मंगल पराक्रम के लिये माना जाता है,शक्ति का दाता है,यह मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है,मेष में सकारात्मक और वृश्चिक के लिये नकारात्मक माना जाता है। सकारात्मकता के भेद को समझने के लिये केवल इतना ही माना जा सकता है कि जो कारक तत्व सकारात्मक है उनके अनुसार अपने पराक्रम को और शक्ति को खर्च करने वाला माना जाता है,केवल शरीर और वस्तु से ही अपनी औकात दिखाने का कार्य करता है जबकि नकारात्मक का प्रभाव उन्ही कारकों से माना जाता है जो मरी हुयी चीजो और जीवों के अन्दर जान फ़ूंकने का काम कर सकता हो। मंगल का स्थान भारत की कुंडली में दूसरे भाव में है,और यह दूसरा भाव दिशाओं से भारत की उत्तरी-पश्चिमी दिशा को इंगित करता है। जिसके अन्दर काश्मीर आदि स्थान माने जाते है। मंगल का रूप हिंसक तभी माना जाता है जब यह अपने बद रूप में हो,यह बुध के भावों में बुध के साथ शनि के भावों में और शनि के साथ तथा राहु केतु की युति में और एक दूसरे के लिये सहयोगी युति के लिये अपना बद रूप लेकर उपस्थित होता है,बद मंगल के लिये लालकिताब का नियम बताता है कि यह भूत प्रेत और पिशाचात्मक शक्तियों से ग्रसित होता है। भारत की कुंडली वृष लगन की है और मंगल का स्थान मिथुन राशि का है,यह बुध की राशि है और मंगल के लिये बद का रूप प्रस्तुत करती है। लेकिन इस मंगल का प्रभाव तकनीक के लिये भी माना जा सकता है,मिथुन राशि से बोलने चालने पहिनने और अपने को प्रदर्शित करने के लिये भी माना जाता है,जब मंगल की युति इस राशि से मिल जाती है तो यह बोलने चालने अपने को प्रदर्शित करने के लिये हिंसक रूप में सामने आता है बोलने के अन्दर खरा स्वभाव और उत्तेजना को देने वाला माना जाता है,यह अपने रूप के अनुसार बद होने के कारण खूनी खेल और खून से सने हुये रूप में प्रदर्शित करने की मान्यता रखता है। चेहरे को कुरूप बनाने के लिये लाल कपडा पहिनने के लिये और हरी भरी धरती पर खूनी रंग फ़ैलाने के लिये भी अपनी मान्यता रखता है। मिथुन राशि का स्वामी बुध है,बुध की कारक बकरी को भी हिंसक रूप से देखता है,जो बकरी जैसे रूप को हिंसक देखता हो उसे भेडिया की उपाधि भी देना सही माना जा सकता है,यह अपनी द्रिष्टि के अनुसार पहले चौथे सातवें और आठवें भाव पर प्रभाव डालता है,लेकिन अन्दरूनी रूप में पंचम नवम भाव से भी अपना सम्बन्ध रखता है,इस मंगल के बारे में एक उक्ति बहुत ही मशहूर है कि यह कभी बीच का नही होता है,-"या तो सरासर सांग होजा या तो सरासर मोम हो जा",सांग एक पत्थर होता है जो केवल टूटने में ही विश्वास रखता है,मोम तो सभी को पता होता है कि जब पिघलता है तो पानी की तरफ़ बहने लगता है,लेकिन मिथुन राशि में होने के कारण इसे दोहरे रूप में देखा जा सकता है,लेकिन दोहरे स्वभाव के प्रति आशा नही की जा सकती है,मिथुन राशि बुध की राशि है और कमन्यूकेशन के प्रति अपना स्वभाव रखती है,मंगल के साथ हो जाने से यह कमन्यूकेशन के अन्दर तकनीक के लिये भी अपनी मान्यता को रखता है,बनाये जाने वाले कपडे और साजो सामान की तकनीक भी यह मंगल मिथुन राशि को देता है। बुध की राशि होने के कारण बोलने चालने की भाषा को यह अपने पराक्रम के रूप में प्रदर्शित करता है और इस स्वभाव से ग्रसित लोगों के लिये गाली देकर बात करना या मार डालने और मिटा देने वाली बात को सामने रख कर चलना,छोटी छोटी बातों में उत्तेजित होने