तुला लगन और धन आने के क्षेत्र

तुला लगन मे जन्म लेने वाले जातको के लिये धन प्रदाता ग्रह मंगल है।धनेश मंगल की शुभाशुभ स्थिति से धन स्थान से संबंध जोडने वाले ग्रहों की स्थिति  योगायोग एवं मंगल तथा धन स्थान पर पडने वाले ग्रहों के द्रिष्टि संबंध से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति आय के स्त्रोतों तथा चल अचल संपत्ति का पता चलता है।  इसके अतिरिक्त लगनेश शुक्र पंचमेश शनि भाग्येश बुध ऐश्वर्य एवं वैभव को बढाने में पूर्ण सहायक होते है। वैसे तुला लगन के लिये गुरु सूर्य मंगल अशुभ है। शनि बुध शुभ होते है चन्द्र और बुध राजयोग कारक होते है,मंगल प्रधान मारकेश होकर भी मारक कार्य नही करता है। गुरु छठे भाव के मालिक होने से अशुभ फ़लदायक है। गुरु परमपापी है सूर्य व शुक्र भी पापी है,अति शुभ फ़लदायक शनि है। मंगल साहचर्य से मारक का कार्य करेगा। मंगल के कार्यों से अगर जातक को जोडा जाता है तो जातक अस्पताली कार्यों के प्रति निपुणता का प्रदर्शन करने के बाद धन को प्राप्त कर सकता है,मंगल ही इन्जीनियरिंग आदि के कार्यों से अपना सम्बन्ध जोडता है और मंगल ही तोडफ़ोड और पुराने सामान जो लोहे और मशीनरी आदि से सम्बन्ध रखते है से अपना सम्बन्ध बनाकर कर रखता है। मंगल भोजन के लिये भी जाना जाता है और मंगल होटल ढाबा और इसी प्रकार के कार्यों से जोडा जाता है। लेकिन तुला लगन में मंगल का आधिपत्य दूसरे भाव की वृश्चिक लगन से होने से भी जातक के लिये उन कार्यों के प्रति भी रुझान बढेगा जो कार्य गूढ होते है और जो कार्य कबाड से जुगाड बनाने वाले कारणों में जाने जाते है। धनेश मंगल ही सप्तमेश का कार्य करता है,अगर सप्तम स्थान जातक के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करता है तो जातक को धनी बनने से कोई रोक नही सकता है। अक्सर सप्तम स्थान से मंगल की स्थिति अगर छ: यानी लगन से बारहवे स्थान में होती है तो जातक का जीवन साथी जातक के द्वारा कमाये गये धन को अपने अनुसार कर्जा दुश्मनी बीमारी और रोजाना के घर के खर्चों के बहाने खर्च कर लेगा और उसके पास कुछ भी नही बचेगा जितना जातक कमायेगा उससे अधिक जातक का जीवन साथी अपने कारणों से खर्च कर लेगा। इसके अलावा सप्तम से छठे स्थान में अगर गुरु किसी प्रकार से अपनी युति देता है तो जातक के द्वारा बनाये गये संबध भी जीवन साथी की बजह से बेकार होजाते है और उन सम्बन्धो की बजह से भी जातक को मुकद्दमा या पारिवारिक कारणों से खर्च करना पडता है। यह बाते संतान से सम्बन्धित रिस्तों में भी होते है और रोजाना के कार्यों के अन्दर भी माने जाते है। इसके अलावा अगर मंगल का स्थान सप्तम से अष्टम यानी जातक के दूसरे भाव में होता है तो जातक को अपने ही परिवार के कारण धन को खर्च करना पडता है और यह भी जीवन साथी के प्रति अपमान या मौत जैसे कारणों के लिये माना जाता है।जीवन साथी को जोखिम के कामों में अधिक मन लगने से भी जातक को धन के साथ कभी कभी शारीरिक क्षति मिलती है।

