धरती पर भी ग्रह का अंश विद्यमान है और हमे उसे पहिचानने की आवश्यकता होती है। आप अपने कम्पयूटर की टेबिल पर विराजमान है और आप को यह समझना जरूरी है कि इस टेबिल के आसपास कौन कौन से ग्रह के अंश विद्यमान है। की बोर्ड केतु है और की बोर्ड के अन्दर लिखा जाने वाला कार्य बुध है,की बोर्ड के अन्दर जो बिजली का प्रवाह है वह मंगल के रूप में है और की बोर्ड की बनावट को दर्शाने वाला सूर्य है,की बोर्ड की सजावट शुक्र है और की बोर्ड पर की जाने वाली मेहनत वह की दबाने से सम्बन्ध रखती हो या की बोर्ड की जानकारी के लिये जानी जाती हो। की बोर्ड को चलाने का तरीका ही गुरु है और की बोर्ड के अन्दर के पार्ट राहु के रूप में है जो अपनी भाषा से कम्पयूटर के अन्दर डाटा भेज कर अपने कार्य को बृहद गणना से पूरा करने के बाद सम्बन्धित प्रोग्राम को खोलकर सामने लाते है। की बोर्ड का तार भी केतु की श्रेणी मे आता है और कीबोर्ड का जैक भी केतु की श्रेणी में आता है। कम्पयूटर का हार्डवेयर केतु है,उसके अन्दर लगे पार्ट्स भी केतु की श्रेणी में आते है चलने वाली बिजली मंगल है और अन्दर जो डाटा चल रहा है वह राहु की श्रेणी में आता है। बनाये गये प्रोग्राम जो भी स्क्रीन पर आते है वे द्रश्य रूप में सूर्य की श्रेणी में आते है और स्क्रीन जो मनभावन कलर में और मन को अच्छी लगने वाली वालपेपर के रूप में सामने है वह शुक्र की श्रेणी में आता है। माउस भी केतु की श्रेणी में आता है लेकिन माउस के द्वारा किया जाने वाला कार्य जो कम्पयूटर को शक्ति देता है वह राहु की श्रेणी में आता है। सभी को मिलाकर गुरु और बुध की श्रेणी में इसलिये लिया जाता है क्यों कि बुध और राहु मिलकर असीमित विस्तार का रूप देते है,बुध और केतु मिलकर यंत्र का निर्माण करते है और मंगल उनके अन्दर बिजली की शक्ति देता है,सूर्य से ढांचा बनाया जाता है और शुक्र से उसका रूप सजाया जाता है। जो भी रंग हमे कम्पयूटर में दिखाई देते है वे सभी ग्रहों के अंश के रूप में दिखाई देते है। इसी तरह से प्रिंटर को भी समझा जा सकता है,प्रिंट करना बुध और शनि के अन्दर आता है कागज का रूप शनि चन्द्र के रूप में आता है कागज पर छपा हुआ मेटर केतु की श्रेणी में और कागज पर छपे मेटर से उत्पन्न होने वाला भाव राहु की श्रेणी में आता है,उसकी उपयोगिता और अनुपयोगिता को गुरु की श्रेणी में लाया जाता है।
इसी तरह से जब हम अपनी बैठक में बैठ कर कोई टीवी प्रोग्राम देख रहे होते है तो टीवी भी बुध और राहु की श्रेणी में आता है उसके अन्दर चलने वाले प्रोग्राम बुध और गुरु की देन होती है और हमें क्या अच्छा लग रहा है वह उस समय के ग्रह के अनुसार मानसिक रूप से चन्द्रमा के द्वारा समझ में आता है सैटेलाइट से या केबिल से जो भी प्रोग्राम हमारे टीवी के अन्दर आ रहे होते है वे केतु के द्वारा राहु की देन होते है और जो भी कार्यक्रम हम पसंद करते है वह हमारे मन यानी चन्द्रमा के आधीन होते है। इसी लिये कोई प्रोग्राम हम सभी को एक साथ देखने में अच्छा लगता है वह उस समय की बुध और राहु की देन होती है जो चन्द्रमा पर अपना अधिकार दे रही होती है। कभी कभी हमें कोई प्रोग्राम अच्छा नही लगता है और कभी कभी हमे बेकार का प्रोग्राम भी अच्छा लगता है,बुध और सूर्य के मिलने पर हमे समाचार अच्छे लगते है और बुध शुक्र के मिलने पर हमे गाने अच्छे लगते है,शुक्र का प्रभाव जब मानसिक रूप से सूर्य को प्रभावित करता है तो हमें उत्तेजक द्रश्य अच्छे लगते है और बुध का प्रभाव जब गुरु के अनुसार होता है तो हमे धार्मिक और बुद्धि को बढाने वाले प्रोग्राम अच्छे लगते है। धन से सम्बन्धित प्रोग्राम हमारे दूसरे भाव के द्वारा समझ में आते है और खेल कूद के प्रोग्राम हमें हमारे पांचवे भाव के अनुसार अच्छे लगते है।
