धन आने का योग

सम्पूर्ण मनुष्य जाति को धन की आवश्यकता गौढ रूप से जरूरी है। जैसे शरीर की पालना,परिवार का पोषण अपनी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की आवश्यक्ता,शिक्षा व्यवसाय और जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धन की आवश्यकता होती है। अक्सर लोग अपने जीवन में धन की प्राप्ति के लिये कई उपाय करते है अपने अपने ज्ञान के अनुसार कार्य करते है,कोई धन से धन कमाता है कोई अपने को प्रदर्शित करके धन कमाता है,कोई अपनी अपनी भावना को प्रदर्शित करने के बाद धन को कमाता है,कोई अपनी शिक्षा को प्रदर्शित करने के बाद धन कमाता है कोई कर्जा दुश्मनी और बीमारी वाले कारणों से धन को कमाता है,कोई साझेदारी और विवाह आदि से धन कमाता है,कोई रिस्क लेकर अपमानित होकर जालसाजी करने के बाद धन कमाता है,कोई धर्म और भाग्य से अपने पैतृक कारणों से धन कमाने की चेष्टा करता है,कोई सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने के बाद धन कमाता है,कोई मित्रों के सहयोग से कमन्यूकेशन वाले साधनों से और लाभ करवाने के द्वारा धन को कमाता है कोई अपने अनुसार यात्रा वाले साधन बनाकर बडी बडी संस्थायें बनाकर चैरिटीबल ट्रस्ट बनाकर धन कमाने की कोशिश करता है। जीवन में धन कमाने के लिये करोडों प्रकार के साधन धन कमाने के लिये प्रयोग में लाये जाते है। धन कमाने और धन के गंवाने के दो अलग अलग रूप जातक की कुंडली से देखे जाते है। कब धन आयेगा और कब धन जायेगा,धन आयेगा किस मद से और जायेगा किस कारण से दोनो की समानता को देखना भी जरूरी होता है। जो धन इकट्ठा हो जाता है वह धन भी भौतिक रूप में देखा जाता है,जो धन लगातार चलता रहता है वह भी धन चलायमान धन के रूप में देखा जाता है,जो अधिक धन कमाकर और धन को धन कमाने के साधनों में लगाकर और अधिक धन कमाने के लिये अपनी बुद्धि को प्रयोग में लाता है वही बडा धनी और समझदार कहलाता है। इसके बाद वे धन कमाने वाले लोग भी धन कमाने वाले माने जाते है जो कमाते तो है लाखों करोडों लेकिन उनके पास भोजन भी खाने को नही मिलता है,कई लोग धन को जीवन भर नही कमाते लेकिन बडे मौज से सारा जीवन ऐशो आराम से निकालते है। कई लोग कमाते भी खूब है और उनके पास अंत में धन बिलकुल नही होता है,कोई जीवन की शुरुआत में धन को कमा लेता है कोई जीवन की बीच की आयु में धन को कमाता है और कोई जीवन के अन्तिम समय में कमाना शुरु करता है। धन को ही लक्ष्मी के रूप में जाना जाता है और लोग इसे लक्ष्मी की कृपा के रूप से मानते है।

धन कमाने के लिये जातक की कुंडली में तीन कारण देखने जरूरी होते है,पहला कारण गुरु के रूप में देखा जाता है जो जातक की बुद्धि और ज्ञान के बारे में बताता है कि जातक का स्वभाव जीवन में किस प्रकार से अपने को संसार में प्रदर्शित करने लिये सामने आयेगा,वह लोगों के साथ कैसा व्यवहार करेगा,और व्यवहार के अन्दर वह कैसे लोगों से अपना सम्बन्ध स्थापित करेगा,उसे कैसे वातावरण में रहना होगा,उसके साथ कैसे साधन होंगे और किन साधनों को अपने जीवन में मुख्य रूप से मानेगा। गुरु के बाद कुंडली में धन के लिये साधनों के रूप में शुक्र को देखना जरूरी होता है,जातक को धन कमाने के लिये प्रयोग किये साधनों में कौन सा साधन अधिक उत्तम रहेगा,वह जिस धन को साधनों को चलाने के लिये प्रयोग में लायेगा वे उस धन से चल पायेंगे या नही,धन जो साधनों के रूप में प्रयोग में लाया जायेगा उसकी कीमत जातक के जीवन में कैसा व्यवहार करेगी,जातक जो धन कमाने के लिये धन का प्रयोग करेगा वह आगे के साधनों में उसी धन से धन कमाने के लिये कितना बचत करेगा,या धन को कमाने के चक्कर में इतने साधन बना लेगा कि उसके पास का धन बिलकुल नही बचेगा और वह कर्जा लेकर धन को साधनों में लायेगा,वह कैसे लोगों से धन कमाने के लिये अपनी सहायता को देगा या सहायता को लेने की कोशिश करेगा। तीसरा कारण धन कमाने के लिये साधनों के रूप में देखा जाता है,साधन हमेशा केतु के रूप में देखे जाते है और साधन के कारक केतु के सामने राहु के बिना साधनों की पूर्णता भी नही मिलती है,केतु जितना बली होगा उतना ही बली राहु होगा,केतु जितना खाने की कोशिश करेगा राहु उतना ही शक्ति के रूप में केतु को खिलायेगा,केतु की भूख मिटाने के लिये राहु धन को भी खाकर साधन रूपी केतु को चलाने के लिये अपने प्रयास को सामने करेगा,वह अपने प्रयास से प्रदर्शन करने की कला के रूप में शरीर को भी खाने की कोशिश करेगा,वह माता मन मकान और जानकार लोगों को भी अपनी भूख का आहार बनाकर केतु रूपी साधन को अपना बल देगा,वह शिक्षा की शक्ति को खाकर भी अपने बल को दे सकता है,वह कर्जा करवाकर बीमारी पालकर दुश्मनी पालकर भी केतु को बलवान करेगा,जीवन साथी और साझेदार को भी खाकर अपने बल को केतु को देने की कोशिश करेगा,वह जातक को अपमान में डालकर जातक को मौत देकर या मौत जैसे कारण पैदा करने के बाद अथवा भयंकर रिस्क देकर भी केतु को बलवान करने की कोशिश करेगा,धर्म भाग्य का बल लेकर या धर्म भाग्य से कमाकर भी केतु को बलवान करने की कोशिश करेगा,इस तरीके से इन तीन कारणों को कुंडली में देखकर जातक के धन कमाने के साधनों को देखा जाता है।

1 comment:

दिवाकर प्रताप सिंह said...

भदौरिया सा'ब,
नमस्कार !
कृपया बताएं कि मेरे जन्म-कुंडली में धन आने का योग कब से है और कैसा है ?
मेरा जन्म-दिन :- 24-09-1964
जन्म का समय :- 10:45 AM
जन्म का स्थान :- इलाहबाद (U.P.)
suitur@gmail.com