लग जाना और अपने को कमजोर होते हुये भी सूरमा की उपाधि देना भी माना जा सकता है। भारत की कुंडली में दूसरे भाव में होने के कारण यह धन के भाव में अपनी मान्यता को देता है,तकनीक के मामले में जिन लोगों ने कमन्यूकेशन को धन के रूप में देखा है वे ही आज समृद्ध और फ़लीभूत है साथ ही जिन लोगों को कपडे और अन्य किसी प्रकार के साजोसामान बनाने की कला आती है,जो लोग इस मंगल की तकनीक को अपने कार्यों मे प्रयोग में लेते है जैसे कपडे का तकनीकी रूप में काटना बोलने चालने वाली भाषा को तकनीकी रूप में प्रदर्शित करना इसी मंगल की देन है। भारत की कुंडली में यह मंगल अपने को प्रदर्शित करने वाले रूपों में भी देखा जाता है,भारत की छवि इसी मंगल के कारण बुध का साथ देते हुये,बुध की कांग्रेस पार्टी को अपने अपने रूप में दिखाने की तकनीक यही मंगल देता है। मंगल का योगात्मक प्रभाव भारत की शिक्षा पर भी है सरकार पर भी यह,लेकिन राज्य के मालिक बुध होने के कारण भी शिक्षा का रूप बुध की भाषा अंग्रेजी और बुध की पार्टी कांग्रेस के लिये यह अपने बल को प्रदर्शित करता है,बुध की पार्टी को अन्य रूप में भी देखा जाता है,भारत सरकार की कन्या राशि होने के कारण बुध इसका स्वामी हो जाता है,और शुरु से ही यह सरकार के प्रति अंग्रेजी के प्रति अंग्रेजी शासन के प्रति,स्वतंत्र होने के बाद अंग्रेजी भाषा के प्रति बुध के ही कारक कमन्यूकेशन के प्रति और जब इस बुध के द्वारा राज्य भाव पर असर कम हुआ तो सीधा बुध का रूप हाथ का पंजा चुनाव चिन्ह के रूप में लेने पर (अंक पांच बुध का अंक है,और हाथ के पंजे में पांच ही उंगलिया है) पुराने जमाने से प्रयोग में लाये जाने वाले हाथ के पंजे को जो मांगलिक अवसरों पर घरों में अपनी छाप को बनाता था बहुत ही तांत्रिक रूप में उस समय के शासकों ने चतुराई से ग्रहण कर लिया,चन्द्रास्वामी जैसे तांत्रिकों ने बिना सोचे समझे यह अटल चिन्ह बता तो दिया लेकिन यह नही सोचा कि इस छाप के पीछे भी मंगल विराजमान है और इसका राज भारत की लगन के बारहवें भाव में इसकी ही राशि का प्रभाव है,वह मेष राशि अपने प्रभाव से तथा भारत की सप्तम की राशि वृश्चिक होने के कारण जो भारत के मुंबई और उसके आसपास के भूभाग पर विराजमान है,मंगल को वैसे भी दक्षिण दिशा का कारक माना गया है,अपने प्रभाव से इस छाप को ग्रहण करने के बाद कभी भी बलि का बकरा बना सकती है,कारण मिथुन राशि का दोहरा स्वभाव है,वह अपने रूप में कडक के सामने नरमी और नरमी के सामने कडक वाले स्वभाव को अपनाती है।
इस मंगल का गोचर से भारत की कुंडली में विभिन्न भावों में होने पर कई असमान्य स्थितियां अपने आप प्रकट होने लगती है,भारत में उत्तर-पश्चिम की हिंसक नीति आगे बढने से हमेशा रोके रही है,जब भी कोई नया कार्य या नया विकास आमने सामने होता है यह मंगल अपने स्वभाव से फ़ौरन हिंसकता को बीच में ले आता है यहां तक कि जब भी सरकारी बैठकें होती है लोकसभा या विधान सभा में कोई फ़ैसला होना होता है तो यह अपने गोचर के प्रभाव से उस बैठक में लात जूते चलवाने और खून खराबा करने पर अमादा हो जाता है,जो भी सीधे सादे रूप में अपने व्यक्तित्व को प्रदर्शित करना चाहता है उसके ऊपर यह हावी हो जाता है,और जो कडक रहकर सामने अपनी औकात को दिखाता है उसके सामने यह अपने को चुप रखता है,लेकिन कडक के लिये भी अन्दरूनी रूप से अपनी कार्यवाही को जारी