मूल नक्षत्र का असर

मेरे भतीजे का जन्म उसकी ननिहाल में हुआ था। जन्म के समय ननिहाल में होने के कारण मेरे माता पिता ने उसके बारे में पंडितों से अधिक जानकारी नही की उसका कारण था कि उसकी ननिहाल वाले स्वयं किसी पंडित से जानकारी लेकर अगर कोई मूल आदि का दोष होगा तो शांति का उपाय करेंगे। बाकी के जो भी कार्यक्रम दादा दादी के होते है वे उन्होने अपने अनुसार कर लिये। मेरा भाई जोधपुर के पास एक फ़ैक्टरी में कार्य करता है फ़ैक्टरी की ही तरह से उसे रहने का मकान आदि साधन मिले हुये है इसलिये वह गांव कभी कभी किसी वक्त जरूरत पर ही आता है। उसके पैदा होने के बाद उसकी ननिहाल खान्दान की हालत धीरे धीरे बिगडने लगी। पहले जब भी कोई खुशी का काम होता तो उसके बाद अचानक गमी का काम हो जाता,उस घर से बीमारियों ने अपना स्थाई निवास बना लिया,कभी कोई बीमार हो जाता और कभी कोई बीमार हो जाता,उसके नाना कमर तोड मेहनत करते लेकिन कोई भी धन की बरक्कत नही होती,भतीजे के पैदा होने के बाद उसके नाना के बडे भाई ने बंटवारा भी कर दिया और जो सम्मिलित परिवार की आय थी वह भी अलग अलग होने के कारण धन की कमी आने लगी। उसके पैदा होने के बाद अपने पिता के पास जोधपुर के पास ही रहने लगा,उसके बाद छोटा भाई पैदा हुआ और जैसे ही भतीजा सात साल का हुआ उसकी माता को ह्रदय रोग की बीमारियों ने घेर लिया उसके पिता की पूरी कमाई पत्नी की बीमारी में लगने लगी,जो भी तन्ख्हा घर आती वह दवाइयों की भेंट चढ जाती,लगभग उसके मरने की स्थिति बन गयी। जयपुर में उसका ह्रदय का आपरेशन करवाया गया दो वाल्व ह्रदय के डाले गये और उसके बाद वह कुछ सही हुयी लेकिन दवाइयां उसकी लगातार चालू रहीं। इधर बच्चे बडे होने लगे उधर दवाइयां एक निश्चित रकम खाने लगीं,वह तो फ़ैक्टरी का सहारा था वरना फ़ाके की नौबत भी आजाती। उधर नाना परिवार में भी मुशीबतों का अन्त नही हो रहा था,भतीजे का मामा अच्छी तरह से अपनी बहिन के पास पढ रहा था,बहुत अच्छी शिक्षा का साधन था लेकिन अचानक पता नही उसके दिमाग में क्या पैदा हुआ कि वह घर से भाग कर मुंबई चला गया और वहां आवारा लडकों की संगति में रहने लगा,गलत करतूतों के कारण उसे जेल में डाल दिया गया। उसे जेल से लेकर घर आया गया तो उसकी पढाई तो पहले ही चली गयी थी,उसने गांव मे ही शहर वाली बातें चालू कर दीं,और उसे गांव वालों ने रंजिस के चलते फ़िर जेल में डलवा दिया गया। 

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