ज्योतिष में योग,मन्दिर में भोग,अस्पताल में रोग,ज्योतिर्विद,पुजारी,और वैद्य के बस की बात ही होती है.
शरीर से धन कमाने का योग
शरीर से धन कमाने के लिये केतु का लगन मे होना,केतु का लगन के मालिक के साथ सहयोग होना या केतु के द्वारा लगन और लगनेश पर प्रभाव डालना,शरीर से धन कमाने के लिये साधन के रूप में प्रयुक्त होता है। केतु से गुरु से कौन सा लगाव होना मित्रता वाला लगाव होना या शत्रुता वाला लगाव होना या समान भाव वाला लगाव होना यह तीन बातें भी देखी जाती है। गुरु के बाद शुक्र का केतु के साथ कितना सम्बन्ध है,इस बात का भी विचार करना जरूरी होता है,राहु के द्वारा किन कारकों से बल लेकर केतु को प्रदान किया जा रहा है वह भी देखना जरूरी होता है,अगर लगन में केतु है तो वह सप्तम के राहु से बल ले रहा होगा,केतु का स्थान किस प्रकार की राशि में है और उस राशि का सबसे अधिक प्रभाव तथा उस राशि के मालिक का प्रभाव उस राशि के मालिक की प्रकृति आदि सभी कारकों को देखना जरूरी होता है,केतु किस क्षेत्र से जन्म की लगन से गोचर कर रहा है और केतु को बल देने वाला राहु गोचर से केतु को कहां से बल दे रहा है,इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। जैसे केतु अगर मेष राशि का है तो वह बल तुला राशि से लेगा,मेष राशि का स्वामी मंगल है और तुला राशि का मालिक शुक्र है,मेष का मंगल सकारात्मक रूप से अपनी स्थिति को दर्शाता है,तो तुला का शुक्र नकारात्मक रूप से अपनी स्थिति को दर्शाता है। मेष राशि के केतु को बल अगर कन्या मीन या वृश्चिक राशि का गुरु देता है तो इस केतु के कार्यों शरीर की सार संभाल करने वाले कार्य शरीर को आराम देने वाले कार्य शरीर से बीमारी कर्जा दुश्मनी आदि से रक्षा करने के काम करने पडते है। लेकिन शनि ने अगर किसी प्रकार से केतु को बल दिया है और गुरु त्रिक भाव का फ़ल दे रहा है तो शरीर के कर्म दुष्कर्म की तरफ़ भी चले जाते है। अनैतिक कार्य करना और उन कार्यों में शरीर का प्रयोग करना भी माना जाता है। इसी तरह से केतु से तीसरे भाव में अगर शुक्र है तो जातक अपने को एक्टर के रूप में प्रस्तुत करता है,चौथे भाव में शुक्र है तो जातक अपने को कला कौशल और वाहनों की रक्षा करने और ड्राइवरी आदि के कामों से जाना जाता है,पंचम में शुक्र है तो जातक के लिये शिक्षा और जल्दी से धन कमाने वाले साधन खेल कूद और मनोरंजन के साधन बनाकर लोगों का मनोरंजन आदि करने से धन कमाने के लिये जाना जाता है। छठे भाव का शुक्र है तो जातक कर्जा से धन को जुटाता है और बीमारी आदि से छुटकारा दिलवाने के कारकों से धन कमाने के लिये भी माना जाता है लेकिन मंगल के साथ होने से या बल देने से डाक्टर के रूप में मंगल और बुध के साथ होने से बैंक से फ़ायनेन्स के रूप में और गुरु के साथ होने से जमा धन को खर्च करने के बाद और धन को धन से प्राप्त करने के लिये एक सहायक के रूप में अपना कार्य करता है,धन के क्षेत्र के लिये शुक्र जो तुला राशि का है तो धनी लोगों की रक्षा करने के बाद उनके अपमान मौत और जोखिम के कामों में सहारा देने के रूप में उनकी दुश्मनी और उनके कम्पटीटर आदि से बचाने में रक्षा करने के काम में आता है,जिसे बाडी गार्ड भी कहा जा सकता है। इसी तरह से अन्य भावों के केतु के लिये देखा जाता है।
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