गुरु और भूतकाल

गुरु का रूप इस संसार मे संबंधो के लिए माना जाता है गुरु ही इस संसार मे चलाने वाली बुराई और अच्छाई वाली हवा के लिए भी जाना जाता है। गुरु गोचर से जब काल पुरुष की कुंडली मे जिस राशि मे गोचर करता है उसी के अनुसार अपने फलो को प्रदान करता जाता है। पिछले समय मे गुरु का गोचर काल पुरुष की कुंडली के अनुसार मीन राशि पर चल रहा था इस कारण से संसार मे कुछ ऐसी हवा चल गई थी जिसे देखो वही अपने अपने स्थान से विदेश आदि के लिए देख रहा था,जितनी संचार व्यवस्था मे क्रान्ति आई थी,वायु यात्रा के साधनो के लिए जितना सोचा गया था उतना किसी अन्य प्रकार के याता यात के साधनो के लिए नही सोचा गया था बड़े ऊंचे भवन बनाने या हवादार और चमकीले दमकीले कारणो को पैदा किया गया था उतना पहले कभी भी नही देखा गया था। हमारे देश की हवा भी बदल गई थी छोटा सा आदमी भी परा शक्ति की बाते करने लगा था। ज्योतिष और ऊपरी हवाओ के बारे मे कितने ही सिद्धान्त लोगो ने अपने अपने अनुमान से गढ़ दिये थे,कोई भी किसी भी धर्म और धर्म के प्रसार के बारे मे बड़ी बड़ी बाते करने लगा था।

गुरु की दृष्टि हमेशा स्थान के अनुसार यानी जहां गुरु विराजमान है अपने स्थान से तीसरे स्थान अपने स्थान से पंचम स्थान अपने स्थान से सप्तम स्थान और अपने स्थान से नवे स्थान को बल देने तथा उनही स्थानो के बल को प्रदान करने के लिए भी माना जाता है। गुरु का स्थान मीन राशि मे था इसलिए बाहरी शक्तियों के लिए और विदेश यात्रा आदि के लिए लोगो के ख्याल अधिक थे,इसके बाद गुरु की निगाह वृष राशि मे होने के कारण लोग अपने विदेशी परिवेश के दौरान अधिक से अधिक धन और भौतिक वस्तुओं की बढ़ोत्तरी अपने कुटुंब की सहायता के लिए विदेश से मिलने वाली सहायता के लिए धर्म स्थान पर जाने और धन को खर्च करने के लिए भी अपनी युति को यह गुरु दे रहा था,इसके बाद गुरु का पंचम प्रभाव कर्क राशि पर होने के कारण लोगो की जो भी धार्मिक यात्राये हुआ करती थी वह अक्सर या तो पानी वाले स्थान के लिए या फिर बर्फीले स्थानो की तरफ अधिक जाने की मिलती थी। इस गुरु के कारण ही लोग अपने घर बनाने और घर संबंधी कारण बनाने के लिए भी अपनी अपनी योजनाए बनाया करते थे। गुरु के द्वारा ही पानी चावल चांदी और जनता के अंदर एक प्रकार की उद्वेग बढ़ाना भी शुरू कर दिया था,जनता का रुझान बाहरी शक्तियों को हटाने के लिए इसी गुरु का सहारा लेने के लिए अपनी युति को देने लग गया था,इस गुरु के अंदर यह भी भावना का उदय हो गया था की जो संबंध है वह केवल मानसिक हुआ करते थे और उन मानसिक संबंधो के चलाने अधिक तर लोग अपने अपने विकारो को एक दूसरे से मिलाने के लिए केवल मन से ही सोचने के लिए अपनी अपनी योजनाओ को बनाते रहे,कितने ही लोग अपने अपने जन्म के गुरु के अनुसार व्यापार मे जो चांदी चावल का करते थे या तो बहुत पनप गए या बिलकुल ही डूब गए। गुरु की सप्तम नजर कन्या राशि मे होने के कारण भी लोगो का एक सवाल हमेशा उनके जेहन मे उभरता था कि वे नौकरी करेंगे या कहाँ करेंगे,धन वाले क्षेत्रो मे अस्पताली क्षेत्रो मे और सेवा वाले क्षेत्रो मे काफी लोगो को रोजगार बाहरी सहायताओ के बल से काफी मिला।

