ज्योतिष में योग,मन्दिर में भोग,अस्पताल में रोग,ज्योतिर्विद,पुजारी,और वैद्य के बस की बात ही होती है.
बुध शनि की युति (पहला भाव)
बुध शनि की युति अगर पहले भाव में हो तो या तो चेहरे पर कोई काला निशान जैसे गोल मस्सा होगा,लहसन का निसान होगा,या बहिन बुआ बेटी को अपना शरीर छुपाकर चलने की आदत होगी,अक्सर मर्यादा वाले घरों के अन्दर यह बात अधिक देखने के लिये मिलती है,बुध शनि की युति वाले परिवारों में घर में बहिन बुआ बेटी काम काज में भी बहुत हाथ बटातीं होंगी लेकिन सभी काम काज शरीर से सम्बन्धित होते है जैसे कि परिवार के लोगों की सेवा करना उनके खाने पीने और ठहरने आदि के बारे में घर की बहुयें काम नही करतीं होंगी,घर की बहिन बुआ बेटी के जिम्मे वह सभी काम होंगे जो शरीर पालन की क्रिया में शामिल किये जाते है। अक्सर बुध शनि की युति पहले भाव में मार्गी शनि के साथ होने पर और भाव का प्रभाव शनि या बुध के माफ़िक होने से व्यक्ति की प्रतिमा जनमानस के ह्रदय में बस जाती है,जिनकी प्रतिमायें चौराहों या सार्वजनिक स्थानों में लगी होती है वे पहले भाव की श्रेणी में नही आते है उनके चौथे भाव का रूप सामने आता है। बुध शनि के पहले भाव में होने से व्यक्ति के बाल घुंघराले होते है और बहुत ही मुलायम और काले होते है,अक्सर इस प्रकार के लोगों के बाल काफ़ी लम्बे भी होते है,लेकिन शनि की उपस्थिति से अक्सर इस प्रकार के लोगों के बालों में जुयें भी खूब पडती है। व्यक्ति को भावानुसार चुगली करने की आदत होती है,व्यक्ति के अन्दर जुबान में न समझने वाली स्थिति को भी जाना जाता है,अक्सर इस प्रकार के लोग अपनी अपनी आदतों के अनुसार जुबान के पक्के नही माने जा सकते है,उनके लिखने पढने के अन्दर देरी होती है,वे केवल शरीर के इशारों से अच्छी तरह से बात करना जानते होते है,अक्सर बुध शनि की आदतों के अनुसार परिवार में बडे भाई के जो लडकी होती है उसकी या तो ग्रहों के अनुसार प्रसंसा होती है अथवा उसकी गाथायें समाज में खूब बखानी जाती है। अक्सर इस प्रकार के जातक किसी भी दशा में अपने शरीर के हाव भाव प्रदर्शित करने में जैसे कैट-वाक करना आदि खूब कर सकते है,लेकिन इस काम में शुक्र और गुरु का भी योगदान होना चाहिये। शुक्र के साथ होने पर सजने सजाने के कामों में भी खूब मन लगाते है,एक्टिंग के कामो के अन्दर उनका नाम अक्सर सुना जाता है,दक्षिण भारतीय नृत्यांगनाओं की बुध शनि शुक्र की युति को समझा जा सकता है,उनके हाव भाव ही अधिक देखे जाते है। रात को गाये जाने वाले गीत भी शनि के पराक्रम को देखे जाने के कारण इस प्रकार के जातकों को खूब आते है,गुप्त सूचनायें देना और गुप्त जानकारी रखना आदि काम भी इस प्रकार के लोगों को खूब भाते है। सूर्य के साथ होने पर बुध का असर कम हो जाता है और इस प्रकार के जातक समाज या दिन की रोशनी में घर से निकलना पसंद नही करते है,बातों के अन्दर पिता और पुत्र से कभी विचार नही मिलते है,घर के सदस्यों के साथ सुबह या शाम को ही मुलाकात हो पाती है,हमेशा साथ नही रहता है। जातक की प्राथमिक अवस्था में वह अक्सर पिता से दूर ही रहता है। शनि बुध के साथ चन्द्रमा के आने से जातक अपने विचारों और कामों को अपने अनुसार नही कर पाता है उसे दूसरों से पूंछ कर ही काम करना पडता है,स्वतंत्र विचार वह कभी प्रदान कर ही नही सकता है,उससे अगर किसी विचार के मामले में जानने की इच्छा होती है तो वह बता देता है कि फ़लां जगह पर फ़लां पन्ने पर यह बात लिखीहै,वह खुद उस बात को अपने द्वारा छानबीन कर नही बता पाता है। शनि का प्रभाव सप्तम स्थान पर होने और बुध का भी सम्प्तम स्थान को देखे जाने के कारण अधिकतर जीवन साथी की आवाज अधिक तेज होती है,उसका कारण भी या तो बुध शनि की लगन में स्थिति वाला जातक अपने विचारों को सही रूप से प्रकट नही कर पाता है अथवा वह अपने अनुसार अंधेरे में रहने के कारण समझ नही पाता है और जीवन साथी को बार बार एक ही बात कहने के अनुसार चिल्लाने या चीखने की आदत पड जाती है,इस प्रकार के जातकों को अक्सर कम सुनाई देने वाले जीवन साथी ही मिलते है,या तो वे जन्म से कम सुनते है अथवा शादी या विवाह के बाद जातक की शनि बुध की युति उन्हे कम सुनने का मरीज बना देते हैं। बुध शनि के जातकों को हरा और काला रंग बहुत पसंद होता है अक्सर इस प्रकार के जातकों को गहरा हरा रंग और गहरे हरे रंग के पत्ते वाले पेड अधिक पसंद होते है,अगर राशि का पूर्ण सहयोग हो तो जातक के निवास के आसपास बुध-शनि का पेड बरगद जरूर होता है अथवा चन्द्रमा की युति के कारण दूध के पेड भी पाये जाते है,बुध शनि का प्रभाव छोटे रूप से बडे रूप में होने का मिलता है,जैसे एक बरगद का पेड बहुत छोटे से बीज के अन्दर छुपा होता है,और जब वह फ़ैल जाता है तो उसकी जडें काफ़ी लम्बी चलती है और हर डाली से एक जड निकल कर अपना अपना भोजन ग्रहण करने लगती है,अक्सर बुध शनि वाले जातकों के कन्या संतान या तो बहुत अधिक होती है अथवा होती नही है,बुध शनि वाले जातकों की लडकियां खोती बहुत है,यह प्राभाव पहली साल में फ़िर तेरहवी साल और फ़िर पच्चीसवीं साल तक मिलता है। बुध का अन्धेरे में गुम हो जाना भी इसी बात का द्योतक है। बुध शनि वाल जातक संतान के मामले में शुरु में बहुत कमजोर संतानों को पैदा करने वाले होते है,लेकिन वे संताने अपनी उम्र में जाकर बहुत बडा नाम या क्षेत्र विकसित करती है।
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