गुलिका-बुध-शनि

शनि अन्धेरा गुलिका बचपन और बुध चिडिया इस कम्बीनेशन को अगर गुलिका-बुध-शनि के लिये प्रयोग किया जाता है तो खरा उतरता है। शुरूआत होते ही जीवन को अन्धेरे में धकेलने का कार्य यह तीनो अपने अपने अनुसार करते है। शनि को अन्धेरे के लिये प्रयोग किया जाता है,शनि की सिफ़्त ठंडी भी है,शनि कठोर भी है,उसी जैसी सिफ़्त गुलिका के पास भी है,वह शुरु और अन्त में अपना असर देती है। बीच में अपना असर कम करती है,जैसे एक बच्चे का मिजाज होता है और उसी तरह का मिजाज बुजुर्ग के अन्दर देखा जाता है,उसी प्रकार से शनि की शुरुआत भी गुलिका के द्वारा होती है,इसी लिये कहा भी गया है कि शनि के आगे और पीछे के भाव भी शनि के प्रभाव से जुडे होते है। राजा रामचन्द्र को शनि का प्रभाव लगा था,लेकिन शनि की शुरुआत से पहले ही विश्वामित्र अपने साथ लेकर वन में चले गये थे,वन में उनका प्रभाव तो अपनी रक्षा करने के लिये था,लेकिन वन में रहने का अभ्यास तो उन्हे विश्वामित्र के साथ पहले ही मिल चुका था। विवाह संस्कार के लिये वे राजा जनक के यहां धनुष जग्य देखने के लिये गये थे,विवाह की युति के लिये शनि देव ने पराक्रम के द्वारा उनकी शादी करवायी थी,उसी पराक्रम के प्रतिफ़ल में उन्होने देश देश के महीपों के मान को मर्दन किया था और सीताजी को विवाह कर ले आये थे। राजा दसरथ ने जब विश्वामित्र के साथ भेजा था तो भी उन्हे भगवान राम की चिन्ता थी ही,तब वे क्यों नही आघात से मरे थे,उनके मरने का कारण भी शनि ने ही पैदा किया था,दुख के शुरु होने से पहले शनि की गुलिका ही संदेशा दे जाती है कि शनि देव आने वाले है,अगर प्राणी समझदार है तो वह अपने को बचा ले जाता है,और प्राणी यह समझता है कि थोडा सा ही दुख है तो वह भूल करता है,कांटा लगता है तो यह पता नही होता है कि वह जहरीला भी हो सकता है आराम से हल्की सी दर्द के साथ वह निकाल कर फ़ेंक दिया जाता है,लेकिन जब वह अपने लगे हुये स्थान पर अपनी जहरीली क्रियाओं के द्वारा सूजन और जहर फ़ैलाना चालू करता है तो लगता है कि वह अपना बडा असर दिया है। शनि के अनुसार गुलिका अपना असर देती है,शनि जब अच्छी नजर से देखता है तो गुलिका आराम का असर देती है,शनि जब बुरी नजर से देखता है तो गुलिका भी बुरा असर देती है,लेकिन शनि और गुलिका का सम्बन्ध त्रिक भावों से होता है तो या तो गुलिका के द्वारा भेजे जाने वाले संदेशे के अनुसार अपना असर नही दे पाते है या फ़िर गुलिका एक बार में ही बहुत बुरा संकट देकर चली जाती है। शनि के साथ बुध की युति में गुलिका के साथ होने के बाद बुध की कारक वस्तुयें प्राणियों का कोई भरोसा नही होता है,जैसे एक कुम्हार ने घडा बनाया उसे मिट्टी से बनाकर पकाने से पहले ही अन्धेरे में रख दिया है,वह कच्चा घडा है और अन्धेरे में रखा है,अन्धेरे के अन्दर कोई भूल से ही उधर से निकलता है और उसके पैर लगने से या किसी जानवर के निकलने पर उस घडे का अन्त भी हो सकता है,उजाले में आने पर उस घडे की मिट्टी ही कुम्हार को मिल सकती है,अथवा उस घडे की सिफ़्त बहुत पक्की इसलिये हो सकती है क्योंकि घडे को बनाने के बाद उसे शुरु में ही धूप नही मिली तो उसके चिटकने का अन्धेशा ही खत्म हो गया,रात की ठंडी हवा ने उसकी मिट्टी को और अधिक मजबूत बना दिया और घडे को आग के अन्दर जाने के बाद उसके अन्दर गर्मी से भरने वाली वाष्प नही भरी थी इसलिये वह बिना चटके ही पक गया और आगे चल कर उसकी जिन्दगी बहुत बडी बन गयी। उसी प्रकार से एक चिडिया का बच्चा पैदा होकर बडा होने से पहले ही प्रकृति ने उसे अन्धेरे में लेजाकर पटक दिया,वह रात के अन्धेरे में अपने को शान्त करने के बाद रात के भयानक माहौल में रात्रिचर जीवों से वह बच गया तो ठीक है वरना एक हल्की सी चीख