रखता है। इस मंगल का स्थान धन में होने के कारण यह कमन्यूकेशन के रूप में जनता के धन को बडे आराम से प्राप्त कर रहा है,जो भी काम पब्लिसिन्ग का होता है मीडिया जो मिथुन राशि की महत्वपूर्ण कडी है अन्दरूनी रूप से अपने प्रभाव को बद रूप में प्रकाशित करती है और जो भी मुद्दे वाले काम होते है उनसे जनता का दिमाग हटाकर मारकाट और हिंसक वारदातों को प्रस्तुत करने के बाद अपने को जाहिर करने के लिये भी मानी जाती है,जो मीडिया वाले इस मंगल का रूप समझ गये है वे खतरनाक कार्य और खून खराबा हत्या बलात्कार आगजनी की खबरों को महत्वपूर्ण स्थान देते है,और अपने नाम को आगे से आगे रखने के लिये इसी प्रकार की तकनीक को सामने लाने की कोशिश करते है।
यह मंगल पिछले समय से अपने अपने भावों के अनुसार अपना प्रभाव देता चला आ रहा है,धन के भाव में आने के कारण इसका प्रभाव शेयर बाजार और विदेशी मुद्रा के प्रति भी अपना रवैया खतरनाक ही रखता है,दक्षिण की कोई भी वारदात शेयर बाजार को धराशायी कर देती है और उत्तर की कोई बारदात इस के भाव ऊंचे कर देती है,जब भी यह मेष राशि में आता है या अपनी युति बनाता है तो युद्ध जैसी हालत को पैदा कर देता है,और जब भी भारत की लगन में आता है तो पबलिक को कन्ट्रोल करने के लिये नये नये कानून बनाकर परेशान करने के उपक्रम चालू कर देता है। मंगल अन्दरूनी गर्मी का कारक है जिससे भी कोई बात हो जाती है तो अपने स्वभाव के अनुसार अन्दर ही अन्दर सुलगता रहता है और अचानक अपनी विस्फ़ोटकता को जाहिर करता है,जहां भी धर्म स्थान है उन पर यह सबसे पहले अपने आघात को केवल इसलिये दिखाता है कि उसके सप्तम में गुरु की राशि धनु है,धनु राशि का स्वामी गुरु भी इस मंगल से अपनी अन्दरूनी युति को बनाकर रखता है,भारत की कुंडली में गुरु का स्थान छठे भाव में है और वह भाव व्यापार की राशि तुला में है,तुला राशि का गुरु केवल व्यापारियों और जमा करने वाली संस्थाओं जैसे बैंक आदि के बारे में अपनी अन्दरूनी सहायता इस मंगल को प्रदान करता रहता है और इस मंगल को बल मिलता रहता है। मंगल की खोजी नजर और कन्ट्रोल करने वाली चौथी नजर भारत के शिक्षा भाव पर है,खेल भाव पर है जल्दी से धन कमाने वाले भावों पर जिनसे लाटरी सट्टा और जुये जैसे कार्य शेयर बाजार और पूंजी को पूंजी से कमाने वाले भाव माने जाते है,जनता के रहने वाले स्थानों की तकनीक और जनता की बुद्धि का मालिक भी बुध है,बुध का भरोसा नही होता है कि कब कौन सा कानून शुरु हो जाये और जो आज बनाया है उसे कल तोडना पड जाये और जनता की पूंजी को कन्ट्रोल तो करता है लेकिन जनता की पूंजी का मालिक भी उत्तर दिशा में विराजमान हो गया है,इसलिये जो भी पूंजी भारत के विकास के लिये आती है वह मंगल की शह पर भारत के उत्तर में ही रह जाती है दक्षिण की तरफ़ जा ही नही पाती है,जब तक वह दक्षिण पहुंचती है तब तक गुरु अपनी युति से उसे केवल जांच और किये जाने वाले कार्यों के लिये अपनी बुद्धि को प्रकट करने लगता है,गुरु जो न्याय का कारक है खुद ही कर्जा दुश्मनी बीमारी और व्यापारिक कारणों में फ़ंसा पडा है,गुरु के पास जो बैंक के स्थान में है व्यापार के मामले में करोडों के केश आज भी भारतीय अदालतों में पेंडिंग है जो केवल बैंक के लेन देन और चैक सम्बन्धी मामले पाये जाते है उसका भी मुख्य कारण इस मंगल की गुप्त नीति है जो जनता को उधार लेने के लिए बाध्य भी