गुरु का राशि परिवर्तन (सिंह)

पुरुषार्थ के मामले में सिंह राशि धर्म नामक पुरुषार्थ से सम्बन्धित है। मेष धनु भी धर्म नामक पुरुषार्थ से सम्बन्धित मानी जाती है। धर्म का जो वास्तविक अर्थ है वह पूजा पाठ और ध्यान समाधि से ही नही माना जाता है धर्म का अर्थ व्यक्ति शिक्षा और न्याय से माना जाता है। व्यक्ति जो धर्म नामक पुरुषार्थ से पूर्ण होता है वह सबसे पहले अपनी प्राथमिक शिक्षाओं के रूप में समाज कुल देश की शिक्षाओं की प्राप्ति करता है,इन शिक्षाओं के पूर्ण होने पर वह बडी शिक्षाओं के प्रति अग्रसर होता है। जब वह बडी शिक्षाओं को पूर्ण कर लेता है तो उसे अपने जीवन में मिलने वाली जद्दोजहद यानी अर्थ नामक पुरुषार्थ की तरफ़ पलायन करता है। सिंह राशि प्राथमिक शिक्षाओं के रूप में मानी जाती है और व्यक्ति अपने जन्म के बाद यानी माता की गोद से जब जमीन पर पैर रखता है तो वह अपने आसपास के वातावरण की शिक्षाओं को ग्रहण करने में समर्थ होने लगता है। प्राथमिक रूप में पानी को पप्पा ही कहता है,फ़िर पानी कहना चालू कर देता है उसके बाद जब वह पानी के प्रति पूर्ण रूप से वाकिफ़ हो जाता है तो वह पानी के भेद भी समझने लगता है,कि कौन सा पानी सही है और कौन सा पानी गलत है,पानी के अन्दर क्या मिलाने से क्या बन जाता है। सहयोगी राशि गुरु की धनु राशि है,और जोखिम देने वाली राशि मीन राशि है,कारण इस राशि से धनु राशि तो पंचम में आती है और प्राथमिक शिक्षा को सर्वोच्च शिक्षा की तरफ़ ले जाती है लेकिन इस राशि के अष्टम में गुरु की मीन राशि के आजाने से जातक को रिस्क लेने के लिये और अपने द्वारा जमा कर्मों और कुकर्मों को परखने के लिये भी माना जाता है। सिंह राशि को राजनीति की राशि भी कहा जा सकता है,कारण इस राशि का मालिक सूर्य है और सूर्य ही राजनीति का कारक है। गुरु जब मीन राशि में प्रवेश करता है तो राज्य से सम्बन्धित लोग अपने जमा धन को मीन के परिवेश में ले जाने की कोशिश करते है। मीन के परिवेश को विदेश और बाहरी कारकों को माना जाता है। जैसे एक व्यक्ति ने अपने पीछे के समय अपने सहयोगी और मित्रों की सहायता से धन की प्राप्ति की और उसे जमा करने के लिये सोचा तो उसे पता है कि उसने जो कार्य किये है वह उसके सहयोगी और मित्रों को पता है तो वह उस धन को ऐसे माहौल में ले जाने की कोशिश करेगा जहां उसके धन को कोई समझ नही सके। और उसके लिये वह अपने धन को अन्जान और विदेशी माहौल में ले जाने की कोशिश करेगा,जो कि पूरी तरह से गूढ और अन्य साधरण लोगों को समझ में नही आये। इस कारण को अगर गुरु के मीन राशि में प्रवेश के समय मंगल धनु राशि में है तो वह व्यक्ति के जमा किये गये धन को कन्ट्रोल करने की क्षमता रखता है,और यही मंगल इस राशि के लिये इन्कम टेक्स या इसी प्रकार के उपक्रमों की वाहवाही के लिये भी माना जाता है क्योंकि जब तक राजनीतिक ने अपने धन को अन्यत्र छुपा रखा था तब तक मंगल को पता नही था,लेकिन जब धनु राशि का मंगल है और व्यक्ति अपने धन को कहीं भी ले जाने के लिये निकालेगा यह मंगल उस पर पकड जमा लेगा,इस तरह से जो भी जमा पूंजी बाहर ले जाने या विदेशी परिवेश में जमा करवाने की जरूरत समझी गयी थी वह नेस्तनाबूद हो जायेगी। इसके अलावा भी कारण जो बनते है वे भी अपने में महत्व रखते है,जैसे जातक ने अपनी पिछली जिन्दगी में जो धन जमा किया था,अचानक जरूरत पडने पर वह उस धन को खर्च करने के लिये निकालेगा। इसी तरह से अधिकतर इस राशि वाले अपनी बीमा बचत और इसी प्रकार से मौत के बाद के प्राप्त धन को स्थिति के अनुसार प्रदर्शित करने के लिये भी माने जाते है।

