गुरु का राशि परिवर्तन (मीन)

मीन राशि कालचक्र के अनुसार मोक्ष नामक पुरुषार्थ से सम्बन्ध रखती है। व्यक्ति के जन्म लेने के बाद मौत तक तो वृश्चिक राशि का प्रभाव चलता है लेकिन धनु राशि से लेकर जन्म लगन तक जातक का पिछला परिवार और जातक के पिछले जीवन के बारे में जानकारी मिलती है। मीन राशि गुरु की नकारात्मक राशि है,इस राशि से जातक के लिये देखा जाता है कि जातक पिछले जन्म में किस योनि मे अपना स्थान रखता था,वह आदतों से कैसा था,और उसके द्वारा जो भी आराम करने के स्थान,शांति प्रदान करने के कार्य, कमाने के बाद खर्च करने के स्थान आदि के बारे में सोचा जाता है,वैसे यह राशि कर्क राशि से नवें भाव की राशि है वृश्चिक राशि के पंचम की राशि है, जो भी मौत के बाद की जानकारी होती है इसी राशि से मिलती है। कमाने के बाद जो खर्च कर दिया जाता है और खर्च करने के बाद जो संतोष मिलता है वह इसी राशि से मिलता है,अपने स्वभाव के अनुसार जीव अपने स्वार्थ के लिये खर्च करता है उसे संतोष तभी होता है जब उसने जिस कार्य के लिये खर्च किया है,ऋषि मुनि अपने अपने ज्ञान और शरीर को ही खर्च कर देते थे,धनी लोग अपने स्वार्थ के लिये बडे बडे चैरिटीबल ट्रस्ट बनाकर अपने पूर्वजों के लिये धर्मशाला और मन्दिर आदि बनवा कर खूब खर्च कर देते है। यह मीन राशि का स्वभाव होता है। इसी स्वभाव में जातक का जब जन्म होता है तो उसे ईश्वर की तरफ़ से सौगात मिलती है कि वह बडे संस्थान या बडे काम को सम्भालने के लिये अपनी जीवन को खर्च करने के लिये आया है। उसे जो भी मिलेगा वह बडे रूप में ही मिलेगा,और इस राशि के प्रभाव से वह कार्य भी बडे ही करेगा,उसके लिये कोई छोटा कार्य जभी समझ में आता है जब राहु या शनि का साथ गुरु के साथ हो गया हो। जैसे मीन राशि का गुरु और राहु एक साथ हो गये,और शनि की नजर इस राशि के गुरु और राहु पर है,तो या तो व्यक्ति किसी बडे संस्थान में साफ़ सफ़ाई का कार्य करता होगा या वायुयान की सेवा में अपना जीवन ऊपर ही गुजार रहा होगा। लेकिन मंगल का बल भी देखना पडेगा कि वह अपने लिये क्या सौगात देता है और कितना बल देता है बल सात्विक है या तामसिक है आदि बाते भी अपना अपना महत्व रखती है। मीन राशि हवा की राशि है और अपने को एक एक कदम पर हवा में उछालती है,शरीर में इस राशि का प्रभाव पैर के तलवों पर होता है,जब भी व्यक्ति चलता है तो हर कदम पर तलवे चलने लगते है भूमि से स्पर्श करने का कार्य तलवों का ही होता है,मीन राशि का शनि जूते के रूप में जाना जाता है और मीन राशि का गुरु जहाँ भी अपना स्थान बनाता है लोग उसके पैरों में ही झुकते रहते है। लेकिन शनि और गुरु के अन्दर शक्ति की भी जरूरत होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि मीन राशि के गुरु का जातक अपने स्वभाव और पहिने ओढने के बाद देखने में तो पक्का गुरु लगता है लेकिन उसके स्वभाव में गुरु के बक्री होने का असर भी होता है वह कब सात्विक से बदल कर तामसी हो जायेगा कोई पता नही होता है,अगर इस गुरु के साथ में राहु भी है या जन्म के राहु के साथ गुरु का गोचर हो गया तो बहुत ही बडा फ़न्दा सामने आने की तैयारी हो जाती है या तो जातक को सूर्य की शक्ति के अनुसार जेल में रहना पडता है या किसी ऊंचे स्थान से पतन होकर हमेशा के लिये शांति भी मिल जाती है। लेकिन केतु का कमजोर भी होना जरूरी है यह नही कि केतु बलवान है और शनि के साथ केतु भी अपनी बलबत्ता को भूल जायेगा ऐसा नही मानना चाहिये अगर कोई वक्त गुरु के साथ राहु होने से जेल जाने का बनता है और केतु शनि के साथ बलवान है तो जातक को शनि जो केतु का काम करता है वकील के रूप में सामने आकर उसे छुडा लेगा भले ही उसे सूर्य और राहु की युति से जज अपना फ़ैसला सही ही क्यों न दे दे।

गुरु का मीन राशि में प्रवेश होने से जिनका गुरु जन्म से ही मीन राशि में था उनके लिये विदेश जाने के रास्ते खुल जाते है। जो लोग अविवाहित होते है उनके लिये रिस्ते आने शुरु हो जाते है लेकिन जो भी रिस्ते आते है उनके लिये देखना यह पडता है कि इस राशि के सप्तम में अभी शनि भी विराजमान है,जातकों के अन्दर विवाह और जीवन साथी के प्रति अनिच्छा भी मिलती है,कामेक्षा की कमी होती है,इस प्रकार से जो भी रिस्ता आता है या रिस्ता बनाया जाता है वह कुछ समय के लिये तो चल सकता है लेकिन जातक के अन्दर अधिक ठंडक होने से और कार्यों के प्रति जद्दोजहद होने से भी दिक्कत आनी शुरु हो सकती है। गुरु के प्रभाव के कारण इस राशि से तीसरे स्थान पर वृष राशि होने से और इस राशि के अष्टम में राहु होने से इस राशि के साथ जो धन वाले मामलो मे या कमन्यूकेशन के बाद धन का आना होता था वह किसी न किसी प्रकार से कपट पूर्ण रीतियों से खर्च कर लिया जाता था उसे पता करने के लिये कोई बडी संस्था को अपनी सेवायें देकर उस कपट का पता चलने की बारी भी यह गुरु अपने स्वभाव से प्रदान करता है। गुरु की पंचम नजर कर्क राशि पर होने से जातक के अन्दर जल्दी से धन कमाने की कला की पैदाइस भी मानी जा सकती है जो लोग तकनीकी शिक्षा के प्रति कमजोरी महसूस कर रहे थे उनका दिमाग भी सही चलने की बारी आजाती है,लेकिन शिक्षा से सम्बन्धित लोगों को इस राशि का सप्तम का शनि रहने की परेशानी देता है,कभी पीने वाले पानी से परेशान करता है कभी आने जाने के साधनों से परेशान करता है और कभी मानसिक रूप से दिक्कत देने वाला होजाता है। इस राशि वालों के लिये दक्षिण पश्चिम की यात्रायें भी बनने लगती है,जो लोग अपने पूर्वजों को तर्पण आदि देना भूल गये होते है वे अपने अपने अनुसार तर्पण की व्यवस्था भी करते हुये देखे जा सकते है। कोई फ़ूलो की माला से कोई दीपक जलाकर और कोई अगरबत्ती जलाकर और कोई पिंड आदि देकर अपने कार्य को सम्भाल लेता है और नही तो कोई अपने पूर्वजों के नाम से धर्म स्थानो का निर्माण ही करवाने लगता है।

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