गुरु का राशि परिवर्तन (तुला)

तुला राशि तुलनात्मक कार्यों के लिये उत्तम राशि है,यह धर्म अर्थ काम और मोक्ष के बारे में तुलनात्मक अध्ययन करना जानती है.बिना शुक्र की भौतिकता के इस राशि वाले अपने कार्यों को प्रदर्शित नही कर सकते है। तुला राशि वाले अपने अन्दर ही हमेशा सिमटे रहने वाले होते है और वक्त पडने पर उसी राय को प्रदान करते है जो उनके अनुसार सर्वश्रेष्ठ होती है। इस राशि वालों को हमेशा नकारात्मक परिस्थितियों से जूझना पडता है,जो भी खुद के लोग होते है वे केवल शमशानी क्रियाओं तक ही साथ रहते है,जिन्हे सहायता दी जावे वे अपने को दूर करने के बाद पीछे से बुराइयां ही प्रदान करते है,गुरु इस राशि के तीसरे और छठे भाव का मालिक होता है,तीसरा भाव धनु राशि होने से इस राशि वालों को अपने को प्रदर्शित करने के लिये केवल न्याय वाले क्षेत्र,धर्म और भाग्य से सम्बन्धित क्षेत्र, समाज मर्यादा और देश के प्रति किये जाने वाले प्रयासों के लिये लिखने पढने और बोलने के अन्दर सामाजिकता प्रभाव रखने वाले आदि स्थान माने जाते है,मीन राशि जो गुरु की नकारात्मक राशि है इस राशि के छठे भाव मे अपना स्थान रखती है,यह भाव भी नकारात्मक है और यह राशि भी नकारात्मक है,नियम के अनुसार जब दो नकारात्मक शक्तियां आपस में मिलती है तो कोई न कोई सकारात्मक परिणाम ही निकलता है। किसी भी नकारात्मक स्थान की सेवा करने के बाद उस स्थान को सकारात्मक बनाना इस राशि वालों के लिये इसी मीन राशि से सहायता मिलती है। इस राशि वालों के पास या तो कर्जा होगा नही और होगा तो इतना बडा होगा कि आजीवन उसे चुकाने में लगे रहना पडेगा,या तो कोई बीमारी होगी नहे और होगी भी तो इतनी बडी कि आजीवन उस बीमारी के लिये सोचना ही पडेगा,या तो इस राशि वाले सेवा करेंगे नही और करेंगे तो आजीवन सेवा के कार्य ही करते रहेंगे।
वर्तमान में गुरु का गोचर इस राशि के छठे भाव से हो रहा है इस राशि में गोचर के प्रभाव से और गुरु के द्वारा इस राशि को ही अष्ट्म द्रिष्टि से देखे जाने से इस राशि के अन्दर जोखिम लेने की और गूढ बातों को निकालने की जो लोग मानसिक रूप से अपने को समाप्त कर चुके है उन्हे बल देने के लिये और जो पुरानी दुश्मनी आदि से पीडित है उन्हे आपस में मिलवाने की क्षमता इस राशि वालों के पास आगयी है। गुरु के द्वारा उन्हे अपने नौकरी और सेवा वाले क्षेत्रों में नाम मिलने और पदवी बढने के कारण मिलेंगे,जो भी कार्य उनके द्वारा दूसरों के लिये किये जा रहे है उन कार्यों के सम्पादन के बाद उन्हे यश मिलेगा,जो गुप्त भेद धन और समाज से सम्बन्धित है उनसे मिलने वाले लाभों को इस राशि वाले अपने और अपने समाज के लिये प्रयोग करने की शक्ति को संजित करने के लिये अपने को बलवान समझेंगे,इसके साथ ही इस राशि वालों का झुकाव उन्ही क्षेत्रों की तरफ़ अधिक होगा जो मृत्यु के बाद के जीवन को समझने क लिये काफ़ी होते है,साधारण लोग अपने अनुसार बीमा और बचत के लिये अपने को आगे लायेंगे,किसी भी उपक्रम से उस धार्मिक स्थान के लिये अपने को आगे करने की कोशिश करेंगे जो साधारण लोगों के लिये पहुंच से दूर होता है। जीवन साथी से दूरियां केवल इस लिये बनेंगी क्योंकि इस राशि के सप्तम स्थान से बारहवां गुरु है,और इस गुरु के प्रभाव से जीवन साथी के लिये बाहर रहना ही हितकर होगा,इसका भी एक बडा मुख्य कारण है कि साथ रहने से जीवन साथी के द्वारा व्यय करने वाली नीति सर्वाधिक सामने रहेगी।

इस राशि वालो के छठे भाव का गुरु अपनी पंचम द्रिष्टि से कार्य भाव को भी देख रहा है,और जो भी कार्य उसके द्वारा सम्पादित किये जाते है वे अपनी नवी द्रिष्टि से जातक के धन भाव को भी देखते है,यानी जातक के द्वारा जो भी कार्य किये जायेंगे वे जातक को नगद भुगतान करने के लिये माने जा सकते है,जातक अगर नौकरी करता है तो उसके पास उन कार्यों का जखीरा इकट्ठा होजायेगा जो नगद भुगतान देने के लिये अपना प्रभाव देते है,अगर जातक अस्पताली कार्य करता है तो उसे नगद भुगतान मिलता भी है और किसी प्रकार से पीछे कोई दुष्कर्म किये गये है तो अस्पताली कारणों में खर्चा करना भी पडता है। यह स्थान इस राशि वालों के लिये बैंक बीमा और बचत के साधनों को भी देखता है इस राशि वालों के लिये इस राशि में गुरु के रहने तक बचत की हुयी देखी जा सकती है,और जो कोई पीछे के दुष्कर्म किये गये होंगे उनके द्वारा बचत को बरबाद करने की नीति भी देखी जा सकती है। इस राशि के बारहवें भाव में शनि के होने से और गुरु के आमने सामने होने से जो भी खर्चे किये जायेंगे वे बहुत ही संभाल कर किये जायेंगे,और जो भी कार्य बाहरी लोगों के लिये होंगे वे बहुत ही कम और बहुत ही खतरनाक स्थिति में होंगे वह बाहर आने जाने के लिये अपने प्रभाव को प्रदर्शित करने की कोशिश तो करेगा लेकिन बाहर के खर्चों के प्रति उसके लिये कोई न कोई बंदिस ही सामने आने के कारण अपने आप पैदा हो जायेंगे,इस राशि के विरोधी अपने को फ़्रीज होना पायेंगे उन्हे न तो निकलने का रास्ता दिखेगा और न ही वे अपने को सुरक्षित पायेंगे। राहु के द्वारा वर्तमान में गुरु को चौथी द्रिष्टि से देखा जा रहा है इस द्रिष्टि के कारण दिमाग में भय पैदा करने वाले कारण पैदा होंगे जरूर लेकिन अगले ही पल उस भय को दूर करने वाले कारण भी पैदा होंगे.इस राशि वालों के लिये शनि भी अपने सुख का रूप लेकर और बुद्धि का रूप लेकर बाहरी लोगों के द्वारा सुख दिलवाने की कोशिश करेगा,साथ ही नवां केतु विधर्मी लोगों से मित्रता करवाने के लिये भी माना जाता है। जातक को किसी भी प्रकार के खानपान से अरुचि नही होती है,वह अपने को किसी भी खानपान से जोड सकता है,साथ ही सभी लोगों से मित्रता भी कर सकता है। कोई न कोई ईशाई धर्म से सम्बन्धित या कोई भी जो इसी तरह के धर्म से सम्बन्धित होता है इस राशि वाले के लिये अपने धर्म और समुदाय से सामने आने की कोशिश करता है,साथ ही जो लोग पहले अपने को किसी न किसी तरह से प्रसिद्धि दे चुके है उनके लिये प्रयोग किये जाने वाले साधनों से धीरे धीरे मुक्ति मिलने के कारण सामने आते जा रहे है।

No comments: