कई बार देखने मे आता है कि जब राहु शुक्र की युति कर्क राशि में मिलती है तो जातक के पास या तो अथाह सम्पत्ति मिलती है अथवा वह पूरा जीवन केवल कनफ़्यूजन में ही निकाल देता है। कनफ़्यूजन भी ऐसे कि कोई भी समझाने की कोशिश करे लेकिन किसी भी बात से वे कनफ़्यूजन नही निकलें। राहु जब किसी भी ग्रह के साथ जुडा हो और वह अगर मन के कारक भावों में जैसे चौथे भाव मे आठवें भाव में या बारहवें भाव में हो तो या इन भावों के मालिकों से जुडा हो तो व्यक्ति के अन्दर उस ग्रह की आदत के अनुसार ऐसा नशा सवार रहता है कि व्यक्ति को आगे पीछे ऊपर नीचे कुछ भी नही दिखाई देता है और वह अपने अनुसार ही कार्य में घुसता चला जाता है,जब वह निकलता है उस समय या तो वह मरने की श्रेणी में होता है या वह बिलकुल खाली हाथ होकर सडक पर घूम रहा होता है। राहु एक बुखार की तरह से होता है और जब वह शुक्र के साथ स्त्री या पुरुष किसी की भी कुंडली में अपनी युति बनाता है तो जातक अगर पुरुष है तो वाहन स्त्रियों चमक दमक वाले भवनों के प्रति आशक्त होता है और अगर स्त्री की कुंडली में होता है तो वह उसे अपनी इमेज को प्रदर्शित करने के लिये एक नशा सा देता है,अक्सर यह उस समय और खतरनाक हो जाता है जब उसे किसी प्रकार से रोकने की कोशिश की जाये या फ़िर उसे उसके माहौल से दूर करने की कोशिश की जाये। अगर राहु को मंगल का बल मिल जाता है और वह पुरुष की कुंडली में होता है तो उसे प्रयास से असफ़लता मिलने के बाद वह जबरदस्ती किसी भी काम को निकालने की कोशिश करता है। इसके अलावा अगर उसे वाहन का नशा चढता है तो वह एक के बाद एक नये नये वाहनों को खरीद कर उसे चलाकर अपनी हाजिरी जाहिर करता है।
जब शनि का साथ राहु और शुक्र के साथ हो जाता है तो जातक के अन्दर बडी बडी चमक दमक वाली इमारतें बनाने का भूत सवार हो जाता है,उसे धन के लिये फ़िर चाहे कोई भी रास्ता अख्तियार करना पडे वह अपने को किसी भी प्रकार से चमक दमक के रूप में दिखाना चाहता है। शुक्र भौतिकता का ग्रह है और राहु असीमित सोच प्रदान करता है,अगर किसी प्रकार से जातक की मन की इच्छा पूरी नही हो पाती है तो वह रात की नींद और दिन का चैन अपने लिये हराम कर लेता है,उसके दिमाग में पता नही कितनी प्रकार की भावनाये पनपने लगती है और गोचर के अनुसार जैसे जैसे राहु शुक्र अपना रास्ता नापते जाते है जातक उसी प्रकार से अपने कार्यों को करता हुआ चला जाता है। यही नही अगर कालपुरुष की कुंडली के अनुसार भी राहु किसी भी प्रकार से शुक्र के साथ गोचर करने लगता है या राहु की नजर शुक्र पर होती है तो वह जमाने को भी चका चौंध में ले जाता है.राहु और शुक्र की उपस्थिति को शादी वाले पांडाल के रूप में देखा जा सकता है,चमक दमक वाले होटलों के रूप में और सजने सजाने वाले रूपों के रूप में देखा जाता है.
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