मकर का मंगल जब वृश्चिक के राहु और वृष के केतु से सम्बन्ध बना लेता है तो उसे प्रेतपुरीश कहा जाता है,यह मंगल तब और खतरनाक हो जाता है जब वह कन्या के चन्द्रमा से भी युति बना ले,चन्द्रमा का आमना सामना मोक्ष भाव में स्थापित सूर्य और गुरु से हो जाये तथा राहु का बल भी सूर्य गुरु को मिल जाये। प्रस्तुत कुंडली में धनु लगन है और धनु लगन का स्वामी गुरु मीन राशि में विराजमान है,गुरु का सम्बन्ध धर्म और भाग्य के मालिक सूर्य से है,तथा शमशानी शक्तियों के मालिक वृश्चिक के राहु से है,इसके साथ ही इस गुरु को प्रताणित करने वाला शनि भी है जो सप्तम में जीवन साथी के भाव में विराजमान है। राहु का असर भाव,राशि,द्रिष्टि शत्रु और मित्र ग्रह,आदि के द्वारा देखा जाता है,गुरु का सम्बन्ध जब इस राहु से किसी भी प्रकार से हो जाता है तो जातक को तकनीकी ज्ञान में गूढता तो आजाती है,लेकिन वह इन्सानी कारकों के लिये खतरनाक हो जाता है। बारहवें भाव में वृश्चिक राशि का होना शमशान को खोपडी पर चलने वाला माना जाता है,यह कालपुरुष की मृत्यु की राशि है,और यह मंगल की नकारात्मक राशि के नाम से भी जानी जाती है। मंगल की मेष राशि जहां जीव की उत्पत्ति की कारक मानी जाती है वहीं पर वृश्चिक राशि जीव के विनाश की कारक मानी जाती है। वृश्चिक राशि का राहु कभी भी कूच करने का नगाडा बजा सकता है,यह लालकिताब का फ़ारमूला कहा जाता है। जातक के दिमाग में प्रेतात्मक शक्तियां निवास करती है यह राहु के द्वारा वृश्चिक राशि में होने पर दिये जाने वाले प्रभावों के लिये भी मान्य है। राहु जिस भी ग्रह को देखता है,उसे भी अपनी शक्ति से पूर्ण कर देता है,चाहे वह राहु का शत्रु हो या मित्र,उसे किसी की परवाह नही होती है,जिस भी ग्रह के प्रति वह अपना गोचर या जन्म के स्थान से द्रिष्टि देता है उसे ही अपने में मिलाने की औकात रखता है। इस राहु के प्रभाव का असर अक्सर जातक के अन्दर तभी देखने को मिलता है जब जातक या तो जन्म से ही दवाइयों के अनुसार अपने जीवन को चला रहा हो,या फ़िर वह उम्र के शुरुआती समय में ही शराब कबाब और तामसी भोजनों की संगति में पड गया हो। पुराने जमाने में कहा जाता था कि भभूत में शक्ति होती है,भभूत को कोई योगी दे देता था तो कोई भी बीमारी सही हो जाती थी। आज के जमाने में उस भभूत के अन्दर शक्ति को प्रकट करने का तरीका भी पैदा हो गया है,हर घर में यह भभूत अपनी अपनी शक्ति के अनुसार कार्य कर रही है,शायद आपको पता होगा कि सिलीकोन जो जली हुयी मिट्टी होती है,जिससे कम्पयूटर,टीवी,मोबाइल,आदि के पार्ट बनाये जाते है,उन पार्टों में भिन्न भिन्न मात्रा के अनुसार अन्य तत्व मिलाकर उस भभूत रूपी सिलीकोन से अलग अलग कार्य करवाये जाते है,उन कार्यों को करवाने के लिये भभूत से बिजली को गुजारा जाता है और वह बिजली उस भभूत रूपी सिलीकोन को मात्रा के अनुसार गर्म करने के बाद विभिन्न प्रकार के चित्र गणना करना बातचीत करना सम्भव किया जा सका है। वृश्चिक का राहु सिलीकोन के अन्दर गुजारी जाने वाली बिजली को सम्पादित करने की योग्यता रखता है,वह उसे गुरु सूर्य केतु का असर मिलने के बाद इस काबिल बना देता है कि वह उससे कई प्रकार के कार्य सम्पादित करने की योग्यता बना लेता है। सिलीकोन के बारे में आप इस चित्र को देखकर और सिलीकोन के मामले में पढ कर जान सकते हैं।
विकिपीडिया में आप सिलीकोन के बारे में अधिक पढ सकते है,यह राख की तरह की धूल होती है।
Silicon (pronounced /ˈsɪlɨkən/ SIL-ə-kən or /ˈsɪlɨkɒn/ SIL-ə-kon, Latin: silicium) is the most common metalloid. It is a chemical element, which has the symbol Si and atomic number 14. A tetravalent metalloid, silicon is less reactive than its chemical analog carbon. As the eighth most common element in the universe by mass, silicon very rarely occurs as the pure free element in nature, but is more widely distributed in dusts, planetoids and planets as various forms of silicon dioxide (silica) or silicates. In Earth's crust, silicon is the second most abundant element after oxygen, making up 25.7% of the crust by mass.[4]
Silicon has many industrial uses. It is the principal component of most semiconductor devices, most importantly integrated circuits or microchips. Silicon is widely used in semiconductors because it remains a semiconductor at higher temperatures than the semiconductor germanium and because its native oxide is easily grown in a furnace and forms a better semiconductor/dielectric interface than any other material.
In the form of silica and silicates, silicon forms useful glasses, cements, and ceramics. It is also a constituent of silicones, a class-name for various synthetic plastic substances made of silicon, oxygen, carbon and hydrogen, often confused with silicon itself.
Silicon is an essential element in biology, although only tiny traces of it appear to be required by animals.[5] It is much more important to the metabolism of plants, particularly many grasses, and silicic acid (a type of silica) forms the basis of the striking array of protective shells of the microscopic diatoms. अधिक जानकारी के लिये आप उद्धत लिंको को क्लिक करने के बाद पढ सकते हैं। इस शमशानी धूल को लोग अपने घरों में सजाकर केवल इसलिये रखते है क्योंकि इसके प्रयोग से आज के लोगों का जीवन ही पूरा बदल गया है,जैसे पुराने जमाने में लोग भभूत से भूतों को बुलाया करते थे,उस समय वे अपने हाथों में भभूत को रगड कर और कुछ मंत्रों का उच्चारण करने के बाद देवता को बुलाते थे,या किसी खोये व्यक्ति को बुलाने के लिये कई प्रकार के भभूत वाले प्रयोग किया करते थे,उसी प्रकार से आज के युग में छोटी सी बैटरी के करेंट से इसी सिलीकोन के अन्दर रगड पैदा करने के बाद मशीनी गति से किसी को भी बुलाया जा सकता है,किसी को भी दिखाया जाता है। इस वृश्चिक के राहु का कमाल आपने सिलीकोन के प्रयोग के रूप में जान ही लिया होगा कि मरी हुई मिट्टी से भी किस प्रकार से कार्य करने की सामर्थ्य रखता है यह वृश्चिक का राहु।
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