ज्योतिष की व्याख्या करना

ज्योतिष आकाशीय ग्रहों की ताकत को मानवीय प्रकृति के अन्दर होने की जानकारी देता है,यह एक भविष्य कथन नही माना जाता है,ज्योतिष सिर्फ़ बताती है कि मनुष्य अपने में किस प्रकृति का है,वह कहां से आया है,और उसे कहां जाना है,ज्योतिष चरित्र को बताती है,और चरित्र ही जीवन का मुख्य क्षेत्र होता है,अगर मनुष्य अपने चरित्र को बदल देता है,तो वह अपने आगे जाने वाले क्षेत्र को बदल कर नया जीवन चालू करता है,ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य के बारे में,कमजोरी के बारे में,चरित्र के बारे में खोजना होता है,साथ ही जो भी मनुष्य के लिये अहितकर है,उसके लिये उससे बचने के लिये सुझाव भी ज्योतिष के द्वारा दिया जाता है,ज्योतिष से बच्चों के प्रति उनकी जन्म कुन्डली से देख कर अभिभावकों को सचेत किया जाता है,कि वे किस तरह से जीवन में प्रगति की तरफ़ जा सकते है,किस तरह के लोगों के बीच उनका समानीकरण मिल सकता है.
हज्योतिष मात्र घटनाओं को ही बखान करती है,एक मनुष्य अपने सितारों पर शासन अपने द्वारा कर सकता है,शर्त यह है कि उसे पता हो कि जो सामने होने जा रहा है और उस से बचने का या उसे प्राप्त करने का रास्ता किस दिशा से या किस जानकारी से मिल सकता है,अगर मनुष्य अपने जीवन के ज्वार-भाटे के साथ बहता है,तो ज्योतिष की द्वारा जीवन प्रति जन्म कुन्डली बताती है,कि आगे क्या होने वाला है,एक चीज और है कि जन्म पत्री किसी की इच्छाओं को बखान सही तरीके से नही कर सकती है केवल अंदाज के द्वारा उस इच्छा को विभिन्न रास्तों से समझाया जा सकता है,एक चतुर आदमी अपने सितारों पर राज्य करता है,और के बेबकूफ़ आदमी  सितारों के द्वारा शासित किया जाता है,ज्योतिष केवल सावधान करती है,अगर उसे सही तरीके से जाना जाय,ज्योतिष एक नक्शे की तरह से है,और जीवन के अलग अलग रास्तों पर जाने का संकेत देती है,अगर उन संकेतों को समझा जाये,जो उन रास्तों के चिन्हों को जानता है,वह जन्म कुन्डली को उसी तरह से पढ सकता है,जिस प्रकार से एक नक्शा जानने वाला निशान देख कर कह देता है,कि आगे रास्ता बन्द है,और जबरदस्ती जाने पर एक्सीडेन्ट हो सकता है.
हमेशा याद रखने वाली बात है,कि अच्छा और बुरा इन दो प्रकार के समयों का बखान करना भाग्य का बखान करना नही होता है,वह वास्तव में हमने अपने खुद के द्वारा क्या पैदा किया है उसकी जानकारी देना होता है,कुन्डली बताती है,कि हमने अपने पिछले समय में क्या प्राप्त किया है,और क्या नही,और जो प्राप्त किया है,वह आगे की जिन्दगी में हमारे साथ क्या प्रभाव देगा,और अगर किसी प्रकार से कुछ गलत किया है,और उस गलती से आगे की जिन्दगी में कुछ बुरा होने वाला है,तो उसे किस तरह से बदल कर हम अपने लिये अच्छा प्रभाव पैदा कर सकते है,ग्रह या सितारे प्रभाव को देते है,उन्हे रोकने वाला कोई नही है,रोकना केवल अपने प्रयासों से सम्भव है,कहावत है कि मनुष्य प्रत्येक प्रकार की शक्ति को श्रंखला से प्राप्त कर सकता है,अगर वह अपने को कंट्रोल करने का उपाय जानता है.