बाहरी धन की आवक से और बाहरी धन को बाहर ही जमा करने के लिए इस गुरु ने अपनी शक्ति से लोगो के धन वाले स्थान को बचत के साधनो मे लगाने के लिए अपने अनुसार उपक्रम दिमाग के स्थापित किए और लोगो ने बैंक आदि मे अपना सहारा लेकर कितने ही बचत वाले उपक्रम अपने अंदर स्थापित किए,कितनों ने बैंक आदि मे जमा करवाने के बाद अपनी साख को बढ़ाया और कितनों ने ही अपनी साख को उधारी आदि के कारण गिराया भी,जिनहोने अच्छे काम किए लोगो की सहायता के काम किए उन्हे तो बाहरी धन से पूर्ण होना पड़ा और जिन लोगो ने उल्टे काम किए और हमेशा अपने दिमाग को उल्टे क्षेत्र मे लगाए रखा उनका धन या तो अस्पताल मे गया या किसी प्रकार से चोरी हुआ या छल से हरण कर लिया गया।

गुरु की नौवी दृष्टि वृश्चिक राशि पर होने के कारण लोगो की रुचि रिस्क लेने वाले कारणो की तरफ भी अधिक गई थी,लोग बिना किसी कारण के भी रिस्क लेने के लिए अपने दिमाग को लगा देते थे,जो पहले से ही धार्मिक थे उनकी रिस्क लेने की बातों को तो पूरा होता देखा गया और उनकी कोई भी रिस्क अपने अनुसार खरी उतरी,साथ ही जो लोग खरीदने बेचने और प्रापर्टी आदि के काम मे थे उनके लिए घर बनाकर और घर बनाकर बेचने खाली जमीने लेने और उन जमीनो पर मकान बनाकर बेचने पर गुरु से जिन लोगो के संबंध बहुत अच्छे थे उन लोगो ने तो खूब कमाया और जिन लोगो के संबंध सही नही थे जिन्हे अधिक चालाक होने की नजर से देखा जाता था वे डूब गए और उनकी कल्पना अधूरी भी रह गई तथा जो धन बल और जानकारी थी उन्हे ही ले डूबी। वृश्चिक राशि शमशान की राशि भी मानी जा सकती है,सही लोग तो राख़ से भी साख निकाल कर ले आए और खराब लोग अपनी साख को भी राख़ मे मिलाकर वापस गए। गुरु अपने अनुसार ही लोगो के लिए वृश्चिक राशि मे असर देने के बाद काम सुख मे भी बढ़ोत्तरी का कारक बना था,अच्छे लोगो ने धर्म से अपने काम सुख मे बढ़ोत्तरी की और गलत लोगो ने अपने काम सुख की खातिर जिन लोगो से पहले मित्रता और सहायता वाली बाते थी उनसे बिगाड़ भी ली और हमेशा के लिए बुराई भी ले ली।

इस नौवी नजर के कारण एक कारण और भी देखा गया कि जो लोग बहुत पहले से अपने को कार्य मे लगाए थे उनके लिए किसी प्रकार का आघात दिक्कत नही दे पाया और जो लोग अकसमात ही शुरू हुये थे वे अपने को आघात मिलने के कारण या तो दुनिया से ही दूर ले गए या अपने लोगो से ही दूर चले गए,इसका एक कारण और भी था कि जो लोग अपने को संभाल कर और बुद्धि से चलाते रहे वे सुखी रहे और जो लोग अचानक ही अपने को बदलने के लिए शुरू हुये वे लोग या तो धार्मिक और संबंधो से उच्चता मे गए या उन्हे समाज से बिलकुल ही दूर कर दिया गया।

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