के साथ उसका अन्त भी हो सकता है,लेकिन अगर वह किसी प्रकार से बच गया तो वह सुबह को अपनी रात की गुजरी हुयी भयानक अन्त होने वाली स्थिति को याद करने के बाद कभी अपने घोंसले को नही छोडेगा,और छोडेगा भी तो अपने साथ उस रात वाली निडरता को साथ रख कर हिम्मत भी रखेगा। इसी प्रकार से एक लडकी का जन्म होता है और उसे उसके पैदा होने के कुछ दिन बाद ही घर के या परिवार के माहौल से दूर अन्धेरे माहौल में पटक दिया जाता है,जो तेज उसके पिता से उसे मिलना था वह उससे दूर हो गया,जो देखरेख उसके अपने समाज से उसे मिलती थी वह दूर हो गयी,उसे मिला तो केवल दूसरों का सहारा और वह अपने समाज को समझने के लिये कभी भी जीवन में काबिल पहले तो हो ही नही सकती है,उसे दूसरों पर भी भरोसा इसलिये नही होगा क्योंकि माता पिता कितने भी दुश्मन हो,लेकिन कभी खून के सम्बन्ध को दूर करने के लिये राजी नहीं होगे,लेकिन पराये लोग केवल अपने स्वार्थ सिद्धि तक तो अपने पास रखेंगे,खूब मान मनुहार करेंगे,लेकिन जैसे ही स्वार्थ की पूर्ति हो जाती है या स्वार्थ की भावना खत्म हो जाती है,अथवा दयालुता की सीमा समाप्त हो जाती है अथवा उनके द्वारा किये गये सहायता के कामों के अन्दर उन्हे खुद लगने लगता है कि उन्होने बुरा किया है तो वे सहायता देना बन्द कर देते है,और उस सहायता के बन्द करने के बाद वह लडकी कभी भी अपना किसी को समझ नही पायेगी,वह जब भी किसी के साथ व्यवहार करेगी तो केवल काम से काम वाला व्यवहार करेगी,उसे कभी इस बात का पता नही होगा कि माता को पिता को कितनी ममता होती है वह जब भी अपने को अकेला पायेगी या अपने को किसी साथी दोस्त आदि के साथ रखेगी और उन दोस्त या साथियों के माता पिता को देखेगी तो उसके अन्दर एक भावना पैदा होगी कि काश ! उसके भी माता पिता ऐसे ही होते,या उसके साथ भी कभी पारिवारिक माहौल जुडा हुआ होता। इस प्रकार से एक टीस उसके जीवन में बनी रही। यह गुलिका का प्रभाव उस बच्ची के जीवन में कभी पूर्णता नही ला सकता है,वह सब कुछ होते हुये भी अपने को कहीं ना कहीं से खाली ही समझेगी,लेकिन उसके बाद उसके अन्दर जो पक्कापन आयेगा वह इस प्रकार से होगा कि वह किसी के देखे हुये दुख में अपने को भावनात्मक रूप से दखी नही करेगी,वह किसी भी दुर्घटना के समय अपने कार्य को बन्द नही करेगी,कोई भी उसके सामने मरेगा तो उसे फ़िकर नही होगी,उसे केवल अपने काम से मतलब होगा,वह किसी की दया को नही समझेगी,कोई दया भी करता है तो उसे वह अपनी चालाकी या अपने द्वारा अपने व्यवहारिकता या शिक्षा के द्वारा अथवा बेवकूफ़ बनाकर अपने काम को निकालना समझेगी। यही बात अगर हम एक फ़ूलो वाली बेल के लिये मानलें तो गुलिका और शनि के प्रभाव से बेल के पत्ते गहरे हरे रंग के होंगे,उसके जो फ़ूल निकलेंगे वे रात को चमकने वाले सफ़ेद रंग के होंगे,वे किसी भी तरह से संसार में काम आने वाले फ़ूल नहीं होंगे,जब तक उन फ़ूलों को प्रयोग करने का समय होगा उस समय तक वे उजाले के कारण या तो झड चुके होंगे। अक्सर रात के अन्दर पैदा होने वाली बेलों के फ़ूल जहरीले होते है उन्हे कोई रात्रिचर भी नही खा सकता है,मनुष्य की बात ही क्या है। लेकिन वह बेल किसी न किसी प्रकार से जहरीले रोगों में या जहरीले कीट के काटने के बाद दवाई के काम में आती होगी,कभी भी रात्रि को फ़ूल देने वाली बेलों का रस मीठा नही होगा,या तो वे कसैली होंगी या फ़िर बहुत ही अधिक कडवी होंगी।

3 comments:

Priyanka said...
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Priyanka said...

Guruji, meri kundli mein gulika teesre sthan mein hai jaisa ki aapne bataya... fir gulika budh shani combination kaise bana?

abcd31 said...

gulika kis grah ko bolte hai