तुला लगन में अगर शुक्र लगन में ही विराजमान हो शनि बुध की आपसी युति किसी भी प्रकार से हो तो जातक के लिये अपनी प्रसिद्धि का कारण बन जाता है,शुक्र लगन में होता है तो जातक को तुला राशि का पूरा प्रभाव मिलता है उसे धन को जायदाद को और जो भी धन के देने वाले कारक होते है के अन्दर बेलेंस बनाने की अभूतपूर्व क्षमता का विकास होता है,वह किसी भी प्रकार के धन और सम्पत्ति को बेलेंस बनाने के कामों में अपनी बुद्धि का प्रयोग करता है अगर जातक पुरुष है तो वह महिलाओं के सानिध्य से और महिला है तो पुरुषों और सम्पत्ति के बल पर अपनी औकात को बनाता चला जाता है,बुध के भाग्य और खर्च करने के भावों का मालिक होने के कारण वह धन की स्थिति को जोडने घटाने के कामों मे और कई तरह की भाषाओं को जानने की बजह से भी अपनी योग्यता को बढाता चला जाता है उसे कमन्यूकेशन के साधनों से भी अच्छी कमाई होती है और वह अपने विस्तार को अधिक से अधिक बढाता हुआ अपने को प्रसिद्धि के रास्ते पर ले जाता है। शनि का आधिपत्य मकर और कुम्भ राशि पर होने से शनि सुख और बुद्धि का मालिक बन जाता है और कुंडली में जहां भी होता है वह सुख और बुद्धि वाले कामों को ही देता है। शनि कर्म का भी दाता है और भावों के अनुसार अपना फ़ल जातक को देता चला जाता है,अगर शनि लगन से छठे भाव में है तो जातक को रोजाना के कामों में और कर्जा दुश्मनी बीमारी से भी लाभ देने का कारक बना होता है। अगर शनि लगन से सप्तम स्थान में होता है तो वैसे तो शनि को मेष राशि का होने पर नीच का कहा जाता है लेकिन जातक धन के मामलो में अपने जीवन साथी की नीचता का लाभ उठाता है उसके पास वही साझेदार होते है जो अपनी नीचता के द्वारा जातक को लाभ देने के मामले में जाने जाते है। अक्सर इस स्थान का शनि जातक को उसी प्रकार के जीवन साथी को प्राप्त करने के लिये बल देता है जो अनैतिक कार्यों को करने वाले और अपने शरीर को किसी भी गलत कार्यों में लगा सकने में समर्थ होते है। यह बात अक्सर अच्छे कार्यों के लिये भी माना जाता है जैसे राजनीति आदि के कारणों में अपनी पहिचान बनाने के लिये और नीची बस्तियों में रहने वाले लोगों से ताल मेल बैठाकर उनसे अपने कार्यों को करवाने के लिये माने जाते है। शनि जब बुध के साथ अपनी युति रखता है तो जातक को कार्य के प्रति आकलन करने की अच्छी शक्ति अपने आप पैदा हो जाती है और अगर शनि का स्थान अष्टम में होता है तो जातक प्लास्टिक के कामों में और जमीन की खरीद बेच करने में अपनी योग्यता का अच्छा परिचय देता है और अन्दरूनी तरीके से धन कमाने के लिये अपने को छुपाकर रखता है,साधारण आदमी को पता नही चलता है कि जातक के पास कितनाधन कहां से आया है और कहां है। अक्सर इस प्रकार के कार्यों के अन्दर दवाइयों के व्यापार से भी जोड कर देखा जाता है,और कबाड आदि के कार्यों से भी मिलाकर देखा जाता है।