करती है और चुकाने के लिये मना भी करती है,या तो जनता को उधार मिल नही पाता है उधार मिल भी जाता है तो जनता उसे चुका नही पाती है,यही हाल गुरु के द्वारा रिस्ते नातों के लिये माने जाते है,भारत की स्वतंत्रता के बाद जितने भी रिस्ते होते आये है या हो रहे है किसी न किसी प्रकार से अपने अपने अनुसार इस मंगल के कारण उत्तेजना और घरेलू कार्यों की बजह से टूट भी रहे है,गुरु शुक्र के घर में होकर बुध के परमानेंट भाव में पडा है,जज वकील और समाज भारतीय रिस्तों को अन्ग्रेजी कानून के मार्फ़त से ठीक करने में लगा है,शुक्र को कानूनी बल मिलने से स्त्रियां गुरु से नवें भाव में मंगल होने से कानूनी रूप से पुलिसिया बल को प्राप्त करने लगीं है,यह पुलिसिआ बल सीधे से ही मंगल के आगे सूर्य चन्द्र शुक्र बुध राहु को अपने चपेटे में ले लेता है और जो भी शादी के बाद की बातें होती है उनके अन्दर इस मंगल के द्वारा सूर्य से पिता चन्द्र से माता शुक्र से सम्पत्ति और पत्नी बुध से परिवार के द्वारा बोले जाने कहे जाने वाले राहु से पूर्वजों की हस्ती तक नीलामी की कगार पर ले जाकर खडी कर जाती है,लोग इस मंगल के डर से लडकों के विवाह करना भूलते जा रहे है,और जो करते भी है वे विवाह करने के बाद सीधे से अपने लडके को अपने से दूर बिठा देते है कि कहीं बहू के माता पिता सीधे से जाकर अन्दर नही करवा दें। मंगल के मिथुन राशि में होने के कारण जो भी अपने दिखाना चाहता है वह अपने पराक्रम से कतई कम नही दिखाना चाहता है,जिसे भी देखो वही अपनी बाहें फ़ुलाये घूमता है,अच्छी बात कहने के बाद भी उसे बुरी लगती है,अक्सर पहले लडाई होती है और उस लडाई में पूर्वजों से लेकर वर्तमान तक का इतिहास बयान कर दिया जाता है,बुध के साथ राहु के आने से जो भी कहा जाता है वह झूठ की नींव पर कहा जाता है। मंगल हस्ताक्षर के भाव में भी है जो देखो वही प्रधानमंत्री के हस्ताक्षर करवाने के लिये भागा भागा फ़िरता है। मिथुन राशि का दूसरे भाव का मंगल अपनी सप्तम द्रिष्टि को भारत की कुंडली में अष्टम भाव पर डालता है,यह भाव दूसरे के धन को लेकर अपने द्वारा कमाने का भाव कहा जाता है,इस भाव से मौत के बाद की सम्पत्तियों को भी जाना जाता है,यह भाव अपमान मौत और जान जोखिम के भाव के रूप में भी जाना जाता है,इस भाव के अनुसार जो भी कार्य होते है वे जासूसी के द्वारा करने का भाव भी कहा जाता है,इस मंगल को रुचि भी इन्ही कामों से है जब भी कोई बात होती है तो सीधे से जमीन के नीचे पहुंचाने का कार्य करता है,इस मंगल को जनवरी दो हजार में राहु के द्वारा उसी नजर से देखा गया था जिस नजर से यह मंगल आठवें भाव से देखता है,इस मंगल के अन्दर पश्चिम दिशा में राहु ने वह करेंट भरा था कि पूरा गुजरात दहल गया था।
इस मंगल के उपाय भी अनौखे है,अगर उपाय किये जाते है तो आफ़त है और नही किये जाते है तो आफ़त है,कारण जो भी आग के पास जायेगा उसे तो जलना ही पडेगा,और जो आग जिसके पास आयेगी तो भी जलायेगी। इसलिये आग को काबू करने के लिये गुरु चन्द्र का उपाय अपनाना चाहिये,जो पैदा हो गया है उसे मरना भी इसलिये इस मंगल की उम्र का दूसरा भाग चल रहा है और यह भाग अपने साथ प्लूटो को शामिल करने के बाद जैसे ही प्लूटो सन दो हजार इक्कीस में अपना स्थान बदलेगा इस मंगल का प्रभाव भी नेस्तनाबूद हो जायेगा.
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