जब भोजन की टेबिल पर बैठे होते है तो भी ग्रह हमारे आसपास ही होते है । पानी के रूप में चन्द्रमा हमारे आसपास होता है। रसों के रूप में शुक्र हमारे पास होता है वही शुक्र फ़लों के रूप में सजीव दिखाई देता है जब रस का बना हुआ ढांचा शुक्र और सूर्य का मिलावटी रूप होता है। मंगल के साथ होने पर फ़ल लाल रंग का मीठा होता है और गुरु के साथ होने पर पीला होता है। बनी हुई दाल गुरु और मंगल के साथ सूर्य से अपना संबध रखती है और बना हुये चावल चन्द्रमा मंगल और सूर्य के साथ हमारे साथ होते है। वेजेटेरियन खाना हमारे गुरु के अनुसार होता है और नानवेज खाना हमारे शनि और राहु के अनुसार माना जाता है,भोजन को ग्रहण करने के समय जो भी कारक चाहे वे प्लेटें हो चमचा हों या भोजन को मुंह तक पहुंचाने के लिये हाथों का प्रयोग होता हो या भोजन को करवाने के लिये किसी अन्य व्यक्ति का रूप सामने हो वह केतु के रूप में माना जाता है। भोजन जो किया जाता है उसका प्रभाव शक्ति के रूप में हस्तांतरित होता है,शक्ति अच्छी या बुरी राहु के रूप में खून यानी मंगल के अन्दर अपना स्थान बनाती है और जैसे जैसे मंगल खून के रूप में अपना प्रभाव शरीर पर देता है उसी प्रकार की शक्ति मन की शक्ति के रूप में समझने में आने लगती है। अगर तामसी भोजन किया होता है तो खून के अन्दर राहु का प्रभाव बद के रूप में शामिल हो जाता है और वह अपनी शक्ति से मन को गंदा करता है दिमाग मे कुत्सित विचार आने लगते है तथा कोई भी गलत कार्य करने के बाद जो सोच रह जाती है वह केवल चिन्ता को पैदा करती है इससे ह्रदय के ऊपर अधिक भार पडने से हाई या लो ब्लड प्रेसर का रूप सामने आने लगता है।
जब हम कोई भी कार्य कर रहे होते है तो वह भी ग्रह के अनुसार ही सामने होता है। अगर गाडी की ड्राइव कर रहे है तो शुक्र केतु का रूप सामने होता है,और राहु जो सडक के रूप में होती है उस पर केतु शुक्र का आमना सामना होता रहता है। दिमागी विचार के रूप में गुरु अपनी शक्ति को देता रहता है और बुध के साथ राहु का दूसरा प्रभाव अगर चिन्ता के रूप में सामने होता है तो दिमाग सडक की वजाय अन्यत्र भटकने लगता है,इससे ही दुर्घटना होने के अन्देसे सामने आने लगते है। जब व्यक्ति चल कहीं रहा होता है और दिमाग कहीं भटक रहा होता है तो जो सामने होने को है उससे दिमाग अपने विस्तार रूपी केलकुलेशन को हटा देता है,और उसी समय ही दुर्घटना हो जाती है। शुक्र के ऊपर जो राहु का प्रभाव सामने आता है तो हमेशा दिमाग में सुन्दरता के प्रति विचार दिमाग में पनपते रहते है और शुक्र राहु का नशा भी जब व्यक्ति को परेशान करता है तो वह अपने चलने वाले कार्यों और विचारों को भूल कर एक अनौखी दुनिया में विचरण करने लगता है। उस विचरण के दौरान ही व्यक्ति के अन्दर जो भी लाभ हानि होती है,वह राहु और शुक्र के प्रति ही समझा जाता है। जब व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास होता है तो वह काफ़ी कुछ खो बैठता है या काफ़ी कुछ राहु की कृपा से प्राप्त कर चुका होता है।
