दीपावली पर प्रत्येक व्यवसायीगण व्यापारी नौकरी पेशा वर्ग,मजदूर घर गृहस्थ बाल वृद्ध नर नारी के ह्रदय में नवीन चेतना अभ्युदय कराने वाला तथा साहसिक क्षमता का विस्तार करने वाला माना जाता है। दीपावली का मुख्य समय प्रदोष काल होता है। बहुत से व्यवसायीगण एवं श्रद्धालुजन जो रात्रि में पूजन नही कर पाते है,वे अपनी सुविधानुसार दिन में अच्छा मुहूर्त और लग्न देखकर पूजनादि कृत्य करने में अपनी अडिग आस्था रखते हैं। वैसे व्यापारियों में दीपावली पर्व पर केवल अमावस्या तिथि तक पूजन आदि करने में आस्था मानी जाती है। चतुर्दशी या प्रतिपदा में पूजन करना इनके अन्दर विश्वसनीय नही माना जाता है। व्यवसाइयों के लिये श्रीगणेश पूजा और लक्ष्मी पूजा अनिवार्य मानी जाती है। जो लोग लोक मान्यता या अन्य प्रकार से विश्वास नही करते है उनके लिये अर्थ वाली परेशानियां अक्सर बनी ही रहती है। अत: शास्त्रानुसार सूर्यास्त से पहले स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लेने चाहिये,शुद्ध मुहूर्त में गणेशजी और लक्ष्मी सहित कुबेर जी और इन्द्रादि देवताओं की पूजा करनी चाहिये। दीपावली में प्रदोषकाल में पूजन का बहुत ही बडा महत्व है। इसलिये पूजन आदि सम्भव नही हो सके तो प्रदोषकाल में पूजन का संकल्प आदि जरूर कर लेना चाहिये। इसके बाद अपनी आस्था और सुविधानुसार पूजन करना उत्तम रहता है। शुभ लग्न या निशीथकाल या किसी शुभ चौघडिया में पूजन करना भी महत्व रखता है।
इस वर्ष कार्तिक कृष्णपक्ष १४ परत: अमावस्या शुक्रवार ता ५ नवम्बर २०१० को दीपावली महान पर्व पड रहा है,इस दिन चतुर्दशी तिथि जयपुर के समयानुसार दिन के १ बजकर १ मिनट तक ही है,इसके बाद अमावस्या शुरु हो जाती है,इस दिन चित्रा नक्षत्र दिन के १२ बजकर एक मिनट तक है उसके बाद स्वाती नक्षत्र तथा प्रीति नामक योग दिन के दो बजकर पैतालीस मिनट तक है। इसके बाद तुला का चन्द्रमा और आयुष्मान योग शुरु होगा। महत्वपूर्ण प्रदोषकाल दिन के पांच बजकर ग्यारह मिनट पर शुरु होगा इस समय मेषलग्न और ताराबल सम्पद का होगा। चन्द्र बल दो मे होगा और करण चतुष्पाद होगा,चर राशियों में वृष राशि का योगदान होगा। यह रात के आठ बजकर दस मिनट तक रहेगा। महानिशीथकाल भी रात को ग्यारह बजकर पन्द्रह मिनट से बारह बजकर छ: मिनट तक रहेगा। राहु के अष्टम में होने के कारण खाता आदि लिखने के समय राहु के दान आदि करने से राहु की शान्ति मिलती है। रात को आठबजकर दस मिनट से दस बजकर नौ मिनट तक मिथुन लगन का समावेश होता है और जिसमें भी लाभ नामकी चौघडियां मिलती है,उसका भी उपयोग पूजा पाठ में लिया जा सकता है।
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