शनि का स्थान अगर दूसरे भाव में है और बुध का स्थान अगर अष्टम में है तो जातक मंत्र विद्या में पारंगत होता है और जातक किसी भी जासूसी वाले कार्य में निपुण होता है। जातक को जमीन के अन्दर के तत्वों की पूरी जानकारी होती है वह अपने दिमाग से रत्न व्यवसाय का अच्छा व्यवसाय कर सकता है,और अन्दर से कुछ कार्य बाहर से कुछ दिखाई देने वाले कार्यों की बजह से भी जातक अपने को धन के क्षेत्र में ले जाता है,जातक रद्दी से रद्दी वस्तु का स्तेमाल करने की योग्यता रखता है,बेकार से बेकार आदमी को कार्य में लगाने की हिम्मत रखता है,जडी बूटी से अच्छी से अच्छी दवाई बनाकर बेचने की भी औकात रखता है।जातक का धन अक्सर उन्ही फ़सलों के उत्पादनों से सम्बन्धित होते है जो जमीन के अन्दर कन्द के रूप में पैदा होती है और उन फ़सलों के द्वारा जातक खुले रूप में या उन्हे परिष्कृत करने के बाद अच्छा धन कमा सकता है। जातक ज्योतिष विद्या और इसी प्रकार की भाषाओं से से अपनी जीविका को चलाने की हिम्मत रखता है। अगर शनि तीसरे स्थान में होता है तो जातक का ध्यान बडी मीडिया या पब्लिसिंग वाले कार्यों की तरफ़ ध्यान जाता है जातक को कानूनी कार्य करने का शौक होता है जातक लम्बी रेल यात्रा करने का शौकीन होता है और जातक के लिये कोई भी धर्म और भाग्य के कार्य करने और उन्हे बताने का अच्छा व्यवहारिक ज्ञान होता है। अगर पंचम स्थान में शनि होता है और लाभ स्थान का सूर्य होता है तो जातक अपने कार्यों से अपने इलाके का मसहूर व्यक्ति बन जाता है जातक को लोग अपने अपने अनुसार पहिचानने लगते है। तुला लगन में भाग्य स्थान यानी मिथुन राशि का बुध जातक को विदेशी भाषाओं और कानून के मामले में अपनी पहिचान देता है तथा किसी भी तरह के हाईकोर्ट जैसे मामले को वह चुटकी से निपटाने की औकात रखता है। विदेशी व्यापार और विदेशी कानून को वह आसानी से पहिचानने और करने के लिये अपनी बुद्धि का सही प्रयोग करता है। घर में परिवार में और शहर में वह अपने अनुसार जाना जाता है उसकी प्रसिद्धि अल्प प्रयत्न से होती है,उसे किसी प्रकार से अपनी पहिचान किसी को बताने की जरूरत नही पडती है। बुध का स्थान अगर सिंह राशि में होता है तो जातक के मित्र अधिकतर धनी वर्ग के होते है या बनिया स्वभाव के होते है उनसे जातक को किसी भी मुशीबत में अपने लिये सहायता मिलती रहती है और जातक को अपनी पुत्री बहिन या बुआ से काफ़ी सहायता मिलती है,उसी सहायता से जातक अपने को बलशाली बना लेता है। इस स्थान का बुध जातक को रिहायसी प्लाट आदि खरीदने और बेचने से धनवान बनाने में सहयोग करते है,अगर जातक किसी प्रकार से अपनी बडी बहिन या बडी बुआ से बनाकर चलता है तो जातक के पास अकूत धन बहिन या बुआ के भाग्य से पैदा होने लगता है। इस स्थान के बुध के लिये जातक की पहिचान होती है कि उसके सामने वाले दांतों में दाहिनी तरफ़ के दांत के ऊपर एक दांत और होता है जिसे दतूसर के नाम से जाना जाता है,अगर जातक किसी प्रकार से तामसी भोजन यानी शनि का प्रयोग करना शुरु कर देता है तो उसके पास धन की बढोत्तरी शुरु हो जाती है कारण बुध दतूसर और शनि तामसी भोजन दोनो का संयोग लक्ष्मी को बढाने के लिये जाने जाते है।

