वक्री शनि और भारत

भारत वर्ष की कुंडली के अनुसार राज्य के भाव मे विराजमान शनि वक्री हो गया है,जो कार्य हठधर्मी से पूरे किये जा रहे है उनके प्रति दिमाग लगाकर कार्य करने का समय शुरु हो गया है,सरकार को जो सहायतायें नही मिल रही थी उन के प्रति मंगल और सूर्य इस वक्री शनि से अपनी युति बनाकर कानूनी रूप में धन को निकालने के लिये कानून के अन्दर उलंघन आदि के प्रति नया कानून बनाने के प्रति,सरकारी अधिकारियों और वीआईपी लोगों की सुरक्षा के प्रति काफ़ी गंभीर होकर बुद्धि से कार्य करने के प्रति आने वाले ग्यारह जून तक समर्पित मानी जा सकती है। जो लोग अपने अपने कार्यों को मेहनत से करने के लिये कृतसंकल्प हो रहे थे उनके अन्दर भी बुद्धि का बल अक्समात ही कार्य करने लग जायेगा और उसी सरकार और सरकारी कार्यों की सराहना होने लग जायेगी ऐसा भी माना जा सकता है। वक्री शनि की युति से सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के प्रति जो लोग अपनी सलाह देने से दूर होने लगे थे वे अक्समात ही सामने आने लगेंगे। जो भी सरकारी लाभ के काम थे और उनके अन्दर जो भी घाटे के रूप थे उनके अन्दर भी अक्समात ही लाभ के आंकडे मिलने और प्रसारित करने के लिये माना जा सकता है। इस शनि का सबसे अधिक असर सरकार के धन के प्रति भी माना जा सकता है जिन राज्यों को धन की आवश्यकता है और काफ़ी समय से धन के लिये राज्य सरकारे या विभाग जद्दोजहद करते आ रहे थे उन्हे अक्समात धन देने के रास्ते भी खुलने लगेंगे। जो कार्य काफ़ी समय से रुके थे और जिन्हे करने के लिये कोई सामने नही आ रहा था वे अक्समात ही होने लगेंगे,और सरकार जिन गल्तियों की बजह से बदनाम हो रही थी वह ही अब अपने कार्यों और दिमागी सोच से तथा जनता की नीतियों से अपने को लोगों के अन्दर सराहना के लिये मानी जा सकती है। शनि की सीधी द्रिष्टि मित्र भाव से बाहरी शक्तिओं से भी मानी जाती है और जीव का कारक गुरु जो भी देश वासियों की तरफ़ से करने के लिये तैयार हो रहा है उसे ही सरकार अपने लिये मन्त्रणा के लिये बुलाकर अपने लिये नाम और सराहना का पूरा पूरा फ़ायदा उठाने के लिये प्रयास में रहेगी।

No comments: