योग क्या है ?

योग को संस्कॄत मे मिलना बोलते है,भारतीय वैदिक रीति से जो सर्वोच्च कारण पीछे हम बता कर आये हैं,इनमे आश्चर्य जनक परिणाम शरीर के अन्दर केवल योगों के द्वारा ही निकलते है। हमारे शरीर मे जादुई शक्ति का भरना,और अपने शरीर को देवत्व की तरफ़ ले जाने के लिये योगों का बहुत बडा योगदान मिलता है।योग का सिद्धान्त प्रपादित करने पर जो निर्णय निकाला जाता है वह हमारे शरीर मे बढे हुए माँस,को सही तरीके से स्थापित करना,प्राण शक्ति को बढाना,और प्राण शक्ति के द्वारा कितने ही न विश्वास करने वाल कामो का करना,आदि के द्वारा जाना जाता है,जो भ्रम देने वाले कारण अपने स्वयं की इन्द्रियों के द्वारा मिलते है,जिन इन्द्रिअ सुखों के लिये हम अपने शरीर की परवाह किये बिना ही कितने काम करते है,वे सब योग की धारणा बनते ही दूर होते चले जाते है। जो पदार्थ की जानकारी हम नंगी आंख से नही देख पाते हैं,और जिन पदार्थों के बारे मे किसी भी प्रकार से ज्ञान नही हो पाता है,वह सब हमे योग के द्वारा प्राप्त हो जाता है। सिद्धान्तों के अनुसार इस जगत का सच्चा रूप योग के द्वारा दिखाई दे जाता है,बहुत से योगी जो योग को कर रहे होते है,वे अपने को ब्रह्म से जोड कर आत्मा को विलीन कर लेते है,उनको ज्ञान नही होता है,कि शरीर कहां पर है,और शरीर मे किस स्थान पर पीडा है और कौन सा स्थान किस तरह के दुष्प्रभाव से ग्रसित है,चमत्कार करना,होनी को अनहोनी मे बदल देना,व्यक्ति का भूत,भविष्य और वर्त्मान को ज्यों का त्यों बता देना,यह सब योग के बाद ही सम्भव है,योग किसी को भी कष्ट देने के लिये नही किऐ जाते हैं,और जो भी इनका दुरुपयोग करने की कोशिश करता है,वह अपनी जोडी हुई शक्ति को बरबाद करने के अलावा और कुछ नही कर सकता है।

आरक्षण;जो~वस्तु~आगे~काम~में~लाने~के~लिए~रखी~जाए;बचा~रखना;अमिलनसार/संकोची
चमत्कार
छिपी हुई दिक्कत

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