राहु का गोचर या दशा के अनुसार गुरु के साथ जब भी सम्बन्ध स्थापित होता है बालारिष्ट योग की युति को पैदा करता है। गुरु जो जीव का करक है वह राहु के साथ मिलकर अपने को भ्रम वाली स्थिति में डाल लेता है जीव के अन्दर भावानुसार कई तरह के बल देखने को मिलते है,यह बल अजीब तरह के नशे के जैसे देखने को मिलते है,सबसे अधिक खतरनाक योग तब देखने को मिलता है जब गुरु के साथ राहु किसी नीच ग्रह की युति में या नीच राशि में अपना गोचर करता है। जैसे कर्क के मंगल के साथ गुरु राहु के साथ गोचर करता है तो व्यक्ति का हादसा किसी वाहन से होता है या किसी प्रकार से अस्पताली कारणों से या दवाई आदि के रियेक्सन करने से या फ़िर आग लगने गर्म पानी से जलने आदि की घटनायें मिलती है,पानी के अन्दर करेंट दौडने के कारण भी इस युति में हादसे होते देखे गये है। इसके साथ ही अगर नीच के चन्द्रमा के साथ गुरु राहु के साथ अपनी युति देता है तो व्यक्ति के अन्दर मानसिक बीमारियां मिलती है वह सोचने वाली बीमारी से ग्रस्त हो सकता है,लेकिन सही रूप से अगर व्यक्ति इस युति को अपने जीवन में प्रयोग करता है तो व्यक्ति के लिये मानसिक रूप से सोचे जाने वाले कार्यों भावनाओं के अनुसार समझे जाने वाले कार्यों के अन्दर यह गुरु राहु अपनी शक्ति को भी प्रदान करता है और किसी भी धार्मिक स्थान में लेजाकर स्नान आदि करवाने के लिये भी माना जा सकता है। इस युति का सबसे बेकार का प्रभाव जातक के अन्दर साफ़ सफ़ाई के लिये पानी के प्रयोग किये जाने वाले कारणों के प्रति भी समझा जा सकता है,व्यक्ति को अधिक पानी फ़ैलाने और साफ़ सफ़ाई के लिये अपनी मति को ले जाने का कारण भी देखा जा सकता है। जो लोग वायु वाली बीमारियों से पीडित होते है,वे भी अपनी सेहत का ख्याल इस युति में नही रख पाते है और किसी न किसी पानी वाली बीमारी या फ़ेफ़डे वाली बीमारी से ग्रसित हो जाते है।
इसी तरह से अन्य ग्रहों के साथ गुरु राहु की युति अपना फ़ल देती है.
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