जीवन और प्रकृति का बखान मानव के लिये एक अटल सिद्धान्त के रूप में कार्य करता है,ग्रहों की आपसी युति जीवन के प्रति जो मंजिल बताती है,वह जन्म कुन्डली के द्वारा ही मालुम होती है,जन्म कुन्डली में जिस समय जन्म हुआ,उस समय की ग्रह स्थिति उनका स्थान और उनके द्वारा आपसी सम्बन्धों का विवेचन जो कहा जाता है,वह एक सामयिक घटना के अलावा कुछ नही माना जा सकता है,जन्म एक अहम के माफ़िक होता है,"मैं एक व्यक्ति हूँ",और मेरा जन्म इस तारीख को हुआ था,इसके अलावा और कुछ नही कहा जा सकता है,इस अहम का अन्त ही मौत के नाम से जानी जाती है,जन्म कुन्डली हर व्यक्ति के मंजिल पर पहुंचने की एक घडी मानी जाती है,जो मंजिल पर पहुंचने का समय बताती है.इस घडी के द्वारा यह भी पता चलता है,कि कब किस काम के द्वारा अच्छा किया गया है,और किस काम के द्वारा बुरा किया गया है,जो किया गया है,उसका मिलने वाला फ़ल कब और कैसे मिलेगा,प्रति ली जाने वाली सांस के द्वारा ग्रहों का असर शरीर में आता है,और प्रति सांस के द्वारा किये जाने वाला कार्य और सोचा जाने वाला विचार ग्रहों के द्वारा जीवन के रजिस्टर मे लिखा जाता है,और जब किये गये या सोचे गये कामों का फ़ल मिलने का समय आता है,अथवा जो बोया गया है,उसे काटने का समय आता है,तब व्यक्ति के पास सुख या दुख मिलना चालू हो जाता है,लेकिन प्रकृति का नियम कभी बदला नही जा सकता है,भगवान की चक्की में पिसता जरूर देर से है,लेकिन पीसा महीन जाता है.
इस ज्योतिष के तीन सिद्धान्त है,जो इस जादुई विद्या का प्रतिपादन करते है,पहला भाव के रूप में जाना जाता है,जैसे पहला भाव,दूसरा भाव आदि,दूसरा सिद्धान्त राशियां है,जैसे मेष राशि,वृष राशि आदि और तीसरा सिद्धान्त ग्रह बताये गये है,हर भाव जिन्दगी का एक डिपार्टमेंट है,राशि ब्रहमाण्ड का डिवीजन है,जो भाव के अन्दर स्थित होकर व्यक्ति का प्राथमिक उत्तेजना का बखान करता है,और व्यक्ति किस प्रकार से अपने जीवन के अन्दर अपना असर देगा,यह बताया जाता है,इसके अलावा ग्रह भगवान के द्वारा स्थापित किये गये दूत है,जो हर भाव और राशि में घूम घूम कर आत्मा की उन्नति और अवनति के लिये अपना कार्य करते रहते है. 
ग्रह अपना भाव उसी तरह से प्रकट करते हैं,जिस प्रकार से एक एक्टर अपनी कला को स्टेज पर दिखाता है,और जिस राशि में ग्रह है,वह बताता है,कि यह एक्टर किस प्रकार का खेल दिखा सकता है,और भाव के द्वारा पता चलता है कि जो खेला जाता है,उस खेल की सेटिंग किस तरह से की गयी है,कितने समय का और कब खेला जायेगा,और किस प्रकार से उस खिलाडी से अपना सम्बन्ध बना कर रखेगा,हर ग्रह अपनी एक भिन्न शक्ति को रखता है,वह शक्ति नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी,ग्रह पूरी तरह से सकारात्मक है,और नकारात्मक भाव में या नकारात्मक राशि में,या नकारात्मक ग्रह द्वारा समर्थित है,तो वह भी जथा संगति तथा गुण को देगा,यह जरूरी बात है.कुन्डली केवल टेन्डेन्सी  बताती है,यह बताने वाले के ऊपर निर्भर करता है,कि वह उस बखान को किस प्रकार से करेगा,कुन्डली को बखान करने के लिये ज्योतिषी में भी इच्छा शक्ति का होना जरूरी है.

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