हमारा पूरा जीवन ही ग्रह गणित में फ़ंसा है। जन्म से लेकर मौत तक ग्रह ही अपनी अपनी शक्ति से अपना अपना कार्य करवाते जाते है और हम आसानी से उन कार्यों को करते जाते है जब ग्रह अपना रूप अटकाने के लिये सामने लाते है तो हम अटक जाते है और जब ग्रह अपने अनुसार सही होते है तो हम उन्ही कार्यों को करते हुये आगे निकलते जाते है,जब हमारे कार्य पूरे होते है तो हम सुखी रहते है और जब हमारे कार्य पूरे नही होते है तो हम दुखी होते है। ग्रह गणित में रिस्ते नाते भी आते है,सूर्य से पिता या पुत्र को माना जाता है चन्द्रमा का विभिन्न रूप माता के सरीखे लोगों से सामने आने लगता है मंगल या तो भाई होता है या स्त्री जातक के लिये पति का रूप भी सामने लाता है बुध बहिन बुआ या बेटी के रूप में होती है और गुरु जो जीव के रूप में स्वयं भी होता है शुक्र पत्नी का कारक है स्त्री के लिये सजावटी कार्यों का कारक है शनि से कर्म का अन्दाज लिया जाता है या घर के बुजुर्ग लोगों के लिये भी शनिकी गिनती की जाती है। राहु को अन्दरूनी शक्ति के लिये जाना जाता है केतु के लिये केवल साधनो के रूप में ही जाना जाता है वैसे दोनो ही ग्रह छाया ग्रह के रूप में जाने जाते है केतु को नकारात्मक छाया और राहु को सकारात्मक छाया के लिये जाना जाता है। राहु केतु के बिना जीवन के अन्दर कोई भी कार्य पूरा नही होता है,कारण नही बनता है तब तक उसका निवारण भी नही बनता है कारण को बनाने वाला केतु होता है और निवारण के लिये अपनी शक्ति को देने वाला राहु होता है।
इसी तरह से जब हम अपनी बैठक में बैठ कर कोई टीवी प्रोग्राम देख रहे होते है तो टीवी भी बुध और राहु की श्रेणी में आता है उसके अन्दर चलने वाले प्रोग्राम बुध और गुरु की देन होती है और हमें क्या अच्छा लग रहा है वह उस समय के ग्रह के अनुसार मानसिक रूप से चन्द्रमा के द्वारा समझ में आता है सैटेलाइट से या केबिल से जो भी प्रोग्राम हमारे टीवी के अन्दर आ रहे होते है वे केतु के द्वारा राहु की देन होते है और जो भी कार्यक्रम हम पसंद करते है वह हमारे मन यानी चन्द्रमा के आधीन होते है। इसी लिये कोई प्रोग्राम हम सभी को एक साथ देखने में अच्छा लगता है वह उस समय की बुध और राहु की देन होती है जो चन्द्रमा पर अपना अधिकार दे रही होती है। कभी कभी हमें कोई प्रोग्राम अच्छा नही लगता है और कभी कभी हमे बेकार का प्रोग्राम भी अच्छा लगता है,बुध और सूर्य के मिलने पर हमे समाचार अच्छे लगते है और बुध शुक्र के मिलने पर हमे गाने अच्छे लगते है,शुक्र का प्रभाव जब मानसिक रूप से सूर्य को प्रभावित करता है तो हमें उत्तेजक द्रश्य अच्छे लगते है और बुध का प्रभाव जब गुरु के अनुसार होता है तो हमे धार्मिक और बुद्धि को बढाने वाले प्रोग्राम अच्छे लगते है। धन से सम्बन्धित प्रोग्राम हमारे दूसरे भाव के द्वारा समझ में आते है और खेल कूद के प्रोग्राम हमें हमारे पांचवे भाव के अनुसार अच्छे लगते है।
जब भोजन की टेबिल पर बैठे होते है तो भी ग्रह हमारे आसपास ही होते है । पानी के रूप में चन्द्रमा हमारे आसपास होता है। रसों के रूप में शुक्र हमारे पास होता है वही शुक्र फ़लों के रूप में सजीव दिखाई देता है जब रस का बना हुआ ढांचा शुक्र और सूर्य का मिलावटी रूप होता है। मंगल के साथ होने पर फ़ल लाल रंग का मीठा होता है और गुरु के साथ होने पर पीला होता है। बनी हुई दाल गुरु और मंगल के साथ सूर्य से अपना संबध रखती है और बना हुये चावल चन्द्रमा मंगल और सूर्य के साथ हमारे साथ होते है। वेजेटेरियन खाना हमारे गुरु के अनुसार होता है और नानवेज खाना हमारे शनि और राहु के अनुसार माना जाता है,भोजन को ग्रहण करने के समय जो भी कारक चाहे वे प्लेटें हो चमचा हों या भोजन को मुंह तक पहुंचाने के लिये हाथों का प्रयोग होता हो या भोजन को करवाने के लिये किसी अन्य व्यक्ति का रूप सामने हो वह केतु के रूप में माना जाता है। भोजन जो किया जाता है उसका प्रभाव शक्ति के रूप में हस्तांतरित होता है,शक्ति अच्छी या बुरी राहु के रूप में खून यानी मंगल के अन्दर अपना स्थान बनाती है और जैसे जैसे मंगल खून के रूप में अपना प्रभाव शरीर पर देता है उसी प्रकार की शक्ति मन की शक्ति के रूप में समझने में आने लगती है। अगर तामसी भोजन किया होता है तो खून के अन्दर राहु का प्रभाव बद के रूप में शामिल हो जाता है और वह अपनी शक्ति से मन को गंदा करता है दिमाग मे कुत्सित विचार आने लगते है तथा कोई भी गलत कार्य करने के बाद जो सोच रह जाती है वह केवल चिन्ता को पैदा करती है इससे ह्रदय के ऊपर अधिक भार पडने से हाई या लो ब्लड प्रेसर का रूप सामने आने लगता है।
जब हम कोई भी कार्य कर रहे होते है तो वह भी ग्रह के अनुसार ही सामने होता है। अगर गाडी की ड्राइव कर रहे है तो शुक्र केतु का रूप सामने होता है,और राहु जो सडक के रूप में होती है उस पर केतु शुक्र का आमना सामना होता रहता है। दिमागी विचार के रूप में गुरु अपनी शक्ति को देता रहता है और बुध के साथ राहु का दूसरा प्रभाव अगर चिन्ता के रूप में सामने होता है तो दिमाग सडक की वजाय अन्यत्र भटकने लगता है,इससे ही दुर्घटना होने के अन्देसे सामने आने लगते है। जब व्यक्ति चल कहीं रहा होता है और दिमाग कहीं भटक रहा होता है तो जो सामने होने को है उससे दिमाग अपने विस्तार रूपी केलकुलेशन को हटा देता है,और उसी समय ही दुर्घटना हो जाती है। शुक्र के ऊपर जो राहु का प्रभाव सामने आता है तो हमेशा दिमाग में सुन्दरता के प्रति विचार दिमाग में पनपते रहते है और शुक्र राहु का नशा भी जब व्यक्ति को परेशान करता है तो वह अपने चलने वाले कार्यों और विचारों को भूल कर एक अनौखी दुनिया में विचरण करने लगता है। उस विचरण के दौरान ही व्यक्ति के अन्दर जो भी लाभ हानि होती है,वह राहु और शुक्र के प्रति ही समझा जाता है। जब व्यक्ति को अपनी भूल का अहसास होता है तो वह काफ़ी कुछ खो बैठता है या काफ़ी कुछ राहु की कृपा से प्राप्त कर चुका होता है।
हमारा पूरा जीवन ही ग्रह गणित में फ़ंसा है। जन्म से लेकर मौत तक ग्रह ही अपनी अपनी शक्ति से अपना अपना कार्य करवाते जाते है और हम आसानी से उन कार्यों को करते जाते है जब ग्रह अपना रूप अटकाने के लिये सामने लाते है तो हम अटक जाते है और जब ग्रह अपने अनुसार सही होते है तो हम उन्ही कार्यों को करते हुये आगे निकलते जाते है,जब हमारे कार्य पूरे होते है तो हम सुखी रहते है और जब हमारे कार्य पूरे नही होते है तो हम दुखी होते है। ग्रह गणित में रिस्ते नाते भी आते है,सूर्य से पिता या पुत्र को माना जाता है चन्द्रमा का विभिन्न रूप माता के सरीखे लोगों से सामने आने लगता है मंगल या तो भाई होता है या स्त्री जातक के लिये पति का रूप भी सामने लाता है बुध बहिन बुआ या बेटी के रूप में होती है और गुरु जो जीव के रूप में स्वयं भी होता है शुक्र पत्नी का कारक है स्त्री के लिये सजावटी कार्यों का कारक है शनि से कर्म का अन्दाज लिया जाता है या घर के बुजुर्ग लोगों के लिये भी शनिकी गिनती की जाती है। राहु को अन्दरूनी शक्ति के लिये जाना जाता है केतु के लिये केवल साधनो के रूप में ही जाना जाता है वैसे दोनो ही ग्रह छाया ग्रह के रूप में जाने जाते है केतु को नकारात्मक छाया और राहु को सकारात्मक छाया के लिये जाना जाता है। राहु केतु के बिना जीवन के अन्दर कोई भी कार्य पूरा नही होता है,कारण नही बनता है तब तक उसका निवारण भी नही बनता है कारण को बनाने वाला केतु होता है और निवारण के लिये अपनी शक्ति को देने वाला राहु होता है।
3 comments:
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा, कृपया यहाँ भी आयें और हिंदी ब्लॉग जगत को नया आयाम दे. उत्तर प्रदेश की आवाज़ को बुलंद करें. http://uttarpradeshbloggerassociation.blogspot.com
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