तुला लगन और दूसरे भाव का शनि

तुला लगन का धनेश और सप्तमेश मंगल है। जीवन की लडाइया और जीवन में सम्मुख कारण मंगल से ही सम्बन्धित माने जाते है। लेकिन दूसरे भाव का स्वामी मंगल होने से मंगल मारक का भी प्रभाव प्रस्तुत करता है,और कुंडली मे प्रबल मारक का योग पैदा करता है। लगनेश शुक्र और सप्तमेश तथा धनेश मंगल एक साथ जब जब जिस भाव मे मिलेंगे तब तब वह उस भाव के कारको को मारने का प्रभाव पैदा करेंगे। दूसरा भाव कहा तो धन का जाता है लेकिन पाराशर नियमो के अनुसार हर भाव का विनाशक उसका बारहवां भाव होता है तो जो विनाशक होता है उसका ग्यारहवा लाभ देने का कारक भी होता है। तुला लगन मे धन भाव को लाभ देने वाला भाव बारहवा भाव और उसकी कन्या राशि है। कन्या राशि का प्रभाव जितना उन्नत होगा उतना ही लाभ धन के रूप में भी प्रकट होगा लेकिन वही धन जातक के लिये मारक का कारण भी पैदा करेगा। जातक कर्जा दुश्मनी बीमारी और अपनी तकनीकी बुद्धि को प्रकट करने के लिये नौकरी करने या किसी गुप्त प्रकार से इन कारणो को दूर करने के लिये बारहवे भाव मे अपनी स्थिति को बनायेगा तो जातक को धन का लाभ होगा।
तुला लगन ही बेलेंस करने वाली राशि है और जब तक व्यक्ति के अन्दर बेलेंस करने की क्षमता नहीं होगी वह किसी भी कार्य को नहीं कर पायेगा.बेलेंस करने के लिए भी जरूरी नहीं है की वह केवल वस्तुओ का ही बेलेंस करे उसे तो हवा का भी बेलेंस करना जरूरी होता है की कैसे किसी से बात की जाए बात करते समय भी अगर जोर से कह दिया तो दिक्कत आजायेगी और बात को नकारात्मक कह दिया तो भी दिक्कत आयेगी,आदि कारण सोचने के लिए भी तुला राशि को जाना जाता है.इसके बाद भी भचक्र की यह राशिया जिस जिस भाव से सम्बन्ध रखती है उसी भाव के बारे में अपनी अपनी योग्यता को बखान करने की क्षमता भी रखती है,तुला लगन में तुला राशि शरीर को बेलेंस करने के मामले में मानी जायेगी और धन स्थान में वृश्चिक राशि के आने से जो भी धन की प्राप्ति होगी वह ब्रोकर वाले कामो से अथवा उन कामो से जो साधारण लोग नहीं कर पाते है.जैसे इंजीनियरिंग वाले काम दवाई और अस्पताली काम,जमीनी चीजो की शक्ति को समझाने के काम आदि भी माने जा सकते ही.

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