अर्थ नामक पुरुषार्थ से यह राशि जुडी है,जातक के जन्म के बाद उसे जो भौतिक सम्पत्ति मिलती है और वे उसके जीविकोपार्जन के लिये जब तक उपस्थिति होती है तो वह कार्य करने के लिये अपने को नही लगाता है,जैसे ही पास की सम्पत्ति खत्म हो जाती है तो उसे कार्य करने के लिये अपने को संसार के सामने ले जाना पडता है। जो भी कार्य किये जाते है चाहे वे शरीर से सम्बन्धित हो,जिसके अन्दर भोजन रहन सहन पहिनावा रहने का स्थान शिक्षा बीमारी पत्नी को पति के लिये और पति को पत्नी के लिये आने वाली मुशीबतों से बचने के लिये अपने को समाज के अंदर स्थापित रखने के लिये लाभ के लिये अपने उद्यमशील रखने के लिये आने जाने के लिये और जो भी कार्य चाहे वे किसी समाज के लिये देश के लिये रोजाना की जिन्दगी के लिये किये जाते है वे सभी इस राशि के अन्दर आते है। कन्या राशि का स्वामी बुध है और यह बुध की नकारात्मक राशि है। इस राशि के द्वारा केवल शरीर के प्रति ही सेवा कार्य करने की मान्यता है। यह राशि कालपुरुष की छ्ठे भाव की राशि है,और कालपुरुष के सेवा वाले कारकों में इसका नाम है। इस राशि वाले जातक अपने शरीर को जोखिम में डालने वाले होते है,वे अपने शरीर को किसी भी सेवा कार्य के लिये समर्पित करते है और बदले में जो भी सेवा कार्य किया जाता है प्रतिफ़ल चाहे शिक्षा के रूप में हो या धन के रूप में हो उन्हे प्राप्त होता रहता है। इस राशि का बुध जातक को मीठी भाषा बोलने वाला बना देता है तो मंगल इस राशि वाले जातक को शरीर की तकनीकी और धन की तकनीकी भाषा में ले जाता है। जातक के लिये अपने शरीर और परिवार के पालन पोषण के लिये भविष्य की चिन्ता करने के बाद जो भी धन आदि जमा किया जाता है वह सभी इसी राशि से देखा जाता है। यह स्थान चोरी का स्थान भी वह चोरी चाहे धन की हो या फ़िर कर्म की,इस राशि के छठे भाव में कुम्भ राशि के आने से यह राशि अपने मिलने वाले लाभ को गुप्त रखने के लिये भी मानी जाती है। गुरु इस राशि का चौथे और सातवें भाव का मालिक होता है,चौथे भाव के फ़ल इस राशि वालों को सकारात्मक मिलते है और सप्तम वाले फ़ल नकारात्मक मिलते है.जातक रहने और सुख के कारणों में अपने को पूर्ण पाता है लेकिन सप्तम की नकारात्मक राशि होने से जातक अपने जीवन साथी और साझेदार तथा जीवन की जद्दोजहद से अपने को नकारात्मक ही पाता है। इस राशि वालों को जब भी कोई रिस्क लेने की आदत होती है तो वह सीधा अस्पताली कारणों से जुडता है या तो वह अस्पताली कारणों में अपने को माहिर पाता है अथवा वह अस्पताली कारणों से अस्पतालों के चक्कर लगाया करता है। अपने जीवन साथी के परिवार वालों से शुरु में वह सामजस्य रखने की कोशिश करता है लेकिन इस राशि के बारहवें भाव में सिंह राशि होने से बाहरी लोग उसके दिमाग को घुमाकर अपनी राजनीति से जीवन साथी के परिवार से दूरियां दे देते है।
कन्या राशि के सप्तम में गुरु का प्रवेश एक उत्तमफ़लदायी माना जाता है,पिछले समय में जातक के लिये जो कारण मित्रों और सम्बन्धियों से न्याय आदि के लिये चला करते है वे अपने अनुसार हल होने लगते है,इस राशि का गुरु सीधा न्याय वाले कारणों को देखता है और जो भी न्याय प्रक्रिया से जुडे कार्य होते है वे सभी हल होने लगते है। जो लोग विदेश में वास कर रहे होते है और जो लोग विदेश जाने की उत्कंठा अपने मन में रखते है उनके लिये यह परिवर्तन का समय माना जाता है। जीवन साथी के प्रति भी विचारधारा सकारात्मक बनने लगती है और जातक अपने जीवन में वैवाहिक सुख आदि से पूर्ण होने लगता है।कन्या राशि के सप्तम का गुरु इस राशि के ग्यारहवें भाव की कर्क राशि को देखता है जातक के जीवन में जनता से इस समय में बहुत से मित्रों का आना भी माना जाता है और जनता से मिलने वाले लाभों में बढोत्तरी भी मानी जाती है। कन्या राशि के सप्तम के गुरु की सप्तम द्रिष्टि कन्या राशि पर पडने से और इस राशि में पहले से विराजमान शनि की बदौलत जो कार्य पहले अन्धेरे में दिखाई देते है वे गुरु के ज्ञान के कारण फ़लदायी होने लगते है,जिन कारकों के प्रति पहले से कुछ समझ में नही आता है वे ही कारक फ़लदायी होने लगते है। इस राशि में जो लोग पहले से अपने धन को नही जमा करपाते है उनके लिये धन को बचाने के लिये नये नये रास्ते खुलने लगते है और उन रास्तों से जो भी कार्य कन्या राशि वालों को मिलते है वे भी अपनी अपनी योग्यता से आगे बढते रहते है। इस राशि में शनि गुरु की युति से अधिकतर जो भी वैवाहिक सम्बन्ध बनते है वे अपनी उम्र से बडी उम्र के लिये अथवा अपनी उम्र से बहुत छोटी उम्र वालों के लिये बनते है। गुरु की निगाह कन्या राशि वालों के तीसरे भाव में होने से पहले जो उनका रूप किसी भी रिस्क कोलेने का होता उसके अन्दर भी फ़लदायी स्थितियां मिलने लगती है,वे कबाड से जुगाड निकालने में माहिर हो जाते है और अपने रहने के स्थान और बाहर के साधनों को भली भांति पूर्ण कर लेते है।
No comments:
Post a Comment