तुला लगन में मंगल अगर मेष राशि का होता है तो जातक के जीवन साथी के अन्दर शारीरिक बल की अच्छी क्षमता होती है वह जातक के जीवन को कमजोर होने पर भी एक प्रहरी की तरह से संभाल कर रखता है,जब भी जातक के लिये कोई कठिनायी दुश्मनी बीमारी आदि होती है तो वह अकेले ही अपने कार्यों से प्रयासों से जातक को बचा लेता है। जातक का जीवन साथी जुबान का पक्का होता है और जो भी कह देता है वह पूरा करके दिखाता है,इसी कारण से जातक के जीवन साथी से कभी कभी तनाव बना रहता है,इस स्थान का मंगल सप्तम का मंगल कहा जाता है और जातक के अन्दर एक से अधिक जीवन साथी बनाने की भी आदत पायी जाती है लेकिन अपनी तुला लगन की बुद्धि से वह दोनो के अन्दर किसी न किसी प्रकार से बेलेंस बनाकर जीवन में सहयोग लेने के लिये भी जाना जाता है। अक्सर तुला लगन के जातक की आदत भी दोहरी होती है एक अपने लिये और एक दूसरे लोगों के लिये वह अपने लिये कुछ और होता है और दूसरों के लिये कुछ और,इसी कारण से जातक के अक्सर दो नाम होते है एक घर का और एक बाहर का। तुला लगन के जातकों के लिये मंगल का स्थान नकारात्मक पहले होता है और सकारात्मक बाद में होता है। सकारात्मक के लिये जातक के जीवन साथी का सहयोग माना जाता है नकारात्मक होने के लिये इस लगन के जातकों के सम्मुख होने पर पता चलता है। जितनी वाहवाही इस लगन के जातकों की दूर से सुनाई देती है उतनी ही घटिया आदते इस लगन के अन्दरूनी भागों में मानी जाती है,अगर किसी प्रकार से गुरु का स्थान इस लगन से बारहवां होता है तो जातक जैसा घर पर होता है वैसा ही बाहर दिखाई देता है। गुरु के साथ अगर मंगल की युति होती है तो जातक का धन आने के बाद भी नही रुकता है उसका कारण है कि जैसे धन आता है वह किसी न किसी प्रकार से घटता ही जाता है,और जातक किसी को धन किसी प्रकार की सहायता के लिये देता है तो वह जातक को या तो वापस नही मिल पाता है और मिलता भी है तो वह किसी न किसी प्रकार की बुराई को देकर जाता है। वह बुराई अक्सर परिवार की तरफ़ या खुद के चालचलन की तरफ़ इशारा करती है। तुला लगन के ग्यारहवें भाव का मालिक सूर्य होता है,और पिता के स्थान का कारक जातक का बडा भाई माना जाता है,लेकिन जातक के पंचम में कुम्भ राशि होने से जातक की भाभी या जीजा दोहरी बात करने का कारक होता है और यही हाल जातक के बडे पुत्र और उसकी पुत्रवधू के लिये समझा जाता है। बडा भाई अपने अहम के कारण सूर्य की योग्यता को प्रदर्शित करता है,और जातक के साथ किसी न किसी प्रकार से मानसिक अलगाव ही बना रहता है। इसका एक कारण और भी होता है कि जातक की लगन का मालिक शुक्र होने से और बडे भाई की लगन का कारक सूर्य होने से जो भी कारण बनते है वे स्त्री सम्बन्धी राजनीति ही कहे जाते है। सूर्य और शुक्र के संयोग से जब तक बडा भाई जातक से बनाकर चलता है उसके पास पुत्र और धन की अधिकतता बनी रहती है,और बडे भाई या बडी बहिन का भाग्य बनता रहता है,सरकारी या इसी प्रकार के उपक्रमो से जातक के बडे भाई या बडी बहिन को फ़ायदा मिलता रहता है और समाज तथा उन्नतशील लोगों में नाम और प्रशंसा बनी रहती है। बडे भाई या बडी बहिन के भाव से दूसरे भाव में बुध की कन्या राशि तथा ग्यारहवे भाव से दसवें भाव में बुध की मिथुन राशि होती है। बडा भाई या बडी बहिन के लिये धन और भौतिक सुख के कारण बैंक बीमा फ़ायनेन्स अस्पताल या इसी प्रकार की संस्थायें रेडक्रास धन वाले क्षेत्र कर्जा दुश्मनी बीमारी या रोजाना के किये जाने वाले कार्य नाना या मामा परिवार की सम्पत्ति या इन्ही कारकों से मिलने वाला धन आदि माने जाते है,तथा दसवें भाव में मिथुन राशि के होने से पद गरिमा बुध प्रधान शासन करने वाले क्षेत्र कमन्यूकेशन और धन के क्षेत्र से सम्बन्ध रखने वाले लोगों से जान पहिचान कर्जा देने वाली दुश्मनी रखने वाले बीमारी पालने वाले लोगों के प्रति अपनी मानसिक भावना को प्रदर्शित करने वाले कारकों के प्रति माना जाता है। जातक का बडा भाई बुध से हमेशा अपने को जोड कर चलता है,बुध ही जातक के बडे भाई या बहिन के लिये कर्णधार के रूप में माने जाते है।