मीन राशि में गुरु के आजाने से इस राशि के अष्टम में गुरु का जाना माना जाता है। यह राशि समुद्र पारीय यात्रा के लिये भी मानी जाती है,दिशाओं से यह राशि आस्ट्रेलिया और इसी तरफ़ के भूभाग से पहिचानी जाती है,इस राशि वालों की यात्रायें जो विदेश में जाकर कार्य करने और अपनी औकात को बढाने के लिये या अगली साल में बडी शिक्षा को प्राप्त करने के लिये मानी जा सकती है वह इस राशि वाले अपने अनुसार पलायन करने के लिये भी अग्रसर होने लगेंगे। इस राशि के दूसरे भाव में शनि की उपस्थिति है और शनि सिंह राशि वालों के लिये दूसरे भाव में होने पर धन और भौतिक कारकों को फ़्रीज करने के लिये भी माना जा सकता है,सिंह राशि वालों को रोजाना जो कर्जा दुश्मनी बीमारी और इसी तरह के कारणों से जूझने के लिये माहिर माना जाता है शनि की उपस्थिति से वे सभी फ़्रीज पडे होते है और इस राशि वालों के पास अगर सही मायने में देखा जाये तो केवल शरीर के पालन पोषण करने के अलावा और कोई कार्य भी सामने नही होता है,इस कारण से भी इस राशि वाले अपने आगे के कार्यों और जीवन निर्वाह के लिये अपने पूर्व के जमा धन का उपयोग करने के लिये कोशिश करते है और यह गुरु उन्हे अपने अपने अनुसार सहायता देने के लिये तत्पर रहता है। गुरु की खोजी निगाह भी इस भाव में जाकर बनती है,साधारण इन्सान से भी इस गुरु के बल के कारण कोई खोजी कार्य करने के लिये कहा जाये तो वह अपने को जासूस बनाने से नही चूकता है,इस गुरु के समय में सिंह राशि वालों का स्वभाव जासूसी भी हो जाता है और वे किसी भी भयानक खतरे से रिस्क लेने में भी नही चूकते है। बाहरी कारणों को जानने मौत के बाद के जीवन को जानने मौत वाले कारणों को जानने पराशक्तियों के अन्दर विश्वास करने आदि के मामले में यह गुरु उन्हे बल देने लगता है। जो पारिवारिक लोग या जो धन वाले कार्य होते है उनके लिये यह गुरु अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने के लिये भी अपना बल देता है। इसका भी मुख्य कारण होता है कि यह मीन राशि का गुरु न्याय व्यवस्था के लिये सुप्रीम कोर्ट का मालिक माना जाता है,और जब सुप्रीम कोर्ट का कोई कार्य होता है तो यह गुरु न्यायाधीश को गुप्त रूप से कार्य करने और न्याय को न्यान नही मानकर अपनी रिस्क से कुछ भी करने के लिये मनमर्जी का अधिकारी हो जाता है। वह अपने अहम को कायम रखने के लिये न्याय को तलवे के नीचे रखने की कोशिश करता है और जो न्याय की परिभाषा होती है इस राशि वाले उसे भूल कर खुद ही अपना अपना कानून बनाकर अपनी गति से न्याय देने की कोशिश करते है,लेकिन यह गुरु जब अपनी स्थिति को बदलता है और मेष राशि में प्रवेश करता है तो मीडिया और जनता के द्वारा के द्वारा बहुत बुरी तरह से प्रताणित भी किया जाता है। अथवा उसे पदच्युत भी होना पडता है और वह अपने किये कर्मों की सजा भी पाता है। कैरियर के मामले में भी इस राशि वालों के सामने अनैतिक कार्य समझ में आते है,और यह गुरु इस राशि वालों को बाहर की जनता के साथ अपनी पहिचान बनाने तथा जनता के प्रति कई कारण बनाकर खर्च करवाने के लिये भी प्रयास करने से बाज नही आता है। इस राशि का गुरु जब अष्टम में होता है तो वह अपने लिये निवास और धर्म आदि के लिये गुप्त स्थान की खोज करता है। यह कारण केवल इसलिये ही माना जाता है कि इस राशि का प्रतीक चिन्ह शेर जब असहाय हो जाता है तो गुप्त स्थान में जाकर अपनी बाकी की जिन्दगी बचाना चाहता है। इसके अलावा उसकी मानसिक धारणा तंत्र विद्या और मारक कारकों के प्रति भी रुचि को उत्पन्न करने के लिये मानी जाती है उसे डर होता है कि उसने अवैद्य कार्य तो कर दिया है और उस कार्य के बाद उसे प्रताणित भी होना है तो क्यों न पहले से ही अपने बचाव का कारण खोजा जाये,वह अपने को शारीरिक बल से तो प्रस्तुत कर ही नही सकता है क्योंकि अगर वह अपने शारीरिक बल को प्रदर्शित करेगा और कारणों को बतायेगा तो वह सभी के सामने प्रदर्शित भी हो जायेगा।
गुरु जो जीव का कारक है और जब वह मौत के स्थान में बैठता है तो अपने को किसी न किसी कारण से मौत वाले प्रभावों को भी देखता है,जैसे उसके परिवार में मौतें होने लगना,इसके अलावा मीन के गुरु की सिंह राशि वालों के लिये एक सौगात दूसरे शनि के प्रभाव से यह भी मानी जाती है कि वह अपने को अस्पताली कारणों से भी जोड कर चलता है,और दवाइयां आदि लेकर अपने पीछे के खानपान से उत्पन्न रोगों के निवारण के उपाय करने की कोशिश करता है,अक्सर इस राशि वालों को सांस की बीमारियों से भी जूझना पडता है उसका भी कारण है कि गुरु वायु तत्व का मालिक है,यह गुरु तलवों की बीमारी को भी प्रदर्शित करता है,कारण मीन राशि शरीर के तलवों से सम्बन्ध रखती है।

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