा करने की बात भी देखी जाती है और वह अक्सर राख से साख बनाने की हिम्मत भी रखता है।
शनि का त्रिकोणात्मक साथ जब चन्द्रमा के साथ हो जाता है तो जातक को धार्मिक रूप से जानने वाले लोग ही उसके लिये साधन जुटाने का काम करते है और जातक के बदलने वाले दिमाग से कभी कभी जानने वाले लोगों के अन्दर कनफ़्यूजन भी पैदा हो जाता है कि कल इसने कुछ कहा था आज यह कुछ कह रहा है इस प्रकार से जातक को अपनी साख मे भी बट्टा लगने वाली बात मिलती है यह प्रभाव अक्सर शनि का योगात्मक प्रभाव चन्द्रमा से मिलने के कारण भी होता है।
शनि का त्रिकोणात्मक साथ जब राहु से हो जाता है तो जातक के दिमाग मे ज्योतिष सम्बन्धी काम करने की कला का भी विकास होता है लेकिन बदलने वाले दिमाग के कारण अगर जातक ज्योतिष या इसी प्रकार के कारणो को ग्रहण भी करना चाहे तो उसका दिमाग बदलने के कारण अक्सर वह एक के बाद दूसरे लोगों से अपनी बात की सच्चाई को जानने का प्रयास करता है इस प्रकार से जातक का दिमाग एक स्थान पर नही टिकने के कारण वह किसी से भी फ़ायदा नही ले पाता है।
शनि का त्रिकोणात्मक प्रभाव वक्री मंगल से होने के कारण अक्सर जातक के द्वारा जो भी कार्य किये जाते है वह आक्षेप देने के कारण बेकार हो जाते है उसके द्वारा जो भी कार्य किया जाता है या कार्य के लिये शक्ति का प्रयोग किया जाता है वहां पर तकनीकी दिमाग का प्रयोग करने के बाद जो कार्य हो रहा होता है वह अक्सर बेकार हो जाता है अथवा जातक के द्वारा जब कोई काम खराब कर दिया जाता है तो जातक उस काम के लिये अन्य लोगों को दोषी भी ठहराने लगता है। यही कारण अक्सर जीवन के प्रति साथ चलने वाले लोगों के लिये भी माना जाता है जैसे कि जातक ने शादी की और पारिवारिक कारणो से या माता की हठधर्मी या अपने दिमागी कनफ़्यूजन के कारण कोई दोष जीवन साथी मे निकाल कर उससे दूरिया बना लेना या तलाक आदि लेना भी माना जा सकता है,इसके अलावा भी अगर कोई कारण बना तो यह वक्री मंगल जीवन साथी के अन्दर कोई शारीरिक कमी को भी देता है जिससे जीवन के प्रति उदाशीनता को ही अधिक माना जा सकता है।
जातक को धन मिलने वाले समय की गणना
जातक को धन इन युतियों मे मिलने का कारण बनता है:-
- भाग्येश बुध से लाभेश मंगल कार्येश शुक्र सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र लगनेश शनि धनेश शनि का गोचर से जन्म के बुध के साथ गोचर हो.
- कार्येश शुक्र का लाभेश मंगल सुखेश मंगल लगनेश शनि पंचमेश शुक्र धनेश शनि से गोचर से जन्म के कार्येश शुक्र के साथ गोचर हो.
- लाभेश मंगल का धनेश शनि लगनेश शनि से गोचर से जन्म के मंगल के साथ युति बने.
- लगनेश शनि का सुखेश मंगल धनेश शनि पंचमेश शुक्र से गोचर से जन्म के शनि के साथ योग बने.
- धनेश शनि का सुखेश मंगल पंचमेश शुक्र से योगात्मक रूप जन्म के शनि के साथ बने.
- सुखेश मंगल के साथ पंचमेश शुक्र से गोचर से जन्म के मंगल के साथ योगात्मक रूप बने.
मकर लगन की कुंडली मे भाग्येश और षष्ठेश बुध एक ही ग्रह है,यह धन आने का कारण तो बनायेंगे लेकिन अधिकतर मामले मे धनेश,लगनेश,सुखेश,कार्येश के प्रति धन को या तो नौकरी से प्राप्त करवायेंगे या कर्जा से धन देने के लिये अपनी युति को देंगे.
ज्योतिषीय धन आने के उपाय
- वक्री मंगल के लिये यह जरूरी है कि किसी से भी कोई वस्तु बिना मूल्य चुकाये नही ले,हो सके तो दान मे दी जाने वाली वस्तुओं का परित्याग करे.
- वक्री मंगल से अधिकतर मामले मे बात झूठ के सहारे से पूरी की जाती है इसलिये झूठ का सहारा नही ले और जो भी है उसे हकीकत मे बयान करने से मंगल सहायक हो जायेगा.
- कभी भी नाखून दांत हड्डी सींग बाल आदि से बने सामान का प्रयोग नही करे,और ना ही घर मे रखें.
- मूंगा सवा सात रत्ती का गोल्ड मे या तांबे मे पेंडेंट की शक्ल मे बनवा कर गले मे धारण करे.
- भाग्येश को बल देने के लिये चौडे पत्ते वाले पेड घर मे लगायें,दांत साफ़ रखे,किसी प्रकार की झूठी गवाही या इसी प्रकार के दस्तावेज को प्रस्तुत करने के बाद अपने काम को निकालने की कोशिश नही करे,अन्यथा झूठे मुकद्दमे या इसी प्रकार के आक्षेप बजाय धन देने के पास से भी खर्च करवा सकते है.
- बायें हाथ की कनिष्ठा उंगली मे सवा पांच रत्ती का पन्ना पहिने.
- किसी भी पीर फ़कीर का दिया ताबीज या यंत्र घर या पूजा मे नही रखें.
2 comments:
Pandit ji, Namaskar, Maine aapke sabhi blogs padhe, aapke vicharo se me bahut prabhavit hu. Meri kundli ke graho ki yuti bhi is kundly ki tarah hai. Kripya mujhe aage ke samay ke liye kuch tips digiye. Politics ya koi business jo mere liye shubh ho batayen. marriage related jankari de. please suggest gems if necessary. DOB 13/08/1971, 10:25am, Dantewara (CJ)
Respected Pandit Ji , Kya aapne ab blog likhna evam pathako ki zigyasa shant karna band kar diya hai.
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