तुला लगन वालों के लिये अगर मंगल और सूर्य का परिवर्तन योग होता है यानी सूर्य मंगल के घर में और मंगल सूर्य के घर में विद्यमान होता है तो जातक के पास अकूत लक्ष्मी होती है। मंगल मेष राशि का होता तो ऊपर हम बताकर ही आये है लेकिन सूर्य अगर मेष राशि का होता है तो जातक राजनीति या सरकारी क्षेत्र में अपना नाम सेना इन्जीनियरिंग अस्पताल या इसी प्रकार के क्षेत्र में बनाकर चलता है। तुला लगन वाले जातकों के बारे में एक बात और मानी जाती है कि वे लडाई झगडे से दूर रहने वाले होते है और जो भी कार्य दुश्मन के प्रति करते है वह अन्दरूनी ही होता है और वे खुल कर कभी सामने नही आते है। अक्सर इस लगन के जातक पुराने विवादों को जल्दी से भूल जाते है और जो भी उन्हे समय पर प्रताणित करने की कोशिश करता है उससे वे अपने अनुसार केवल समयानुसार ही बदला लेने के लिये जाने जाते है हमेशा के लिये दुश्मनी पालकर चलना उनके वश की बात नही होती है। सूर्य चूंकि बडे भाई मित्रों और पुत्र वधू के रूप में सामने आने की युति देता है,और इस युति का अवसर जब भी जातक को मिलता है वे अपने अनुसार इन्ही कारकों से अपनी कर्जा दुश्मनी बीमारी निपटाने का कार्य करते है,सामाजिक व्यवस्था के प्रति जब इनके अन्दर कोई बदलाव मिलता है तो इनकी जल्दबाजी की आदत से इन्हे दिक्कत आजाती है,और किसी भी काम को जोखिम से करने के प्रति इन्हे अधिक लालसा रहती है किसी भी लम्बी यात्रा या किसी भी अस्पताली काम को अथवा किसी भी तकनीकी काम को यह जोखिम के रूप अक्समात अपने ऊपर धारण कर लेते है,किसी भी खरीद बेच के कामों के अन्दर यह अपने को अपने आप ही प्रवेश करा लेते है लेकिन ग्रह योग अगर किसी प्रकार से विपरीत होता है तो यह अपने दर्द को किसी को बताते भी नही है और अपने ही अन्दर उस दर्द को पीकर रह जाते है। तुला लगन के लिये माता यानी चन्द्रमा अगर किसी प्रकार से सहायक के रूप में होती है जैसे लगन में ही चन्द्रमा होता है तो जातक को माता की शिक्षा के द्वारा एक बनिया प्रकृति का व्यक्ति बना दिया जाता है और उसे जनता तथा जान पहिचान वाले लोगों के प्रति सामने आते ही बेलेंस करने की क्षमता का विकास हो जाता है और जो भी उन्हे धोखा देना चाहता है उससे यह अपने को बचा लेते है,उसी प्रकार से अगर चन्द्रमा मकर राशि का होता है तो जातक की माता का प्रभाव जातक के बचपन के कार्यों के प्रति समझा दिया जाता है और इस लगन के जातक अपने कार्यों को बचपन से ही समझने लगते है और उन्हे अपने परिवार आदि का भार सहन करने की आदत पड जाती है किसी भी कठिन परिस्थिति में वे अपने को चलाकर निकाल लेते है और उनके कोई भी कार्य अटकते नही है,लेकिन अपनी हठधर्मी और माता की मृत्यु के बाद वे अक्सर अपने को अकेला पाते है और जो भी उन्हे ममता देता है उसी की तरफ़ अपने को समेटते चले जाते है भले ही पहले दी जाने वाली ममता ही उनके लिये सर्वनाश के लिये अपने जाल को क्यों न बिछा कर बैठी हो। बारहवें भाव में कन्या राशि होने से या तो जातक के द्वारा कोई असमान्य स्थिति में कन्या आदि के लिये सहायता वाले कार्य किये जाते है अथवा वे किसी कन्या को पुत्री की तरह से मानने लगते है और जितना वे उस कन्या के प्रति खर्च करते जाते है उतना ही धन उनके लिये आगे से आगे बढता जाता है। इस लगन वाले जातकों के लिये यही सुझाव सबसे बढिया है कि वे जीते जागते बुध को अगर अपने माफ़िक बनाना चाहते है तो वे कन्या जाति को अपने सहायता वाले कारकों से फ़लीभूत करते रहे। इस लगन के जातकों की कुंडली में अगर सूर्य शुक्र और चन्द्रमा एक ही स्थान में होता है तो जातक के पास अकूत काला धन भी पाया जाता है। यही हाल तब और देखने को मिलता है जब सूर्य और शुक्र का आपसी परिवर्तन योग होता है।

12 comments:

Unknown said...

Sahi aur achchi jankari di h apne thank

Suraj Sharma said...

Tula lagna kubmh rashi hai shani mangal 12th house mein hai shani ki mahadasha chl rhi hai kya fal hoga 🙏🙏

Unknown said...

Tula laga aur kanya Rashi h sani 11be Ghar Singh Rashi m h sani ki mahadasha aur pratayanter dasha chal Rahi iske bare m batae plz

Unknown said...

Sir tula lagan wala ka bhagya lab uday ho t hai

Unknown said...

Sir

Unknown said...

Sir tula lgn me 3rd house me surya budh shani ki yuti ho toh shani ke bare me btaye

Unknown said...

Best analysis

Unknown said...

Very perfect analysis yadi tula lgn me sury shukr v chandr 5 bhav me ho pr chandra ast ho shukr chalit me 6 bhav me ho tb bhi dhan hoga

Unknown said...

Not satisfied kindly breif about 18 Jun 1975, time 14 .20 pm gorakhpur up

Unknown said...

Mangal shani rahu guru 11 bhav mai hai sun 7th house, moon 10th house kya fal milega

Unknown said...

9993838583

Unknown said...

9993838583. 15/05/1977 . 4:30pm tikamgarh mp